बदलाव
चन्द्रहास साहू
मो 8120578897
सिरतोन जम्मो कोती बदलाव होवत हाबे अउ बदलाव होना प्रकृति के नियम आवय। रुख-राई अपन जुन्ना पाना ला छोड़ के नवा फूल पाना के सवांगा कर लेथे । तभे तो पतझड़ के पाछू सावन के हरियर आथे। सिरतोन बदलाव संग बदलना सुघ्घर होथे फेर जम्मो बदलाव हा सुघ्घर होथे का ...? आज संस्कृति, संस्कार,परंपरा अउ रीति-नीति मा बदलाव होवत हाबे। सलुखा, धोती-कुर्ता,मुड़ी मा पगड़ी पहिरे कोनो दिखथे का....? जम्मो कोती फुलपैंट जींस वाला दिखथे। अब शहर के सवांगा गाॅंव देहात मा खुसरगे हाबे। सिरतोन इही तो विकास आवय। टूरा हा टूरी बरोबर चुन्दी बढ़ा के किंजरथे अउ टूरी हा टूरा बरन धरे किंजरत हे। टूरी के हाथ मा चूरी कमतियावत हाबे अउ टूरा हा कान मा बारी, नाक मा नथनी पहिरत हे। ये कइसन बदलाव आवय ?
जम्मो ला गुणत-गुणत शहर जावत हावंव मेंहा आज।
भलुक टीवी अउ मोबाइल ले ग्लोबलाइजेशन होइस। एक दूसर देश ले आचार-विचार, रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति-सभ्यता के लेन-देन होइस फेर मोर गाॅंव देहात मा बदलाव के तीन पोठ कारण हाबे। गाॅंव के उत्ती कोती के प्रगति मैदान मा बड़का फेक्ट्री खुले हे , दइहान मा बड़का इंजीनियरिंग काॅलेज अउ सदभावना चौक मा दारु भट्ठी। चार झन रेजा अउ छे झन कुली बस कमाथे ये फेक्ट्री मा। गाॅंव के कोनो मनखे फेक्ट्री मा अधिकारी अउ साहब नइ हाबे भलुक परदेसिया मन गोंजाये हाबे खोसखिस ले। गाॅंव के कोनो लइका नइ पढ़े ये काॅलेज मा फेर मोटियारी अउ जवनहा ला जादा प्रभावित करे हाबे। टूरा ला कोन कहाय टूरी मन घला सिगरेट फुंकत भरर-भरर गाड़ी चलाथे।
टूरा टूरी दूनो एक बरोबर कोनो फरक नहीं। अब नवा चलागन देखे ला मिलत हाबे ये हाई सोसायटी मा। लिव-इन रिलेशनशिप मा राहत हाबे टूरा-टूरी एक संघरा । फेर गाॅंव मा क्रांति लाने के बुता करे हाबे तेन आय-दारु भट्ठी। सिरतोन जनम भर के अबोला मनखे घला एके गिलास मा पीयत हाबे। जात-पात, ऊंच-नीच के कोनो भेद नइ हाबे इहां। .....अउ न कोनो मुहूर्त लागे। जब मन तब शीशी ला बिसा सकत हस। अपरंपार महिमा हाबे येकर......अब्बड़ बदलाव ?
यहूं तो मोर गाॅंव के बदलाव आवय।
चकाचक करत रोड मा अब मोर फटफटी के टाॅप गेयर लगा के दउड़ाये लागेंव। थोकिन बेरा मा अम्बेडकर चौक अमर गेंव अउ अब सिहावा चौक कोती जाये के उदिम करत हॅंव फेर ये का....? भीड़ मा फदक गेंव। नगर सैनिक पुलिस अधिकारी मोला छेंक लिस। मेंहा सकपका गेंव। खीसा ले मोर आइडेंटिटी कार्ड ला निकालेंव। ससन भर देखिस मोला अउ मोर आइडेंटिटी कार्ड ला।
"अच्छा तो तुम पत्रकार हो...?''
"जी सर!''
मुचकावत मेंहा हुंकारु देयेंव।
"लगते तो नही हो ?''
डरवा डारिस अब मोला वोकर प्रश्न हा। छत्तीसगढ़िया आवन साहब ! चेहरा ले ही गरीब दिखथन तब का कर डारबो ? मने मन मा फुसफुसायेंव।
"पंदरा बच्छर हो गया साहब पत्रकारिता करते। भलुक पत्रकारिता की पढ़ाई कोनो युनिवर्सिटी ले नही किया हूं फेर नवा पीढ़ी के भावी पत्रकार लोग मुझसे पत्रकारिता सीखने आते हैं दोरदिर ले।''
महूं फेंके लागेंव अब।
साहब मुचकावत रिहिस। करु मुचकासी। मेंहा अब आगू बाढ़ेंव। सत्ता पार्टी के जिला अध्यक्ष ले जोहार भेंट करेंव अउ पुछेंव घला।
"का के भीड़ आवय कका ?''
हमर मंत्री जी हा आज ले जेल यात्रा मा जावत हाबे। गोबर घोटाला मा जमानत लेये बर इंकार कर दिस वोकरे सेती एण्टी करप्शन ब्यूरो हा गिरफ्तार कर के जेल लेगत हाबे हमर मंत्री जी ला। पहिली चक्का जाम करके विरोध प्रदर्शन करबो ताहन चंदन-बंदन, रंग-गुलाल, फूल-माला पहिराके आरती उतारके पठोबो हमर नेता ला जेल।''
कका किहिस हाथ मा फूल दुबी नरियर के भेला धरे रिहिस अउ नेताजी जिन्दाबाद के नारा लगावत चक्का जाम करे बर चल दिस।
का होही भगवान हमर देश के अइसने मा। अब संसो करे लागेंव मेंहा। स्वतंत्रता सेनानी मन गली खोर ले गुजरे तब अइसना स्वागत सत्कार होवय फेर अब नेता मन के....?
ये कइसन बदलाव आवय परमात्मा ?
जी कलपगे मोर।
"ट्रिन..... ट्रिन........ !''
मोर फोन के घंटी बाजिस।
"हलो ! सीताराम महापरसाद!''
"सीताराम महापरसाद !''
महापरसाद आवय । पैलगी जोहार करेंव। अब्बड़ दिन मा सुरता करत हाबे।
"सुना महापरसाद ! सब बने-बने हाबे न ?''
"का बतावंव महापरसाद ! मोर एकलौता बेटा पप्पू ला समझा दे गा ! मर जाहूं कहिथे।''
मेंहा संसो मा परगेंव। बने तो रिहिस लइका हा। पढ़े-लिखे मा अगवा रिहिस । बैंगलोर मा कम्प्यूटर कोर्स करके साफ्टवेयर इंजीनियर हाबे। न पइसा के कमती हाबे न कोनो रोकइयां-छेंकइया। अपन हिसाब ले जिनगी जी सकथे। फेर का दुख परगे ?
"का होगे महापरसाद ! बने फरिहा के बताबे तब जानहूं जी।''
मेंहा पुछेंव फेर अब मोर आगू मा बाधा बिपत आगे। हिन्दू जागरण मंच के रैली, गाड़ी मोटर के ची.......पो...... अउ नारा जयकारा। आज वेलेंटाइन डे आवय। स्कूल काॅलेज गार्डन मा पहरादारी करे बर रैली निकाले हाबे। सड़क तीर के पीपर छइयाॅं मा ठाड़े होयेव अउ अब फोन लगा के समझाये लागेंव महापरसाद ला।
"एकलौता बेटा आवय-कुल के दीपक। मरे हरे ले छेंक अउ मनाये के उदिम कर तब बनही महापरसाद !''
"इही तो संसो आवय महापरसाद ! वोहा काकरो ले मानत नइ हे।''
"आजकल के लइका मन अब्बड़ ढीठ हाबे गा ! जौन मांग करथे तौन ला मनवा के रहिथे। जान रही तब कइसनो जी खा लेबो फेर कोनो अनीत हो जाही तब...? तिही हा झुक जा अब। मान ले वोकर गोठ ला।''
मेंहा संसो करत केहेंव।
"कइसे मान जावंव महापरसाद ! माने के लइक बर कभू मना नइ करो। फेर येहां ?''
"बने फोरिहा के बता महापरसाद!''
''टूरा पप्पू हा पप्पी बनहूं कहिथे।''
"का.....?''
"हहो...! टूरा पप्पू हा अब पप्पी बनहूं कहिके धोरन धरे हाबे।''
"का गोठियाथस जी आनी-बानी के....?''
"सिरतोन भइयाॅं ! टूरा पप्पू हा अब लिंग चेंज करवाके टूरी बनहूं कहिथे। मेंहा संसो मा बुड़गे हावंव। कइसे काहंव टूरा ले, जा टूरी बन जा अइसे।''
मोर महापरसाद के गोठ सुनके मोला झिमझिमासी लाग गे । अकचका गेंव ।
"अइसना घला होथे महापरसाद ?''
मेंहा पुछेंव।
"हहो ! दिल्ली, बम्बई बैंगलोर अउ विदेश मा तो होथे फेर ..... हमर रायपुर के गली-गली,खोर-खोर मा टूरा ले टूरी अउ टूरी ले टूरा बनाये के, सेक्स आर्गन इंप्लांट करे के दुकान खुलगे हाबे।''
"अरे...!''
मोर मुहूॅं उघरा रहिगे अकचकाये लागेंव। मोर गोसाइन के गोठ के सुरता आगे उदुप ले।
तेंहा काला जानथस भोकवा नही तो ...! दुनिया कहाॅं ले कहाॅं पहुंच गे अउ कुआं के मेचका बरोबर हाबस तेंहा। उप्पर ले पत्रकार ...? पत्रकार मन तो कुकुर टाइप होना चाहिए खबर ला सुंघ के जान डारथे। न तोला सुंघे ला आवय न हाड़ा चुचरे ला। माइके ले कुछू पंदोली मिल जाथे तब घर चलत हाबे नही ते कोन जन.....? गोसाइन अइसना तो कहिथे बेरा-बखत मा।
बेरोज़गारी मा का नइ करे हॅंव..? पनही बेचे के धंधा तक करेंव फेर उधारी अउ किराया मा बोजा गेंव। छोड़ ये गोठ ला....?
जी घुरघुरासी लाग गे मोला। मकई चौक मा बिराजे संकटमोचक दक्षिण मुखी हनुमान जी ला पैलगी करेंव अब अउ महापरसाद के आगू के गोठ ला सुने हॅंव।
"महापरसाद ! लइका हा बैंगलोर पढ़े बर गेये रिहिन तब कोनो आने टूरा संग रुम पार्टनर रिहिन। संगे संग उठना-बैठना, खेलना-कूदना, खाना-पीना, पढ़ना-लिखना, सुतना-बसना जम्मो बुता ला करे। एके थारी मा खाये तब गहरी दोस्ती घलो होगे। रुम पार्टनर तक तो सुघ्घर हाबे फेर अब लाईफ पार्टनर बन के जीबो खाबो कहिथे तब का करंव....?''
"ये तो अप्राकृतिक हावय भइयाॅं ! देश समाज अउ नवा पीढ़ी मा का असर पड़ही ? भगवान हा दुनियां बनाइस तब नारी अउ पुरुष ला घलो सिरजे हाबे। ...अउ वोकरे मेल-मिलाप ले नवा पीढ़ी हा जनम धरथे। इही तो प्रकृति आवय जी ! ...अउ जौन हा प्रकृति के विरोधी हाबे तौन हा गैर कानूनी आवय।''
मेंहा कानूनी गोठ करे लागेंव छाती फुलोवत, गरब करत।
"नही महापरसाद ! तेंहा नइ जानस अब तो संविधान मा बदलाव होगे हाबे। कोनो घला बालिग हा अपन हिसाब ले जिनगी जी सकथे। कोनो संग बिहाव कर सकथे। बस दूनो के आपसी सहमति होना चाही। अमेरिका इंग्लैंड रुस जापान मा तो कानूनी मान्यता घला हाबे। हमरो देश के मेट्रो शहर दिल्ली बम्बई बैंगलोर कलकत्ता मा समलैंगिक समूह मन के धरना-प्रदर्शन चलत हाबे। कोर्ट मा बहस चलत हाबे। गे समलैंगिक अउ एल जी बी टी क्यू ग्रुप के नाव ले जाने जाथे येमन ला। टूरा मन तो हाबेच फेर टूरी मन के घलो अब्बड़ संख्या हाबे।''
"का.....? टूरी मन घलो झपावत हे....?''
मुँहूॅं उघारत पुछेंव महापरसाद ला। आरुग भोकवा हस गोसाइन के गोठ के फेर सुरता आगे।
"हाॅंव जी ! कोनो कमती नइ हाबे। जइसे टूरा टूरा मिलके बिहाव रचावत हाबे वइसना टूरी टूरी घला बिहाव करथे। अइसन जमाना आ गे हाबे।''
"ये का जबाना आवय भैया ? ये तो घोर कलजुग झपागे महापरसाद ! अइसना मा का होही ये सुघ्घर दुनियां के....?''
मेंहा संसो करे लागेंव।
"दुनियां का होही तेखर अभिन संसो नइ हाबे भइयाॅं ? अभिन तो मोर लइका कइसे बाॅंच जावय येकर संसो हाबे। ले झटकुन आ हमर घर। कोनो उदिम करबोन।''
"हाॅंव महापरसाद !आवत हावंव झटकुन।''
मेंहा केहेंव अउ महापरसाद के गाॅंव कोती के रद्दा मा दउड़े लागेंव अब।
"ट्रिन...... ट्रिन.......!''
मोर फोन फेर घरघराईस। मोर तो बीपी बाढ़गे। हाथ पाॅंव फूले लागिस। लहू के संचार बाढ़गे। ...अउ हइफो... हइफो.... सांस चले लागिस। मोर आफिस के फोन आवय ब्यूरो चीफ सिंग साहब रिहिस। नाम मा सिंग तो हाबेच फेर बुता बर घला हुदेनत रहिथे। फेर मुहूॅं....? जब गोठियाथे भूरी बिच्छी बरोबर झार चढ़ जाथे। आगी लग गे हाबे, .... अब्बड़ करु, अब्बड़ बीख.....! थरथरावत फोन उठायेंव।
"हलो !''
"कस बे कोढ़िया, साले आधा दिन निकल गे अउ अभिन तक ब्रेकिंग न्यूज नही भेजे। कितने ही जोड़ीया हाॅटल मे रंगरेलियां मना रहे हैं, कोई सड़क किनारे मार खा रहा है तो कोई खुलेआम मार रहा है, कोई गार्डन में, कोई टाकिज में एवरी पब्लिक प्लेस मा माहौल है। किसी को भी दबोच और आफिस लेकर आओ। उसको कैसे ऐंठना है हम बतायेंगे। ..... लिव-इन रिलेशनशिप मे रहने वाली लड़की का बलात्कार करके फांसी पर लटका दिया गया था उसमे क्या तफ्तीश हुई एस आई से मिलकर बताना। ऐसे ही कोई और मामला हो तो लेकर आओ...नही तो अपना सूरत मत दिखाना.......। टू....टू.... !''
फोन कटगे अइसनेच आवय लपरहा हा । इहाॅं अपन हा आने राज ले पतरी चांटे बर आये हे अउ छत्तीसगढ़िया मन ला जुटहा कहिथे। सड़े बासी खाने वाला कहिथे। भलुक आगू मा नइ बखान सकेंव तभो ले मन के भड़ास ला निकालत नंगतहे बखानेव अउ अब ब्रेकिंग न्यूज खोजे लागेंव। ...फेर ये ढ़ोगियाहा नेता मन हा ब्रेकिंग न्यूज हो सकथे का ? ब्रेकिंग न्यूज बना के वोकरे राजनीति ला चमकावत हाबे खउवा टाइप पत्रकार मन। आज के दिन दू मयारुक मिलत हाबे तौन पहरे दारी....? इही तो उम्मर आवय भई ! जीयन खावन दे फेर अश्लीलता झन होवय अपन सामाजिक दायित्व ला निभाये के उदिम करत ब्रेकिंग न्यूज खोजे लागेंव।
सिरतोन जतका विकास होइस संस्कृति अउ संस्कार के वोतका विनाश होवत हाबे। गड़वा बाजा नंदागे, पतरी वाला मांदी नइ दिखे। बिहाव के नेंग-जोग अंधियागे। ....का बाचिस ? आधा ले जादा बिहाव तो अब कछेरी मा होवत हाबे। ....अउ अब बिहाव के जरूरत घला का हे....? लिव-इन रिलेशनशिप मा सब हो जाथे तब। इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गे हाबे न गाॅंव देहात मा अपसंस्कृति तो आबेच करही ? हमरो गाॅंव देहात मा अब अइसना रहे लागे हाबे टूरा टूरी मन। एक बेरा ऐकर विश्लेषण करत लेख लिखे रेहेंव। आज अउ देख के संशोधन कर दुहूं। ...या महापरसाद के लइका ला बचा लुहूं यहूं तो ब्रेकिंग न्यूज रही।
जम्मो ला गुणत-गुणत अब ब्रेकिंग न्यूज खोजत महापरसाद के गाॅंव के रद्दा मा जावत हावंव। थोकिन दुरिहा गेयेंव तभे गार्डन तीर के घर मा भीड़ सकेलाये हाबे।
"का होगे...? का होगे....?''
जम्मो कोई बरोबर महूं आरो करेंव।
"आजकल तो जवनहा ले जादा अधेरहा उम्मर वाला मन उप्पर जवानी के जोश छावत हाबे।'"
"का होगे भाई ! कुछू बताबे तब तो जी।''
मेंहा फेर पुछेंव।
"बहू-बेटा, नाती-पंथी घर-दुवार जम्मो ला छोड़ के लिव-इन रिलेशनशिप मा रेहे बर चल दिस डोकरा हा।''
"थोड़को लाज शरम नइ आवय येमन ला।''
"कलजुग झपागे रे !''
"जवनहा मन ले जादा तो बुढ़वा मन अगवा गे।''
"नवा पीढ़ी ला का सीखोही अइसन मन ?''
जम्मो कोई एक दूसर संग गोठ बात करत हाबे।
"..... नाक कटा देस पापा !''
बेटा काहत हाबे।
"कहान्चो मुहूॅं देखाये के पुरती नइ होयेंन। माई मायके तक मा तोर करतुत के सोर अमरगे। ...वोकर ले मर जातेस ते अतका बदनामी नइ होतिस।''
बहुरिया मन बफलत हे। सिरतोन डोकरा मन ला अइसन करे के का जरुरत हाबे। एक मुठा खातिस अउ परे रहितिस राम भजन करत। ....फेर ये मन तो रावण ले घला अगवा गे हाबे।
महूं मिंझरगे रेहेंव अब वो भीड़ मा। मोरो सोच अब वोकरे मन बरोबर होये लागिस। फेर अइसन करे के नौबत काबर आइस। येकर जर तक जाये ला लागही।
मोर पत्रकार मन मा अब डोकरा-डोकरी ले मिलके वोकर पक्ष ला जाने के होइस। रत्नाबांधा चौक मा अमरगेंव अब। माइलोगिन हा बबाजात करा आथे तब उड़हरिया खुसरगे कहिके गोठ होथे फेर ये मामला मा तो डोकरा हा चल दिस।
गुणत-गुणत वोकर घर अमरगेंव।
इहिन्चो अब्बड़ भीड़ सकेलाये हाबे। जौन ला जइसन सुझत हाबे वइसने गोठियावत हाबे।
नानकुन माटी वाला घर खपरा छानी के। डेखरा मा चढ़े कुंदरु के नार छतराये हाबे अंगना मा। कोठा मा गाय पैरा खावत हे। बछरू दूध पीयत हे चपर-चपर। डोकरी गोरसी सपचावत हे आँखी रमंज-रमंज के। बैरी गुंगवा हा डोकरी के आँखी ले आँसू निकाल दिस अउ आँखी लाल कर डारिस। जम्मो ला देखत हॅंव मेंहा। कतको झन अब्बड़ पुछे रिहिस लिव-इन रिलेशनशिप के बारे मा फेर सब कोई के भादो उजार कर दे रिहिस बखान-बखान के डोकरी हा।
हमू मन ला चैन ले जीये के अधिकार तो हाबे तब काबर पाछू परे हव जम्मो कोई। समाज के ठेकेदार अउ रोटी सेंकइया मन ला अब्बड़ बखाने रिहिस। फेर ये बुढ़त काल मा काबर अइसन करत हाबे ये जानना जरुरी हाबे न ?
सामरथ करके कुछू उदिम करत मोहाटी के खैरपा ला टारेंव अउ वोकर घर गेयेंव।
"पाॅंव परत हॅंव दाई !''
डोकरी के पैलगी करत केहेंव। पहिली ससन भर देखिस मोला डोकरी हा अउ चिन्हे के उदिम करिस।
"भटगांव वाला लक्ष्मण साहू के बेटा आवंव। मोर दाई हा तोर बर खाई खजाना जोरे हे अउ सोर संदेश लानबे कहिके पठोये हाबे।''
मेंहा जलेबी ला देवत केहेंव। महापरसाद घर जुच्छा थोड़े जातेंव जी ? चौक मा बिसा डारे रेहेंव।
अब मचोली ला लान के दे दिस मोला।
"हहो, अब बुढ़त काल मा नइ चिन्हाय। का कर डारबे ? उहिन्चो अब्बड़ परिवार अउ गोतियार हाबे। सब्बो कोई हा नइ चिन्हाय अब। अब्बड़ बाटूर सांगुर घला होगे हाबे। काला जानबे। सब बने-बने हाबे लइका लोग मन, सियान मन ?''
डोकरी पुछिस। अनचिन्हार संग हाॅंव मे हाॅंव मिलाये लागेंव अब।
डोकरा घला खटिया मा ढ़लंगे रिहिस। खाॅंसत घला रिहिस। बाम लानिस अब डोकरी हा अउ डोकरा के छाती मा लगा के गोरसी के आगी मा सेके लागिस। डोकरा के टुप टुप पाॅंव परके जोहार भेंट कर डारे रेहेंव।
"कोन गाॅंव के सगा आवय डोकरी दाई ? मेंहा नइ चिन्हंव वो !''
"....अब का सगा ? ....का अपन...? का बिरान बाबू ...? अब हम एक दूसर के आवन।''
"बिन बिहाव के दाई !''
"का करबे ? जौन अपन रिहिस तौन तो दगा दे दिस।... जीवन के बीच रद्दा मा दगा दे दिस। मोला छोड़के परलोकी होगे। अब मेंहा अकेल्ला परगेंव। न लइका न लोग ? बुढ़ापा बर कोनो सहारा तो लागही। ये सियान के तो भरे पूरे परिवार हाबे फेर सब अबिरथा आवय कोनो साथ नइ दिस।''
डोकरी बताइस। अब डोकरा के गोठ मिंझरगे।
हाॅंव बाबू ! डोकरी सिरतोन काहत हाबे। एक दिन बाथरूम मा गिरगेंव। माड़ी कोहनी छोलागे। कोनो नइ उठाइस। कोनो दवई पानी नइ करिस। जम्मो कोई बेटा बहुरिया मन अब्बड़ पइसा कमाथे। कोनो हा बिजनेस करथे। कोनो बड़का अधिकारी हाबे। तब कोनो हा समाजसेवी नेता हाबे फेर बाप के हाल चाल जाने बर काकरो करा समय नइ हे। .....अउ अब जम्मो जैजात हा उकरे मन के नाव मा होगे तब मोर मरे अउ जीये ले कोन ला का फरक पड़ही....। वृध्दाश्रम पठोवत रिहिस तब इही डोकरी हा मोला पंदोली दिस। कोन जन डोकरी ला कोन बताइस ते...? जब सब बने-बने रिहिस तब डोकरी हा मोर घर बुता करे ला आ जावय कभु-कभु अतकी तो चिन्ह-पहिचान आवय।''
डोकरा बताइस।
"संस्कृति बचाओ संस्था हा अब्बड़ हुड़दंग मचाइस अउ अब्बड़ धमकी घला दिस। समाज के ठेकेदार मन बिपत के बेरा नइ आइस अउ एक संघरा रहे ला धरे हावन तब दोरदिर ले आगे। गारी बखाना दिस। मुर्दाबाद के नारा लगाइस। लिव-इन रिलेशनशिप मा रहिथो कहिके दुतकारिस, थू थू करिस फेर का करंव.....? । जीयत हंव तब सहे ला पड़ही। एक दूसर के सेवा करे बर संग मा राहत हन बाबू ! कोनो लिव-इन रिलेशनशिप फिव इन रिलेशनशिप ला नइ जानंन। ....बस राहत हॅंन। जम्मो ला
डोकरी बताइस अउ रोये लागिस।
सिरतोन येहां पाश्चात्य के लाईफ स्टाइल नोहे भलुक एक दूसर के संग जीये-मरे के बंधना आवय। ... अनजान बंधना। मोला ब्रेकिंग न्यूज मिल गे रिहिस अब।
"ले बने राहव दाई बबा हो। कूछू बुता पर जाही तब सोरिया लुहूं। अपन विजिटिंग कार्ड ला देवत केहेंव अउ बिदा लेये लागेंव। अदौरी बरी अउ आमा अथान ला जोरत किहिस।
"लइका मन खाही बाबू लेग जा। कोनो-कोनो बरी हा घोटराहा हाबे बाबू ! बेटी मन ला कहिबे जादा बेर ले चूरोही बता देबे अउ डोकरी ला गारी बखाना झन देये ला कहिबे घोटराहा बरी बर।''
डोकरी मोला बरजे लागिस हाॅंसत-हाॅंसत। सिरतोन डोकरी के मया दुलार अउ आसीस पाके मेंहा अघा गेंव।
"ट्रिन..... ट्रिन.....!''
मोबाइल फेर घरघराईस। महापरसाद आवय फेर फोन करत रिहिस। हरियर बटन ला दबायेंव।
"हलो! आवत हावंव महापरसाद मेंहा।''
"झटकुन आ महापरसाद अउ हमन दूनो कोई ला बचा ले।''
रोवत किहिस महापरसाद हा। मेंहा अकचका गेंव अउ संसो करे लागेंव।
"अब का होगे भईयां तोला ?''
"टूरा हा खेत खार अउ ज़मीन जायदाद ला बेच दिस। घर ले खेदार दिस हमन दूनो कोई ला। तारा बेड़ी लगा देहे । एकाउंट के जम्मो पइसा ला निकाल लिस अउ बैंगलोर भाग के अपन गे पार्टनर के संग बिहाव करहूं कहिथे। अपन लिंग के बदलाव करके टूरी बनहूं कहिथे। ये कइसन बदलाव आवय महापरसाद । अइसन बदलाव होही तब हमन काकर अधार मा जीबो....? कइसे जिनगी कटहीं....? हमन तो जिते जियत मर गेंन हो....हो.....।''
महापरसाद अब रोये लागिस। सिरतोन ये कइसन बदलाव आवय। महूं गुणे लागेंव। ब्रेकिंग न्यूज मिले कि झन मिले। अब महापरसाद ला सम्हाले बर चल देयेंव मेंहा वोकर घर।
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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया
आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी
जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़
पिन 493773
मो. क्र. 8120578897
Email ID csahu812@gmail.com
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