(लघुकथा)
जाँच
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अपन पड़ोस के ग्राहक मंगलू ला समान देके महेश कहिस--भाई थोकुन मदद कर।घर जाके दादी ला बता देबे के दू झिन सगा आये हें जे मन दुकान मा बइठे हें।चाय नाश्ता बना देही।मैं हा ये दे ग्राहक मन ला निपटाके दस मिनट मा सगा मन संग घर आवत हँव।
मंगलू हा हव कहिच अउ जाके खबर पहुँचा दिच।
महेश के छोटे से जनरल समान के दुकान बनेच चलय। माता-पिता के एक ठो एक्सीडेंट मा पाछू बछर मौत होये के पाछू पढ़ाई बीच मा छोड़ के अपने दुकान मा बइठय।
ग्राहक मन के भींड़ लगेच राहय तभो ले दुकान ला बंद करके घर जाना परिच काबर के वो लड़की निर्मला हा अपन भाई संग आये राहय जेकर संग वोकर बिहाव के बात चलत राहय।
घर पहु्ँच के सगा मन ला बँरवट मा बइठार के महेश हा पानी ला के दिच।दादी हा पोहा के नाश्ता परोसत पूछिस-- कतका बेर के आये हव बेटी।अउ सब बने बने।
हाँ दादी सब बने बने हे। अभी आधा घंटा पहिली मैं अउ भइया आये हन--निर्मला कहिस।
चाय नाश्ता के पाछू महेश हा वोमन ला अपन घर ला घुमा -घुमाके कमरा, बाथरूम अउ किचन सब देखाइच।
तहाँ ले वोमन घर लहुटे बर दादी माँ के पाँव परके इजाजत माँगिन।
दादी माँ हा आशिर्वाद देवत कहिस-- सदा सुखी राह बेटी।बने करेच शादी के पहिली तैं खुदे आके जाँच करलेच--पाछू के गुला झाँझरी अच्छा नइ होवय।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
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