Thursday, 23 January 2025

समरथन* *(नानकुन कहिनी)*

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                     *समरथन*

                *(नानकुन कहिनी)*



                कूदत धाँवत... हँफरत मानसी अपन महतारी तीर म अइस अउ वोला तुरंतेच पूछे लागिस -दई ओ दई ! हमन पहिली भारतीय होवन कि पहिली छत्तीसगढ़िया?

"भारतीय..."महतारी वोतकिच तुरंत जवाब दिस।

" देख न !वो दु -चार मनखे मन चउक म ठुलाय हें अउ अइसन कहत हें।"

"का कहत हें वोमन?"

"कि हमन पहिली छत्तीसगढ़िया हावन बाद म कुछु आन।"मानसी झरझरात कहिस।

"वोमन टोपी वाला होहीं।वोमन टोपी खापे रहिन?"

"हाँ...!"मानसी नानकुन उत्तर दिस।

"चल जेवन कर। वोमन के गोठ ल झन धर।वोमन जइसन लागथे वइसन कर लेथें,कह लेथें।" महतारी वोला जेवन परोसत कहिस।


                अब तो जेवन करत मानसी के चेहरा म अथाह संतोष हर उतर आय रहिस। वोकर गुरु के बताय गोठ ल , ये महागुरू महतारी के समरथन जो मिल गय रहिस।


*रामनाथ साहू*


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