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*समरथन*
*(नानकुन कहिनी)*
कूदत धाँवत... हँफरत मानसी अपन महतारी तीर म अइस अउ वोला तुरंतेच पूछे लागिस -दई ओ दई ! हमन पहिली भारतीय होवन कि पहिली छत्तीसगढ़िया?
"भारतीय..."महतारी वोतकिच तुरंत जवाब दिस।
" देख न !वो दु -चार मनखे मन चउक म ठुलाय हें अउ अइसन कहत हें।"
"का कहत हें वोमन?"
"कि हमन पहिली छत्तीसगढ़िया हावन बाद म कुछु आन।"मानसी झरझरात कहिस।
"वोमन टोपी वाला होहीं।वोमन टोपी खापे रहिन?"
"हाँ...!"मानसी नानकुन उत्तर दिस।
"चल जेवन कर। वोमन के गोठ ल झन धर।वोमन जइसन लागथे वइसन कर लेथें,कह लेथें।" महतारी वोला जेवन परोसत कहिस।
अब तो जेवन करत मानसी के चेहरा म अथाह संतोष हर उतर आय रहिस। वोकर गुरु के बताय गोठ ल , ये महागुरू महतारी के समरथन जो मिल गय रहिस।
*रामनाथ साहू*
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