*छत्तीसगढी म अनुवाद परंपरा: एक विवेचना*
डॉ विनोद वर्मा
*छत्तीसगढ़ी म अनुवाद परंपरा के शुरुआती दौर म शेक्सपियर के अंग्रेजी नाटक 'काॅमेडी आफ एरर्स' के छत्तीसगढ़ी म पद्यानुवाद ' पुरु-झुरु' के नाम से शुकलाल पाण्डे जी करिन।संभवतः एही अनुवादित रचना हा छत्तीसगढी अनुवाद के प्रस्थान बिन्दु हे।* पं. सुन्दरलाल शर्मा कृत 'छत्तीसगढ़ी दानलीला' ला छत्तीसगढ़ी के प्रथम खंडकाव्य माने जाथे, फेर एहा अनुदित रचना नो हे बल्कि श्रीकृष्ण लीला उपर आधारित श्रृंगार प्रधान खंड काव्य हे।
छत्तीसगढ़ी म कुल तीन प्रकार के अनुवाद मिलथे-
1) *गद्य ले गद्य अनुवाद*
2) *पद्य ले गद्य अनुवाद*
3) *पद्य ले पद्य अनुवाद*
1) *गद्य ले गद्य अनुवाद* - कथा-कहानी, नाटक, उपन्यास, शासकीय पत्र के छत्तीसगढ़ी म अनुवाद एखर अन्तर्गत आही। शासकीय पत्र मन के केवल शब्दानुवाद होथे। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित ' *लोकव्यवहार एवं कार्यालयीन छत्तीसगढ़ी ' ( डाॅ विनय कुमार पाठक)* म शासकीय पत्र,
परिपत्र, निदेश, अनुदेश, प्रतिवेदन प्रमाण पत्र, विज्ञापन आदि के 40-50 नमूना (हिन्दी ले छत्तीसगढ़ी) दिए हुए हे।
साहित्यिक अनुवाद केवल शब्दानुवाद नो हे बल्कि भावानुवाद कठिन होथे। कथा-कहानी , नाटक, उपन्यास मन मा आँचलिक शब्द अउ वाक्य मन के प्रयोग बहुतायत ले होथे। चोवाराम बादल के कहानी- 'अजादी आगे' के कुछ अंश ला देखव अउ गुनव........ *बड़े बिहनिया इही गुड़ी म हमर गाँव के बइगा बुधारु ह डाँड़ नहकवाही ! ले तो बइगा बता तो डाँड़ नहकवाये बर काय करे ला परही? '- रावण कस ठहाका लगावत गौंटिया कहिस।*
एखर अंग्रेजी या आन भाषा म अनुवाद करे मा कहानी के भाव पक्ष के रक्षा करना कतेक कठिन होथे-एला अनुवादक हर ही समझ पाथे।प्रेमचंद के हिन्दी के कई ठिन कहानी मन के छत्तीसगढ़ी म भावानुवाद डाॅ परदेशी राम वर्मा जी करे हें। *रामनाथ साहू के छत्तीसगढ़ी उपन्यास 'भुइयाँ के अभी हाले म अंग्रेजी अनुवादित पुस्तक 'THE* *COOL* *LAND* ' *छपे* *हे* ।
2) *पद्य ले गद्य अनुवाद* -
अनेक पौराणिक संस्कृत ग्रंथ मन के हिन्दी गद्य अउ पद्य म अनुवाद उपलब्ध हे।अइसने ग्रंथ मन के छत्तीसगढ़ी गद्य म अनुवाद के साहित्यिक दृष्टिकोण ले विशेष महत्व तो नि हे काबर कि एहा शब्दानुवाद ही माने जाही।फिर भी एखर ले छत्तीसगढ़ी अनुवाद के कोठी तो भरबेच्च करत हे।
*गीता शर्मा द्वारा 'शिवमहापुराण' अउ 'इशादि नौ उपनिषद' संस्कृत महाकाव्य के छत्तीसगढ़ी म गद्यानुवाद करे गे हे। अइसने 'कातिक महात्म्य' के छत्तीसगढ़ी म गद्यानुवाद गिरिजा शर्मा करें हें ।ए तोनों पुस्तक ला -'छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग' द्वारा प्रकाशित किये गे हे।*
3) *पद्य ले पद्य अनुवाद-* संस्कृत के अनेक वैदिककालीन संस्कृत महाकाव्य के छत्तीसगढ़ी म काव्यानुवाद के महत्व बहुत जादा हे।काबर कि काव्य म सृजन मौलिक रचना ही माने जाही , भलेहि कहानी या लिखित घटना आदिकाल के हे। तुलसी कृत 'रामचरित मानस' हिन्दी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाला महाकाव्य हे। त एमा का मौलिकता नि हे? - वास्तव म एला मौलिक महाकाव्य ही माने जाही ।एमा मूल ग्रंथ के तथ्य मन ला छेड़छाड़ किए बिना ही बहुत अकन परिवर्तन तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था ला देखते हुए समाज के हित बर किए गे हे।
संप्रति, छत्तीसगढ़ी म सृजित महाकाव्य के जानकारी नीचे देवत हौं-
1) *गीत माधव - रेवाराम बाबू* (संस्कृत महाकाव्य) छत्तीसगढ़ के कवि द्वारा सृजित प्रथम संस्कृत महाकाव्य।
2) *श्रीराम कथा- कपिलनाथ कश्यप*
3) *श्रीकृष्ण कथा- कपिलनाथ कश्यप*
4)श्री *महाभारत- कपिलनाथ कश्यप*
5) *छत्तीसगढ़ी रमायन- प्रभंजन शास्त्री*
6) *साकेत संत- बल्देव प्रसाद मिश्र*
7) *रामराज्य- बल्देव प्रसाद मिश्र*
8) *सत्संग विलास- मेदनी प्रसाद पाण्डेय*
9) *कुमार सम्भव-शकुन्तला शर्मा*
10) *कौशल्या के कोसला- शकुन्तला शर्मा*
एखर अलावा अनेक खंड काव्य के सृजन भी करे गे हे-
1) *मेघदूत- पं.मुकुटधर पाण्डेय*
2) *छत्तीसगढ़ी दानलीला- पं. सुन्दर लाल शर्मा*
3) *कंसवध- पं. सुन्दर लाल शर्मा*
4) *चाणक्य नीति- शकुन्तला शर्मा ( हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दुनों* *भाषा* *म* )
5) *विदुर नीति- शकुन्तला शर्मा (हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दुनों भाषा म)*
*वर्तमान परिपेक्ष्य म अनुवाद के परम्परा ला विकसित करे म सर्वाधिक योगदान विदुषी शकुन्तला शर्मा के हे जेन मन पौराणिक महाकाव्य ला आधार बना के दू महाकाव्य के सृजन करे हें।*🙏🌹
विनोद कुमार वर्मा
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