*छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी म अंतर सम्बंध -विमर्श*
सरलग तीन दिन ले बहुत ही ज्ञान वर्धक विमर्श चलत हे। विदुषी दीदी मन ले अउ पटल के जम्मों साहित्यकार मन ले बहुत कुछ नवा नवा बात पता चलत हे।
*छत्तीसगढ़ी म लक्षणा अउ व्यंजना*-- कोनो शब्द जब वाक्य म प्रयोग होथे तब वोकर शक्ति( भाव/अर्थ) पता चलथे।
अभिधा,लक्षणा अउ व्यंजना शब्द शक्ति काय ये तेकर उपर चरचा चलगे हे।
छत्तीसगढ़ी भाखा म अइसन शब्द मन के भरमार हे जेन मन मा लक्षणा अउ व्यंजना हे। बहुत अकन तो अपन छत्तीसगढ़ी लहजा लिए हिंदी के शब्द जइसे हें त बहुत कस वोकर स्वयं के हे।
जइसे--
*टेड़गा*
*आँखी नइ दिखय*
*वाह*--(वाह बने कहे, वाह अइसे कइसे होही)
*खिलती बदन*(नोनी खिलती बदन के हे)
*खटिया लहुटगे*
*घानी के बइला*
*घर खुसरा*(वो ह घर खसरा हे)
*कोढ़ीया*
*बिलई*(निचट बिलई हे)
*अइँठाहा*( डोरी अइँठाहा हे, साहब अइँठाहा हे।)
*गाय*( मोर बहिनी बिलकुल गाय हे)
*दुब्बर*( वो दुब्बर हे।साइकिल तक नइये)
अइसने सोंचे म शब्द मिलत जाही।
मुहावरा मन लक्षणा होथे।
🙏🙏🙏🙏
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