लघुकथा -सरला शर्मा
एक झन राजा रहिस , एक झन रहिस रानी ,
दूनों मर गिन , खतम होगिस कहानी ।
लइका मन ! मोर कथा सिरा गे कौंवा के पेट पिरा गे .......।
नहीं भाई ! एहर लघुकथा नोहय । लघुकथा कम से कम शब्द मं लगभग 1पन्ना मं एक भाव , एक कथ्य ल धारदार कलम से लिखना आय । नानकुन कथा हर सामाजिक , राजनैतिक , धार्मिक , सामयिक सन्दर्भ के विसंगति ल उजागर करत सन्देश देथे । सन्देश जेला उद्देश्य भी कहिथन ओहर यथार्थ बोधक होथे फेर व्यंग नई होवय चिमटथे तिलमिलवा देथे फेर घाव नई करय काबर के भाषा हर सहज , सरल , गुरतुर होथे । अतका जरूर हे कि यथार्थ चित्रण के आधार तथ्यात्मक होथे । लघुकथा के संवाद छोटे , अर्थपूर्ण , आघू पीछू के कथ्य ल समेटे रहिथे । इही हर छोटकुन सूजी के काम करथे लघुकथा के कथानक , उद्देश्य ,पात्र , काल खंड , शीर्षक , सन्देश सबो ला एक धागा मं जोरथें । रहिस बात लेखन शैली के त हरेक लेखक के निजी लेखन शैली होथे जेहर धीरे धीरे जनारो देथे । एकर नानकुन कथा हर बड़का प्रभाव के अभिव्यक्ति होथे । सबले बड़े बात के सार्थक लघुकथा के अंत हर पाठक , लेखक के मन मं नवा लघुकथा के विचार देथे , कहे जा सकत हे के नवा लघुकथा ल जनम देथे ।
आजकाल लघुकथा के चलन बढ़ गये हे , पाठक मेरन बड़े बड़े किस्सा कहानी पढ़े के समय नइये । साधारण बात ल असाधारण तरीका से कहना / लिखना हर लघुकथा के मूल उद्देश्य आय ।
सरला शर्मा
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