इलाज-चोवाराम वर्मा बादल
-----------(व्यंग्य)
डाक्टर साहब! डा साहब।
हाँ काय होगे बताव।
मोला कुछु नइ होये ये डाक्टर साहब। ए मोर गोंसइया के अचानक तबियत खराब होगे हे।काँही हो जही तइसे लागत हे ।एकर जल्दी इलाज कर देतेव--। रम्हला ह अपन पतिदेव ल डाक्टर के आगू कुर्सी म बइठावत कहिस।
ठीक हे अभी जाँच करके इलाज करत हौं कहिके डाक्टर ह पर्ची म लिखे बर पेन के डक्कन ल खोलत कहिच-क्यों तुम्हारा नाम क्या है?
रम्हला के पति ह कुछु उत्तर नइ दिच उल्टा चुपचाप बोटोर-बोटोर देखे ल धर लित। तब रम्हला ह झनझनावत कहिच--एला गाय गरुवा मन सहीं मुँह चपका रोग होगे हे तइसे लागथे। दू दिन म मोर सो काली बिहनिया गुर्रावत --गुड़ाखू कहाँ हे अतके बस पूछे हे ।ओकर छोंड़ आम लीम नइ गोठियाये हे। महीं बता देहूँ त चलही का डाकटर साहेब।
हाँ हाँ तहीं बता दो।
एकर नाम माता सीता के पति असन हाबय।
अच्छा रघुबीर हे।
नहीं नहीं डाकटर साहेब अउ एका ठव लेवव न।
कोई बात नहीं---। रामचंद्र हे।
नहीं ।एकर ले छोटे नाम लेवव न। रम्हला ह केलौली करत कहिच।
डाक्टर ह थोकुन नराज होवत कहिच--अरे तुम्हीं बता दोगे तो क्या हो जायेगा? टेंशन में डाल दी। नानसेंस।
सुनके रम्हला सकपकागे।
डाकटर ह हिंदी अंग्रेजी झाड़े बर तो झाड़ दिच फेर वो नारा--"छत्तीसगढ़ म रहना हे त ,छत्तीसगढ़ी बोलना परही" के सुरता आगे। तहाँ ले आधा हिंही ,आधा छत्तीसगढ़ी म उतरत थोकुन सोंच के बोलिच--एकर नाम रामजी हे का दाई?
हाँ बेटा बने जाने ,बने जाने ---उहीच नाम हे लिख ले।
हाँ ।नाम रामजी। अउ उमर का हे?
एकर पक्का चँदी मूँड़ी ल देख के लिख ले बेटा। दू आगर तीन कोरी त होबे करही।
मतलब बैसठ साल।
हहो कहिके रम्हला ह मूड़ी ल हलाइस तहाँ ले डाक्टर ह लिख के रामजी के बी पी ल नापिस। वोकर बी पी ल साठ अउ पैंसठ के बीच म हालत देख के अपन आँखी ल गटारन कस छटकार कहिस--अरे इसका बी पी ह तो भारी लो होगे हे। अच्छा ए बता दाई अउ का परेशानी हे?
दू दिन होगे हे मूँह म एक दाना नइ ले गे हे।बस पानी पी पी के जीयत हे। रम्हला बताइस।
अच्छा ,अउ कोई परेशानी ?
एहा दू दिन, दू रात ले एको कनी सूते नइये। अल्थी-कल्थी मारत रहिथे ,नहीं ते थोथना ल ओरमाये बइठे रहिथे। देख न आँखी कान कइसन ललियाये हे।
कोई बात नइये।सब ठीक हो जही। आप ए बतावव रामजी ह काय काम करथे?
एहा आड़ी के काड़ी नइ करय डाकटर बेटा ।मोर दुख ल का गोठियावँव। पहिली तो एको कनी खोर गली ल गिंजर के आवव फेर अब तो छै महिना असन होगे हे कुरियेच म खुसरे रहिथे। नहवइ-खोरइ,खाये-पिये तको चेत नइये।रम्हला ह अपन आँसू ल लुगरा के अँचरा म पोंछत कहिच।
रोवो मत सब ठीक हो जही काहत डाक्टर पूछिस--ए कुरिया म का करथे दाई?
पूछबे त रचना करत हौं कहिथे डाकटर बेटा।
अच्छा तो ए ह पोएट हे,राइटर हे। अब बीमारी पकड़ म आगे। आप चिंता मत करव। छै महीना पहिली के कोनो घटना सुरता करके बताव।डाक्टर कहिच।
धान ल बेंच के बीस हजार म मोबाइल ले हाबय तेने सुरता आवत हे।रम्हला कहिच।
डाक्टर ह हाँसत कहिस--अब तो बीमारी के जड़ पकड़ आगे ।एके खुराक म सब ठीक हो जही। कहाँ है वो मोबाइल ?
कहाँ रइही डाक्टर बेटा। चोबीस घंटा जी असन पोटारे रहिथे। रामजी के हाथ ले मोबाइल ल झटक के डाक्टर ल देवत रम्हला ह कहिच।
अच्छा तो ए हरे। तुमन बइठव मैं एला सूजी लगा के भीतरी कोती ले आवत हँव। अतका कहिके डाक्टर ह अपन पाँचवी पास फेर मोबाइल एक्सपर्ट कम्पाउंडर ल बलाके मोबाइल ल धरे दूनो कोई इलाज खोली म खुसरगें।
पाँच मिनट बाद डाक्टर ह अइस अउ मोबाइल ल रामजी ल देवत कहिस --ले एला देख।
टप ले मोबाइल ल रामजी ह धर लिच अउ लकर धकर फेसबुख ल खोल के देखिस जिहाँ वोहा दू दिन पहिली -'कड़ही साग' शीर्षक ले कविता पोस्ट करे राहय तेमा सौ ठो लाइक, पचास ठो वाह वाह ,पचीस -पचीस ठो अनुपम के कमेंट पाँचे मिनट म आगे राहय। तहाँ ले ओकर मुरझाये चेहरा कमल असन खिलगे। खुरसी ले टिंग ले उठके ,दूनो हाथ जोड़के डाक्टर ल थैंक यू, शुक्रिया, कोटिक धन्यवाद, सादर प्रणाम घेरी बेरी कहे ल धर लिच।
बिन सूजी पानी के अपन गोंसइया ल ठीक होये देख के रम्हला ह बक्खागे। वोहा पूछिस--एला का होगे रहिसे बेटा।
कुछु नइ होये रहिसे दाई।अपन रचना म एको ठन कमेंट नइ देखके ए हा डिप्रेशन के शिकार होगे रहिसे। हमन इलाज कर देन।
ए हा अउ अइसने कभू बीमार पर सकथे का बेटा ? रम्हला पूछिस।
हाँ जब तक ए मोबाइल रइही।पूरा संभावना हे। कभू हार्ट अटेक घलो हो सकथे।डाक्टर कहिच।
अतका ल सुनके रामजी के हाथ ले मोबाइल ल नँगा के रम्हला कहिच--घर जाके अभीच्चे ए मोबाइल रोगहा ल लोड़हा म कुचरहूँ। तभे सदा दिन बर इलाज होही।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
गज़ब सुग्घर सर
ReplyDeleteहार्दिक आभार ज्ञानु भाई जी।
Deleteवाह्ह वाह नंगते सुग्घर व्यंग्य हे बादल भइया जी अब्बड़ सुग्घर 🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद मयारुक भाई।
Deleteबहुत सुन्दर गुरुदेव जी
ReplyDeleteधन्यवाद निषादराज जी।
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