*हमर भाषा - हमर गोठ*
-----------------
छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी के अंतर-सम्बन्ध एके बगीचा के फूल जइसन हे । बहुत पहिली ले हमर देश म बहुत अकन बोली -भाषा मन अपन- अपन क्षेत्र म बोले जावत रहिन हें अउ आज घलो अलग- अलग प्रदेश के तको अलग -अलग बोली- भाषा हावय। फेर सब्बो एक्के बगीचा के फूल आय अउ एही फूल ला चुन चुन के ज्ञानी- विज्ञानी, विद्वान साहित्यकार मन 17-18 ठिन बोली मन के माला गुथिन अउ हिन्दी भाषा ला आकार दिन।एमा सबले गुरतुर बोली छत्तीसगढ़ी हा घला शामिल हे। तभे सुग्घर , सरल अउ समृद्ध हिन्दी भाषा बनिस, जेला पूरा देश के मनखे बोले अउ समझे लगिन ।हिन्दी के सम्पर्क बहुत बड़े क्षेत्र म होय के कारण ओला *राष्ट्रभाषा* के पदवी मिलिस जइसे *गाँधी* *जी* ला *महात्मा* अउ *बापू* कइथन , *मैथिलीशरण गुप्त* अउ *रामधारीसिंह* *दिनकर* जी ला *राष्ट्रकवि* कहिथन-ठीक वइसने। एहा कोनो संविधान लिखित बात तो नोहय।
*हमर छत्तीसगढ़ी भाषा ह हिन्दी मा गुथें वोही माला के एक ठिन फूल आय जेमा चंदैनी गोंदा के कहर-महर, चिरईया फूल के सुघराई अउ* *महुआ फूल के मिठास* *भरे हे।*
*भारत माता के फुलवारी मा आनि-बानी भाषा-बोली के सुग्घर फूल लगे हे जेमा छत्तीसगढ़ी हा मधुरस कस सबले गुरतुर बोली-भाषा हे; सदा दिन ले एही फूल मन के रस के मिठास ह हमर देश के संस्कृति म रस घोलत हे। एही अमृत रस के कारण हमर देश ला सदा युवा र* *हे* *के* *वरदान मिले हे* ।
*जय हिन्दी, जय छत्तीसगढ़ी* 🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻
*वसन्ती वर्मा*
*बिलासपुर*
No comments:
Post a Comment