देश के आजादी मा छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन के योगदान
साहित्य ल समाज के दर्पन कहे जाथे. साहित्य के माध्यम ले जुन्ना बेरा के संगे संग वर्तमान बेरा के स्थित - परिस्थिति हा मालूम होथे. साहित्य ले हमर इतिहास के जानकारी होथे ता साहित्य हा इतिहास घलो गढ़थे. बंकिम चन्द्र चटर्जी के आनंद मठ के "वंदेमातरम", श्याम लाल पार्षद के "विजयी विश्व तिरंगा प्यारा", डा. मोहम्मद इकबाल के" सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा",रामप्रसाद बिस्मिल के "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है",सुभद्रा कुमारी चौहान के "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी "जइसन कालजयी रचना हा भारतवासी मन मा जिहां आजादी बर प्रेरणा दिस ता देश खातिर अपन जान के बाजी घलो लगा दिस. भारतेंदु हरिश्चंद्र हा" भारत दुर्दशा "लिखके जनता मन मा जागृति फैलाइस. हमर छत्तीसगढ मा घलो बुधियार साहित्यकार मन हा अपन फर्ज ला सुग्घर ढंग ले निभाइन. पं सुंदर लाल शर्मा, गिरवर दास वैष्णव,कुंज बिहारी चौबे, खूबचंद बघेल, हरि ठाकुर, केयूर भूषण,कोदू राम दलित, द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र अउ आने बुधियार साहित्यकार मन अपन कलम के माध्यम ले जिहां जन जागरण फैलाइस ता खुद आंदोलन के अगुवाई घलो करिन. माधव राव सप्रे हा सन 1900 मा पेण्ड्रा ( बिलासपुर) ले एक साहित्यिक पत्रिका' छत्तीसगढ़ मित्र ' के प्रकाशन करिन ता राजनांदगांव मा त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह हा सन 1909 मा सरस्वती पुस्तकालय के स्थापना करिन. येकर माध्यम ले छत्तीसगढ़ के जनता मा जागृति आइस. असहयोग आन्दोलन के बेरा मा छात्र मन शासकीय स्कूल के बहिष्कार करिन. अइसन स्थिति मा 5 फरवरी 1921 मा रायपुर मा एक राष्ट्रीय विद्यालय खोले गिस. विद्यालय के स्थापना खातिर माधव राव सप्रे हा सियान मन के बैठक बुलाईस. येमा स्थानीय नेता मन के संग पं. रविशंकर शुक्ल के सक्रिय सहयोग रीहिन. पं. माखनलाल चतुर्वेदी जी हा राष्ट्रीय जागरण के उद्देश्य ले कर्मवीर पत्रिका के संपादन करिन. चतुर्वेदी जी ला अंगेज सरकार हा गिरफ्तार कर लिस .12 जून 1921 मा आरोप लगा के कारावास के सजा दे दिस.ये घटना के विरोध मा बिलासपुर मा पं. रविशंकर शुक्ल के अध्यक्षता मा एक बड़का सार्वजनिक सभा होइस. येमा प्रमुख वक्ता ई. राघवेन्द्र राव रीहिन. येकर ले बिलासपुर मा अंग्रेजी शासन के विरुद्ध असंतोष पनप गे.
ता आवव हमन हमर छत्तीसगढ के साहित्यकार मन के आजादी मा कइसन योगदान हे वोकर चर्चा करथन.
पं. सुंदर लाल शर्मा - छत्तीसगढ़ के गांधी नांव ले प्रसिद्ध पं. सुंदर लाल शर्मा हा हमर छत्तीसगढ मा सामाजिक अउ राजनीतिक आंदोलन के अगुवा माने जाथे. वोहा बड़का साहित्यकार के संगे संग स्वतंत्रता सेनानी रिहिस.प्रयागराज राजिम के तीर चमसूर गांव मा सन 1881 मा अवतरे शर्मा जी हा दानलीला प्रबंध काव्य लिख के प्रसिद्धि पाइस ता आजादी के आंदोलन मा घलो बढ़- चढ़ के भाग लिन. अनुसूचित जाति मन के उद्धार खातिर अब्बड़ योगदान दिस ता वोमन ला राजीव लोचन मंदिर मा प्रवेश कराके एक बड़का कारज करिस. येकर बर खुद वोकर समाज ले नंगत ताना सुने ला पड़िस. पर वोहा हार नइ मानिस. ये कारज ला तो वोहा सन 1917 ले चालू कर दे रिहिन तभे तो जब महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ आना होइस ता ये काम बर वोला अपन गुरु कहिके अब्बड़ सम्मान दिस.
शर्मा जी हा अपन राजनीतिक जीवन के शुरूआत सन 1905 ले करिन. 1906 मा वोहा सामाजिक सुधार अउ जनता मा राजनीतिक जागृति फैलाय खातिर "संमित्र मंडल" के स्थापना करिन.1907 के सूरत कांग्रेस अधिवेशन मा शर्मा जी हा भाग लिस. इहां उपद्रव के बेरा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ला मंच मा चढ़ाय मा जउन लोगन मन के भूमिका रिहिन वोमा नवजवान शर्मा घलो अगुवा रिहिन. ये अधिवेशन मा कांग्रेस हा गरम अउ नरम दल मा बंटगे. कांग्रेस अउ देश मा मा नवा तेवर के नेता लोकमान्य बालगंगाधर तिलक,लाला लाजपतराय अउ विपिन चन्द्र पाल हा अब्बड़ लोकप्रिय नेता के रूप मा उभरिन.
रायपुर मा सतनामी आश्रम खोलिस.वोहा सतनामी भजनावली ग्रंथ के रचना करिन. शर्मा जी हा लाल-बाल-पाल युग मा सन 1910 मा राजिम मा पहली स्वदेशी दुकान लगाय के कारज करिन. शर्मा जी हा सन 1918 मा भगवान राजीव लोचन मंदिर राजिम मा कहार मन के प्रवेश के आंदोलन चलाइस.
सन 1920 मा असहयोग आंदोलन के बेरा मा हमर छत्तीसगढ मा कंडेल सत्याग्रह चलिस. येकर अगुवाई शर्मा जी, नारायण लाल मेघावाले अउ छोटे लाल श्रीवास्तव हा करिन. किसान मन नहर जल कर ले नंगत परेसान रिहिस. शर्मा जी के अब्बड़ प्रयास ले 20 दिसंबर 1920 मा गांधीजी के रायपुर,धमतरी अउ कुरूद आना होइस. गांधीजी के पहली बार छत्तीसगढ़ आय ले इहां के जनता मा अब्बड़ उछाह छमागे. अइसन बेरा मा अंग्रेजी शासन ला झुके ला पड़िस अउ किसान मन के नहर जल कर हा माफ कर दे गिस.
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21 जनवरी 1922 मा सिहावा नगरी मा जंगल सत्याग्रह होइस. लकड़ी काट के ये सत्याग्रह के शुरूआत करे गिस.येकर मौखिक सूचना वन विभाग के स्थानीय अधिकारी मन ला दे गिस.
येकर अगुवाई शर्मा जी अउ नारायण लाल मेघावाले करिन. इंहा वन विभाग के अधिकारी मन आदिवासी जनता ला कम मजदूरी देवय.संगे संग आने प्रकार ले शोषण करय. आंदोलन के जोर पकड़े ले आदिवासी मन के मांग मान ले गिस. इही बेरा मा शर्मा जी ला अंग्रेज शासन हा गिरफ्तार कर लिस. वोला एक बछर अउ मेघावाले ला आठ माह के सजा सुनाय गिस. ये बेरा मा 1922 मा जेल पत्रिका ( श्रीकृष्ण जन्म स्थान) रचना लिखिस.
शर्मा जी हा " भारत में अंग्रेजी राज" रचना लिखे रिहिन तेला अंग्रेज सरकार हा प्रतिबंधित कर दिस.
23 नवंबर 1925 मा शर्मा जी के अगुवाई मा अछूतोद्धार खातिर अस्पृश्य लोगन के एक बड़का समूह हा राजीव लोचन मंदिर मा प्रवेश करके पूजा- पाठ करिन. अनुसूचित जाति मन ला जनेऊ धारन करवाइस.
23 से 28 नवंबर 1933 के बीच गांधीजी के दूसरइया बार छत्तीसगढ़ मा आना होइस. ये बेरा मा गांधी जी हा अछूतोद्धार कारज के अवलोकन करिन अउ अब्बड़ प्रशंसा करिन.28 दिसंबर 1940 मा शर्मा जी के निधन होइस. ता ये प्रकार ले हम देखथन कि शर्मा जी के सोर साहित्य के संगे संग आजादी के सेनानी के रूप मा बगरिस.वोहा संवेदनशील रचनाकार के संगे संग मंजे हुए राजनीतिज्ञ रीहिन. शर्मा जी हा छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम संकल्पना करिन
कुंजबिहारी चौबे - संस्कारधानी राजनांदगांव मा 15 जुलाई 1916 मा जनम होइस.सिरिफ 16 साल के उमर ले वोहा हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी मा रचना लिखे के चालू करिस.वोकर कविता मा आक्रोश, क्रांतिकारी विचार, निर्भीकता, स्वाभिमान अउ विद्रोह के भाव राहय. वोकर पहिचान विद्रोही कवि के रूप मा होइस. वोहा कर्म ले क्रांतिकारी अउ मन ले कवि रीहिन.स्वतंत्रता आंदोलन मा छत्तीसगढ़ के क्रांतिकारी कवि के रूप मा नांव ले जाथे.विद्रोही कवि के रुप मा पहचान बनइया चौबे जी के प्रमुख कविता मा " बियासी के नागर","मैं पापों का शुचि गान किया करता हूं "शामिल हावय. छात्र जीवन मा अपन स्कूल मा अंग्रेज मन के झंडा ला निकाल दिस तेकर सेति वोला बेत ले मारे गिस तभो ले ये वीर बालक हा भारत माता की जय अउ महात्मा गांधी की जय बोलत रिहिन. वोकर ये रचना ले अब्बड़ प्रसिद्ध कमाइस - "अंग्रेज तंय हा हमला बनायेस कंगला, लूट - लूट के तंय हा टेकायेस बंगला".वोकर 100 कविता के संग्रह" अवशेष " नांव ले प्रकाशित होइस. छत्तीसगढ़ी मा कम रचना उपलब्ध होय के कारण साहित्यकार पं. दानेश्वर शर्मा जी हा येला छत्तीसगढ़ के चंद्रधर शर्मा गुलेरी किहिस. सन 1943 मा कम उमर मा ये विद्रोही कवि के देहावसान होगे.
द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र -
छत्तीसगढ़ ला एक अलग राज्य के रूप मा स्थापित करे खातिर साहित्य अउ जन आंदोलन के माध्यम ले सुग्घर उदिम करइया रचनाकार मन मा पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी' विप्र ' के नांव प्रसिद्ध हे.
विप्र जी के जनम 6 जुलाई 1908 मा बिलासपुर मा अउ 2 जनवरी 1982 मा निधन होइस. विप्र जी 1922 ले सरलग 60 बछर तक छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी मा हजारों कविता, निबंध अउ एकांकी के सृजन करिन.विप्र जी हा नवजवान रीहिन तब ले छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी के सेवा बर अपन जिनगी ला समर्पित कर दिस. उंकर पहली किताब" कुछु कांही" सन 1934 मा प्रकाशित होइस.पर 1958 मा प्रकाशित उंकर कविता संग्रह " सुराज गीत" ले अब्बड़ लोकप्रिय होइस. उंकर जिनगी एक रचनात्मक आंदोलन रीहिन. विप्र जी कवि सम्मेलन मा खूब सराहे गिस. विप्र जी के गीत 'धमनी के हाट' आजो जन जन मा लोकप्रिय हावय.
कृति - सुराज गीत, गांधी गीत , धमनी के हाट , कुछु कांही,डबकत गीत,राम अउ केंवट संवाद. विप्र जी के रचना के संकलन नंद किशोर तिवारी जी के संपादन मा लोकाक्षर पत्रिका के द्वारा प्रकाशित कराय गे हावय.
गिरिवर दास वैष्णव - वैष्णव जी के जनम सन 1897 मा बलौदा बाजार के गांव मांचाभाठा देंदुआ मा होइस.
कृति- छत्तीसगढ़ सुराज गीत
कोदू राम दलित - जन कवि कोदू राम दलित कुंडलियां लेखन खातिर अब्बड़ प्रसिद्ध हे. वोहा छत्तीसगढ़ के गिरधर कवि राय के नांव ले प्रसिद्ध हावय.दलित जी के जनम 5 मार्च1910 मा बालोद जिला के अर्जुन्दा ले लगे गांव टिकरी मा होय रीहिस. दुर्ग मा शिक्षकीय कार्य के दायित्व निभावत साहित्य सेवा करिन.दलित जी के रचना मा अंग्रेजी शासन के खिलाफ प्रतिकार देखे ला मिलथे या दूसर कोति गांधीवादी विचारधारा ले ओत प्रोत रचना के सृजन करे हावय. दलित जी के रचना मा सियानी गोठ ,हमर देश, कृष्ण जन्म, बहुजन हिताय बहुजन सुखाय ,छन्नर- छन्नर पैरी बाजय, कनवा समधी,अलहन,दू मितान प्रमुख हे. दलित जी कवि सम्मेलन के सफल कवि रीहिन. हास्य व्यंग्य मा माहिर रीहिन. दलित जी के देहावसान 28 सितंबर 1967 मा होइस. दलित जी के पुत्र आदरणीय अरुण कुमार निगम जी छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार हे. छंद के छ नांव ले नि: शुल्क आनलाइन क्लास चलाथे. संगे संग छत्तीसगढ़ी पद्य खजाना अउ छत्तीसगढ़ी गद्य खजाना नांव ले ब्लाग चलात हे .
खूबचंद बघेल - पेशे ले चिकित्सक,समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार , राजनीतिज्ञ अउ पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के सपना देखइया डा. खूबचंद बघेल के जनम 19 जुलाई 1900 मा रायपुर जिले के पथरी गांव मा होइस. उंकर पिता जी के जुड़ावन प्रसाद अउ माता के नांव केकती बाई रीहिन. राज कुंवर के संग बिहाव होइस.
रायपुर मा पढ़ाई करत रीहिन ता पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र के संपर्क मा आइन अउ राजनीति मा रूचि ले लगिस.सन 1920 मा कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन मा भाग लेइस.असहयोग आंदोलन के बेरा मा अपन मेडिकल कॉलेज के पढ़ाई ला छोड़ के खादी के प्रचार मा लग गे.जेल के सजा होइस फेर उहां ले लहुंट के 1923 मा एल.एम.पी. (एम. बी. बीएस.) के परीक्षा पास करिन.बघेल जी 1925 मा एल.एल. बी. के परीक्षा पास करिन. 13 अप्रैल 1930 मा रायपुर मा आयोजित महाकौशल राजनीतिक परिषद के अधिवेशन मा भाग लिस.
1931 मा सहायक चिकित्सा अधिकारी के पद ला छोड़ के कांग्रेस मा प्रवेश करिन.1931 मा स्वयं सेवक संगठन के स्थापना करिन. भारत छोड़ो आन्दोलन के बेरा मा मुंबई अधिवेशन मा शामिल होय बर जावत रीहिन तब 9अगस्त 1942 मा छत्तीसगढ़ के आने नेता मन के संग मलकापुर रेलवे स्टेशन ले गिरफ्तार कर ले गिस. वोकर संग उंकर धर्म पत्नी राज कुंवर देवी ला घलो 6 माह के जेल होइस. डा. साहब ला नागपुर के सेन्ट्रल जेल मा राखे गिस.
नाटक के माध्यम ले समाज सुधार -
डा. साहब हा छत्तीसगढ़ मा व्यापत छुआछूत अउ पिछड़ा पन के पीरा ले भली भांति परीचित रीहिन. येहा वोला अब्बड़ पीरा देय. अउ ये पीरा ला दूर करे खातिर साहित्य सेवा के माध्यम ले एक आंदोलन चलाइस. अपन समाज के एक सियान के सामाजिक बहिष्कार हा वोला नाटक लिखे बर प्रेरित करिन.डा. साहब छत्तीसगढ़ के पहली नाटककार माने जाथे.स्वतंत्रता आंदोलन के समय" ऊंच नीच" नाटक लिख के वोकर मंचन घलो कराइन. अपन कूर्मि समाज ला एकता के सूत्र मा बांधे पर सुग्घर उदिम करिन. वो खुद मनवा कुर्मी रीहिन अउ अपन बेटी के बिहाव दिल्लीवार कुर्मी समाज मा करिन. वइसने छोटे बेटी के बिहाव राजेश्वर पटेल संग करिन. ये कारज के कीमत वोहा अपन सामाजिक बहिष्कार के रूप मा चुकाइस.आजादी के बाद करम छंड़हा,लेड़गा,जनरैल सिंह ,बेटवा बिहाव, किसान के करलई
नाटक लिख के छत्तीसगढ़ अंचल मा जन जागृति फैलाय के काम करिन.
आजादी के बाद कांग्रेस ले वोकर मोह भंग होगे 1950 मा आचार्य कृपलानी के किसान मजदूर पार्टी मा शामिल होगे. डा. साहब 1951 ले 1962 तक विधायक रीहिन.1956 मा राजनांदगांव मा उंकर अध्यक्षता मा छत्तीसगढ़ महासभा के गठन होइस . डा. साहब येकर माध्यम ले अलग छत्तीसगढ़ राज्य बर उदिम करिन.1965 मा संसद बर चुने गिस. वोहा राज्य सभा के सदस्य बनाय गिस. राजनीति ले 1968 तक जुड़े रीहिन. डा. साहब 22 फरवरी 1969 मा अपन नश्वर शरीर ला छोड़ के स्वर्गवासी बन गे. छत्तीसगढ़ के अस्मिता के रखवार डा. साहब हा
अपन जस रूपी शरीर ले हम सब के बीच अमर हे.
हरि ठाकुर - छत्तीसगढ़ के अस्मिता के गायक, अलग छत्तीसगढ़ राज्य बर आंदोलन के अगुवाई करइया हरि ठाकुर के पूरा नांव ठाकुर हरिनारायण सिंह रीहिन. वोहा त्यागमूर्ति, स्वतंत्रता सेनानी अउ मजदूर नेता ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह के सपूत रीहिन. उंकर जनम 16 अगस्त 1927 मा रायपुर मा होइस. ठाकुर साहब स्वतंत्रता सेनानी परिवार ले रीहिन. स्वाभाविक रूप से वोहा स्वतंत्रता आंदोलन मा भाग लिस. 50 -60 के दशक मा नारायण लाल परमार अउ देवी प्रसाद वर्मा के संग मिल के छत्तीसगढ़ मा साहित्यिक चेतना बर सुग्घर उदिम करिन. 1963 मा ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह के जीवनी लिखिन. ठाकुर साहब के शोध निबंध उत्तर कौशल बनाम दक्षिण कौशल अउ शहीद वीर नारायण सिंह पर बड़का कविता लिखिन जउन 1990 मा प्रकाशित होइस. ये दूनों कृति हा छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान ला जगाय के काम करिन. कुछ समीक्षक मन येला छत्तीसगढ़ी मा लिखे वीर रस के पहली खंड काव्य मानिन. कृतिकार अउ चिंतक ठाकुर साहब हा जिनगी भर सुग्घर कारज करिन.1965 मा राजनांदगांव के विद्रोही कवि कुंजबिहारी चौबे के छत्तीसगढ़ी कविता के संपादन अउ प्रकाशन के संगे संग "धनी धरम दास के छत्तीसगढ़ी पद" , छत्तीसगढ़ी दान लीला के संपादन करिन. हरि ठाकुर के देहावसान 3 दिसंबर 2001 मा होइस.
अइसने छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन आजादी के आंदोलन मा भाग लिस या तो अपन रचना के माध्यम ले जनता मा आजादी के भावना जगाइस वोमा पं. मुकुटधर पांडे,कपिलनाथ कश्यप, प्यारे लाल गुप्त,केयूर भूषण, पुरूषोत्तम लाल,विश्वंभर यादव मरहा,मेहत्तर राम साहू के नांव प्रमुख हे.
- ओमप्रकाश साहू 'अंकुर '
सुरगी, राजनांदगांव ( छ.ग.)
मो.7974666840
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