Saturday, 26 August 2023

गाँधी चौरा चन्द्रहास साहू



गाँधी चौरा

                                   चन्द्रहास साहू

                             मो- 8120578897

                             

जब ले जानबा होइस कि मेहाँ अपन पार्टी के युवा प्रकोष्ठ के मुखिया बन गेंव-अहा ह... अब्बड़ उछाह होइस। अतका उछाह तो तीसरइया बेरा मा बारवी पास करेंव तब नइ होइस। सिरतोन मोर मन अब्बड़ गमकत हावय। ये पद के दउड़ मा दसो झन रिहिन। बड़का अधिकारी के बेटा, नेता बैपारी अउ विधायक के टूरा मन घला रिहिन फेर पद मिलिस- मोला। 

                     महुँ पद पाये के पुरती अब्बड़ बुता करे हँव। टोटा के सुखावत ले नारा बोलाये हँव। पार्टी के बैनर पोस्टर बांधे हँव, झंडा ला बुलंद करे बर अब्बड़ पछिना बोहाये हँव.... लहू घला बोहाये हँव। आज युवा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष...काली मूल पार्टी मा जगा ..परनदिन विधायक.. मंत्री... मुख्यमंत्री अउ बने-बने होगे तब प्रधानमंत्री। अब्बड़ सपना सजत हे मन मा। जब चायवाला हा बड़का खुरसी मा बइठ सकत हे तब मेहाँ काबर नही.....? बन सकत हँव, लोकतंत्र मा सब हो सकथे। मुचकावत ददा ला बतायेंव, मोर पद प्रतिष्ठा ला।

"ददा ! मोला ढ़ाई हजार रुपिया देतो गा। मोर पार्टी वाला मन ला मिठाई बाँटहू।''

ददा भैरा होगे। कोन जन ओखर कान कइसे बने हाबे ते...? पइसा मांगबे तब नइ सुनाये अउ फायदा वाला गोठ करबे तब झटकुन सुना जाथे। अभिन दुसरिया दरी के तब सुनिस।

"येमा का उछाह के गोठ आय बाबू ! नेता गिरी तो सबसे घटिया बुता आवय। बेटा सुनील चपरासी  के बुता करतेस... पनही खिलतेस  तभो उछाह होतिस मोला फेर...?''

ददा ला टोंकत केहेंव।

"तेहाँ काला जानबे। कुँआ के मेचका ..? आजकल नेता मन के जतका मान-गौन हाबे ओतका काखरो नइ हाबे। भुइयाँ के भगवान आवय ये कलजुग मा इही मन।''

"लुहुंग-लुहुंग नेता मन के पाछू-पाछू जाना, जय बोलाना.. कोनो भक्ति नोहे सुनील। चापलूसी आवय...।''

ददा रट्ट ले किहिस।

"तेहाँ तो जीवन भर मोर बिरोध करथस ददा ! ओखरे सेती तो आगू नइ बढ़ सकेंव। गुजरात कमाये ला जाहू केहेंव तब छत्तीसगढ़ ला छोड़ के झन जा कहिके बरजेस। आर्मी मा जाहू केहेंव तब एकलौता हरस केहे। दारू ठेकेदारी मा अब्बड़ पइसा कमाये ला मिलत रिहिस तब जम्मो बुता ला बिगाड़ देस...। तब का करो...?''

ददा संग तारी नइ पटिस कभू, आज घला होगे बातिक-बाता। दुलारत तीन हजार रुपिया दिस दाई हा अउ मेहाँ चल देव बाजार-हाट कोती।

                   सबले आगू मोर बुलेट मा पार्टी के नाव ला चमकायेंव। रेडियम ले यूथ प्रेसिडेंट लिखवायेंव। पाछू कोती नेम प्लेट मा शहीद भगत सिंह के फोटू छपवायेंव। फटफटी दुकान ले हाई-साउंड वाला भोपू लगवायेंव -वीआईपी हॉर्न। मार्केट मा नवा उतरे हाबे भलुक कमजोर दिल वाला मन झझकके मर जाही फेर जियाईया मन जान डारही यूथ प्रेसिडेंट के गाड़ी आय अइसे।

               अब सब जान डारिस। अब्बड़ स्वागत वंदन होइस मोर। बाइक रैली निकलिस, जय बोलाइस.... माला पहिराइस।  पोस्टर बेनर सब लग गे मोर नाव के। घर मा मिलइयाँ-जुलइयाँ के भरमार होगे।

 शहर के बड़का अखबार मा मोर फोटू छपे रिहिस आज। दाई के चेहरा मा गरब रिहिस, मुचकावत रिहिस फेर ददा तो मुरझाये रिहिस।

"देख मोर बेटा सुनील ला ! पेपर मा छपे हे। टीवी मा आथे। कतका नाव कमावत हाबे मोर दुलरवा हा। तोर तो... मास्टर जीवन मा एके पईत फोटू आइस- बइला बरोबर मतदान पेटी ला लाद के चुनाव करवाये बर जावत रेहेस।''

दाई किहिस छाती फुलोवत। ददा रगरागये लागिस तभो ले- मुक्का। कुछु नइ किहिस। ससन भर दाई ला देखिस अउ भगवान खोली कोती चल दिस। 

"बाबू अइसनेच आय मम्मी ! दीदी मन पचर्रा साग रांधही तहुँ ला हाँस- हाँस के गोठियाही,चांट-चांट के खाही, तारीफ करही अउ मोर बर.... कंतरी हो जाथे। मुहूँ उतरे रहिथे। सौहत ब्रम्हदेव ले वरदान मांगे के होही तब न दाई... बाबू ला उछाह होये के वरदान माँगबो। दिन भर हाँसत रही।''

ददा के खिल्ली उड़ाये लागेंव मेहा।

"टार रे तहुँ हा..., मोर तबियत बने नइ लागत हे तोर धरना प्रदर्शन ला निपटा ताहन डॉक्टर करा लेके जाबे मोला, चार दिन होगे काहत...।''

दाई हुकारु दिस अऊ हाँसत अपन कुरिया मा चल दिस।

                 फोन बाजिस। प्रदेश अध्यक्ष के फोन रिहिस।

"हलो ! भइया जी परनाम।''

" देख सुनील ! बाढ़त मँहगाई उप्पर सरकार ला जगाये बर धरना प्रदर्शन करना हे। मंत्री जी के पुतला दहन करना हे। तोर नेतृत्व मा होही गाँधी चौक मा। बढ़िया परफॉर्मेंस करबे। जादा ले जादा मिडिया कवरेज होना चाही भलुक सरकारी संपत्ति ला जतका जादा ले जादा नुकसान हो जावय ओतकी जादा मिडिया कवरेज मिलही..।''

"जी भइया जी ! जिला भर के जम्मो यूथ अउ महिला विंग ला घला संघेरबो अउ सरकार ला जमके घेरबो फेर ..पुलिस के तगड़ा बंदोबस्त रही तब ...?'' 

संसो करत पुछेंव मेहाँ।

"संसो झन कर। पुलिस के बुता ही हरे मारना, नही ते... मार खाना। यूथ मन ला मारही तभो बने हे अउ मार खाही तभो बने हे। चीट घला हमर अउ पट्ट घला हमर। रायपुर अम्बिकापुर कोरबा कवर्धा के घटना ला जानथस। जतका हंगामा ओतकी प्रसिद्धि...। देश भर मा गोठ-बात होवत हे आज ले...। जादा संसो झन कर एसपी ले बात कर लुहु अपनेच आदमी हरे ओहा। अरे हा ...गाँधी जी के मूर्ती ला कुछु नइ होना चाही..। धियान राखबे एक खरोच घला नइ होना हे। आजकल बिचारा गाँधी जी वाला मामला बहुत संवेदनशील होगे हे।''

"जी भइया जी ! परनाम।''

प्रदेश अध्यक्ष भइया जी हा मंतर दे दे रिहिस।

                       गाँव-गाँव ले गाड़ी निकलिस। भर-भर के जवनहा मन आइस अउ गाँधी चौक मा सकेलाये लागिस। मंच साजगे। सफेद कुरता वाला मन अब माइक मा आके संसो करत हे नून-तेल, दार-आटा, पेट्रोल-डीजल के बाढ़े कीमत उप्पर। जवनहा मन के लहू मा उबाल मारत हे तब मोटियारी मन कहाँ पाछू रही...? अवइया-जवइया मन ला आलू गोंदली के माला पहिराके समर्थन मांगत हे। कोनो थारी बजावत हे तब कोनो बेलन धरे हे। अब्बड़ क्रिएटिव हाबे ये पढ़े-लिखे जवनहा मन। मार्केटिंग करे ला बढ़िया जानथे। चौमासा मा हाइवे के गड्डा मा रोपा लगाके बिरोध प्रदर्शन करिस। देश भर मा छा गे,अभिन सड़क मा जेवन बनाथे। पाछू दरी तो एक झन जवनहा हा पेट्रोल डीजल के बाढ़त कीमत के बिरोध करत पेट्रोल मा नहा डारिस। धन हे पुलिस वाला मन बेरा राहत ले अपन कस्टडी मा ले लिस नही ते तमासा देखइया बर काखरो जान तो संडेवा काड़ी आवय... कभू भी बार ले।

              भीड़ बाढ़े लागिस। सादा ओन्हा वाला के भाषण अब बीख उलगत रिहिस।  पुलिस वाला मन घला अपन लौठी ला तेल पीया डारे हे। भीड़ ले मंत्री जी के पुतला ला आनिस जी भर के बखानिस अउ पेट्रोल डार के बारे के उदिम करिस। पुलिस डंडा भांजे लागिस। अब झूमा-झटकी, धर-पकड़, लड़ई-झगरा, गारी-बखाना होये लागिस। पुलिस वाला मन पुतला ला नंगाये अउ यूथ नेता मन लुकाये लागिस। मैदान ले अब सदर मा आगे। दुकान साजे हे-किराना,कपड़ा, लोहा, सोना-चांदी,मेडिकल अस्पताल, बुक डिपो ...।

मंत्री जी के पुतला मा आगी लगगे। अब छीना-झपटी अउ बाढ़गे। कतको झन बाचीस कतको झन रौंदाइस।...अउ अब बरत पुतला अइसे उछलिस कि अस्पताल के मोहाटी मा ठाड़े माईलोगिन के काया मा चिपकगे। गिंगिया डारिस। ....बचाओ ! बचाओ के आरो । पागी-पटका, लुगरा-पाटा बरे लागिस। पुलिस वाला मन बचाइस अउ अस्पताल मा भर्ती करिस। अब जम्मो जवनहा मोटियारी मन जीत के उछाह मनावत हे। मिडिया वाला मन घला मिरचा- मसाला लगाके जनता ला बतावत हे। अउ मेहाँ ..? महुँ बतावत हव।

"हलो, भइया जी परनाम ! भैया जी टीवी मा न्यूज देख लेबे। अब्बड़ कवरेज मिलत हाबे। जम्मो कोती हमर प्रदर्शन के गोठ-बात होवत हे।

"हांव, तोर असन कर्मठ जुझारू अउ माटीपुत्र के जरूरत हे। लगे रहो.. अब्बड़ तरक्की पाबे।''

           भइया जी आसीस दिस अउ फोन कटगे। 

                    तभे मोर  गाल मा काखरो झन्नाटेदार थपरा परिस। आँखी बरगे। गाल लाल होगे। लोर उपटगे।आँखी उघारेंव बाबूजी आगू मा ठाड़े रिहिस। हफरत रिहिस, खिसियावत रिहिस। 

"बेटा ! तोला पहिली मारे रहितेंव ते बने होतिस। समाज बर कलंक तो नइ होतेस। मंत्री जी के पुतला दहन करत मोर गोसाइन ला आगी लगा देस आज। अपन दाई ला मार डारेस। ददा रोवत रिहिस। अउ चीर घर कोती रेंग दिस। मेहाँ अब गाँधी चौरा मा ठाड़े हावव...अकेल्ला। सब चल दिस मोला छोड़के।....थरथराये लागेंव।....बइठ गेंव गाँधी चौरा मा।

                         अब गुने लागेंव जम्मो ला, धरना प्रदर्शन के बहाना हम का करत रेहेंन......?  गांधी जी के मूर्ति के आगू मा का होवत रिहिस...? महामानव गाँधी जी के  आत्मा रोवत होही जम्मो ला देख के। कतका बलिदान दिस। साधु बनके एक धोती पहिरके जिनगी पहाइस। सत्य अहिंसा के पाठ पढ़ाइस अउ हमन......? मोटियारी-जवनहा हो तुही मन भारत के भविस आवव। काखर भभकी मा आके मइलावत हव। जौन डारी मा ठाड़े हव उँही ला कांटहु तब भकरस ले गिर नइ जाहू...? जौन घर मा हाबो तौने ला बारहु तब भूंजा लेसा नइ जाहू तँहु मन.....? भलुक भगतसिंह बरोबर फांसी मा झन झूल, सुभाष चन्द्र बोस बरोबर कोनो सेना टोली झन बना, शहीद वीर नारायणसिंह  बरोबर काखरो गोदाम ला झन लूट...। बस एक बुता कर मोर मयारुक जवनहा मोटियारी हो ! लांघन ला जेवन करा दे, पियासा ला पानी पीया दे, आने के दुख ला अपन मान अउ सरकारी सम्पति ला अपन मान के हिफाजत कर...। 

आनी-बानी के बिचार आवत हे। जइसे गाँधी जी सौहत गोठियावत हे मोर संग। आँखी ले ऑंसू बोहावत हे कभू दाई के दुलार आँखी मा झूलत हे तब कभू ये गाँधी चौरा के गाँधी जी के चेहरा...। 

         अब मन ला धीरज धराके उठेंव संकल्प के साथ। इस्तीफा दुहूँ अपन पार्टी ले। अउ इहीं गाँधी चौरा के चार झन गरीब मन ला दू-दू रोटी दुहूँ। बाल्टी भर पानी पियाहूँ अउ सरकारी संपत्ति ला  अपन मानहूं। तब मोर दाई के आत्मा ला मोक्ष मिलही...। संकल्प आवय जौन कभू नइ टूटे...। 

"दाई !''

आरो करत चीर घर कोती रेंग देव अब ददा के सहारा बने बर।


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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी

जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़

पिन 493773

मो. क्र. 8120578897

Email ID csahu812@gmail.com


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पोखनलाल जायसवाल:


 सपना सबो देखथें, सपना देखे म कोनो पइसा-कौड़ी तो लगनच नइ हे। इही सपना के थाँगा ल धरे लोगन जोर आजमाइस करथें। अउ सरग ल छुए के कोशिश करथें। आज दुए ठउर दिखथे, जिहाँ लोगन अपन किस्मत जादा अजमाथें, एक पीएससी के परीक्षा पास कर अधिकारी बने के अउ दूसर राजनीति के घोड़ा म सवार हो टसन दिखाय के। अधिकारी बने अउ राजनीति के भ्रमजाल अतेक लुभावना हे कि नवापीढ़ी फँसत चले जाथे। इही च दूनो म सरग अमरे के चांस बड़ हे। फेर पहलइया बर दिन-रात पढ़े ल लागथे, खाय के फुरसत राहय न अपन हितवा मन ले गोठियाय के बेरा। दूसरइया बर तो बस जी हुजूरी ले काम आगू बढ़त रहिथे। बस.. पार्टी के झंडा थामे के शर्त रहिथे। आजकल दूसरइया ठउर म भीड़ भारी हे, तब ले नाना किसम के पार्टी के चलत अवसर झटकुन मिल जथे। हर्रा लगे न फिटकरी, रंग चोखा के चोखा। नवा पीढ़ी झंडा थामे बड़ आस ले जुड़ जथे। छोटे मोटे पद पाके मगन रहिथे अउ बड़का सपना सँजोये लगथे।

          मनखे के मन बड़ चंचल होथे, एक ठन ठाँव या पड़ाव मिलिस तहान ले पाँव भुइयाँ म नि माढ़े ल धरय। अधरे अधर चले लगथे। हवा म उड़े लगथे।

          राजनीति के बाट चलइया मन ल घर ले जादा पार्टी बर मोह हो जथे। घरवाले मन बर समय नइ राहय अउ पार्टी बर नेता जी के बुलावा आइस समय ए समय रहिथे। कतको ह एक पाँव म खड़े च नजर आथे। जना मना उही ह सिपाही हरे। घर परिवार के बलिदान ले राजनीति के सरग निसैनी चढ़े जा सकत हे। 

           लोकतंत्र के स्वतंत्रता अउ राजनीतिक महत्वाकांक्षा ल लेके चंद्रहास साहू ह 'गाँधी चौरा' शीर्षक ले सुग्घर कहानी गढ़े हे। कहानी म बीच-बीच म व्यंग्य के सुघर समाव हे। राजनीति म एक ल मात देबर दूसर ह का का प्रपंच रच सकथे? कइसे आगू बढ़ सकथे, एकर मनोवैज्ञानिक पहलू कहानी म मिलथे। सत्ता बर राजनीतिक दल कोन हद तक दलदल म उतर सकथे यहू ल कहानीकार बड़़ साफगोई के संग लिखे हे।

             ए कहानी एक सामान्य कार्यकर्ता के राजनीतिक महत्वाकांक्षा के आगू पार्टी बर ओकर समर्पण भाव के प्रकटीकरण करे म सक्षम हे, त अति उत्साह म पार्टी के झंडा धरइया उत्साही युवा मन अपन नकसान कर डारथें, एकर आरो घलव कहानी म हे। अभी तक राजनीति के घोड़ा म सवार सिरिफ गिनती के मनखे ह सरग के ऊँचई म अपन पाँव जमा पाय हे। सरग ल छुए के सबो के सपना सच नइ होवय। सरग के ऊँचई छूना अतका आसान नइ हे, जतका मनखे सोंच लेथे।

            राजनीति विरोध प्रदर्शन के बिगन चमकय नहीं। जनता ल अपन जागत रहे के सबूत दे बर प्रदर्शन जरूरी हे। ए प्रदर्शन के पीछू राजनीतिक मंशा का रहिथे, ए कहानी ए बात के भेद उजागर करथे। अपना काम बनता, भाड़ म जाय जनता।

             प्रदर्शन के आगी आँच म जब अपन घर लेसाथे, त सब नशा एक छिन म उतर जथे। राजनीति कतेक मइलाहा होगे हे यहू विचारे के मौका देवत कहानी म क्रिएटिविटी, कस्टडी, मार्केटिंग जइसे अँग्रेजी शब्द मन के सुघर प्रयोग हे। कहानी के विस्तार अपने तिर तखार के जाने पहचाने युवा पीढ़ी के उत्साह अउ जोश के आरो देथे।

          कहानी अपन शिल्प के संग पाठक ल मिल्की मारन नइ देवय अउ एक साँस म पाठक ले पढ़वाय म सफल हे। कहानी आज के राजनीति के म गाँधीजी के महत्तम ल बताथे, उहें राजनीतिक दल मन ऊपर एक ठन व्यंग्य बाण घलो हे, कि उन मन कति मेर ले कइसन बुता करत हे, एक पइत जरूर विचारैं। अउ इही कहानी के उद्देश्य के केंद्रीकरण आय। राजनीति ल आड़े हाथ लेवत बढ़िया कहानी बर सादर बधाई पठोवत हँव

पोखनलाल जायसवाल जी

           

पोखन लाल जायसवाल

पठारीडीह (पलारी)

जिला बलौदाबाजार भाटापारा

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