पुरखा के सुरता//
छत्तीसगढ़ म पत्रकारिता के पुरोधा स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी
आज के नवा छत्तीसगढ़ म पत्रकारिता के भीष्म पितामह के रूप म चिन्हारी रखइया पं. स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी जब बाइस बछर के रहिन तभे बछर 1942 म केशव प्रसाद वर्मा जी संग मिल के अग्रदूत समाचार पत्र के संपादन शुरू करे रिहिन हें. तब अग्रदूत ह साप्ताहिक पत्र के रूप म निकलत रिहिसे, जे ह बछर 1983 ले दैनिक समाचार पत्र के रूप म निकले के चालू होइस. अउ ए ह कतका संजोग के बात आय के बछर 1983 म घलो स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी ए अखबार संग सलाहकार संपादक के रूप म जुड़े रिहिन हें.
मोर जिनगी म जे मन लेखन के रद्दा म अंजोर बगरावत डहर देखाय के बड़का उदिम करीन वोमा त्रिवेदी जी के घलो बड़का ठउर हे. वइसे तो मैं अपन लेखक अउ शिक्षक सियान रामचंद्र वर्मा ल घर म लिखत-पढ़त देख के कागज-कलम डहार चेत करेंव, फेर एमा ठोसहा बुता अग्रदूत के कार्यालय म जाए के बाद ही होइस.
बछर 1982 के आखिर म मैं अग्रदूत अखबार म काम करे बर गेंव, तब अग्रदूत ह साप्ताहिक निकलत रिहिसे. बछर 1983 म ए ह दैनिक होइस. वो बखत मैं ह कम्पोजिटर के रूप म काम करे बर गे रेहेंव. कविता-कहानी लिखे के उदिम तो छात्र जीवन के बेरा ले अपन सियान ल लिखत-पढ़त देख के होगे रिहिस, फेर पत्रकारिता के समझ नइ रिहिसे.
अग्रदूत के दैनिक चालू होए के बाद एक दिन मैं एक लेख लिखेंव जेला आदरणीय स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी ल देखाएंव. वोला देख के उन खुश होगे, अउ वोमा कुछ काट-छांट कर के दैनिक अग्रदूत के संपादकीय वाले पृष्ठ म छाप दिए रिहिन हें. ए ह मोर जीवन के पहला प्रकाशन रिहिसे.
फेर मैं कविता कहानी तो पहिलीच के लिखत रेहेंव, भले वो मन कभू छपे नइ रिहिसे. आदरणीय त्रिवेदी जी के द्वारा मोर लेख ल छापे के बाद थोरिक हिम्मत बाढ़ीस, त फेर वो बखत दैनिक अग्रदूत म साहित्य संपादक के रूप म काम करत हमर अंचल के प्रसिद्ध व्यंग्यकार रहे विनोद शंकर शुक्ल जी ल अपन कविता अउ कहानी मनला देखाय लगेंव. आदरणीय शुक्ल जी घलो वोमन ल सुधार सुधार के अग्रदूत के साहित्यिक अंक मन म छाप देवत रिहिन हें.
तब तक मैं हिंदी म ही लिखत रेहेंव. ए ह संयोग के संगे-संग मोर बर सौभाग्य के बात आय के वो बखत अग्रदूत अखबार म स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी अउ विनोद शंकर शुक्ल जी के संगे-संग टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी घलो संपादकीय विभाग म रिहिन हें. पत्रकारिता के क्षेत्र म मोला त्रिवेदी जी प्रोत्साहित करीन अउ साहित्य लेखन डहार शुक्ल जी त छत्तीसगढ़ी लेखन खातिर टिकरिहा जी. एकरे मन के संगत ह मोर जीवन म गुरुकुल के बुता करीस.
स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी के जनम 1 जुलाई बछर 1920 म होए रिहिसे. उंकर सियान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. गया चरण त्रिवेदी जी रिहिन. त्रिवेदी जी के प्राथमिक शिक्षा रायपुर के नयापारा स्कूल म होए रिहिसे. जेला हमन सप्रे स्कूल के नॉव ले जानथन, वो ह तब लारी स्कूल के नॉव ले जाने जाय, जिहां त्रिवेदी जी हाईस्कूल के शिक्षा पाइन.
त्रिवेदी जी अपन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सियान ले प्रभावित होके नान्हे उमर ले ही देश के आजादी खातिर रेंगइया मन के रद्दा धर लिए रिहिन हें. बछर 1935 ले उन साहित्य अउ पत्रकारिता म सक्रिय होगे रिहिन हें. हिन्दी साहित्य मंडल रायपुर के साहित्यिक पत्रिका 'आलोक' के उन संपादक बनीन. एकर आगू बछर उनला कांग्रेस के पत्रिका के संपादक चुन ले गे रिहिन. बछर 1942 म केशव प्रसाद वर्मा जी के संग मिल के अग्रदूत के संपादन करे लगिन. बछर 1946 म महाकोशल साप्ताहिक के संपादक बनीन. इही महाकोशल अखबार ह बछर 1951 दैनिक अखबार के रूप म छत्तीसगढ़ के पहला दैनिक अखबार के रूप म चालू होइस, अउ एकर संपादक बनीन स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी.
बछर 1954 ले त्रिवेदी जी मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग म चल दिए रिहिन, जिहां 1978 तक उच्चाधिकारी के रूप म बुता करत रिहिन. 1987 म शासकीय सेवा ले सेवानिवृत्त होए के पाछू फेर दैनिक महाकोशल म संपादक बनगे रिहिन. अउ फेर अग्रदूत ह जब बछर 1983 म दैनिक अखबार के रूप म चालू होइस, त फेर स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी एकर सलाहकार संपादक बनीन. अइसे किसम देखे जाय त त्रिवेदी जी अपन पूरा जिनगी कलम के साधना म मगन रिहिन. ए बखत उन पत्रकारिता के संगे-संग साहित्य सृजन घलो करत रिहिन. मैं उंकर कतकों कहानी अउ कविता मनला अग्रदूत म पढ़त रेहेंव.
आदरणीय त्रिवेदी जी मोला गजब मया करंय. वइसे तो अग्रदूत अखबार के कार्यालय म अबड़ झन कर्मचारी रेहेन, फेर उन सब मा मैं अकेल्ला रेहेंव जेकर संग उन छत्तीसगढ़ी भाखा म गोठियावंय. अइसने जब कभू अपन घर ले कोनो पत्र-पत्रिका आदि मंगवाना या पहुँचाना होवय, त मुहिच ल जोंगय. उंकर घर तब अग्रदूत प्रेस ले पांच मिनट के रद्दा म ही रिहिस. बाद म मैं जानेंव, के उंकर बेटा के घलो नॉव मोरे असन 'सुशील' हावय. त मोला समझ आइस उंकर अतेक दुलार के कारण ह. आदरणीय त्रिवेदी जी के बेटा आज हमर छत्तीसगढ़ म वरिष्ठ साहित्यकार के रूप म प्रतिष्ठित हावंय- डॉ. सुशील त्रिवेदी जी, जे मन छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद ले सेवानिवृत्त होए हावंय. डॉ. त्रिवेदी जी संग घलो मोर मयारुक संबंध हे. उंकर संग जब कभू भेंट होथे त उन मोला नॉव ले के संबोधित नइ करंय, भलुक हमर छत्तीसगढ़ी परंपरा के अनुसार 'सहिनॉव' कहिथें.
स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी बछर 1935 ले ही साहित्य अउ पत्रकारिता के रद्दा म रेंगे लगे रहिन हें. 1935 म उन हिंदी साहित्य मंडल के गठन करे रिहिन हें. 1940 के दशक म हिंदी साहित्य सम्मेलन के साहित्य मंत्री रिहिन. वोमन हमर मन असन नवा पीढ़ी ल सरलग आगू बढ़े खातिर प्रोत्साहित करत रिहिन. बछर 1951 म हिंदी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन जबलपुर म होए रिहिसे, तब पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी ल अध्यक्ष अउ स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी ल प्रधानमंत्री चुने गे रिहिसे.
स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी सरलग लिखत तो रिहिन हें, संग म छपत घलो रिहिन हें. कविता संग्रह भूख, बरसों बाद भाषण के पौधे हरियाये, स्वराज गान अउ आदमी रहे न रहे बात रह जाती है, तीसरा किनारा आदि साहित्यिक कृति मन के प्रकाशन होय रिहिसे.
साहित्य अउ पत्रकारिता दूनों के रद्दा म त्रिवेदी जी के कलम जिनगी के अंतिम बेरा तक सरलग चलत रिहिसे. उन 11 जुलाई 2009 के ए नश्वर दुनिया ले बिदागरी ले के परमधाम के रद्दा धर लिए रिहिन हें. उंकर सुरता ल पैलगी जोहार.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
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