Thursday, 31 August 2023

श्रद्धांजलि अउ सरकारी छुट्टी*. (ब्यंग)

 *श्रद्धांजलि अउ सरकारी छुट्टी*.                                      (ब्यंग)

            कुकुर मन के रोवई ला सियान मन शुभ नइ माने। काली चार छै ठन कुकुर मन तरिया पार मा  ओं------ -ओं---------- कहिके रोवासन करत रिहिस। आरो सुनके गुरुजी खुसी मा अइसे झूमत रिहिस जइसे बिहाव के पँदरा साल बाद बाप बने के खबर सुने हे। कुकुर मन रोवत हे माने काली कोनों ना कोनों नेता जी के परलोक सिधारे के खबर आही। अइसन राष्ट्रीय स्तर के दुख मा एक दिन शोक छुट्टी तो मिल ही जही। छुट्टी सरकार डहर ले होगे तब तो तनखा कटे के डर ही नइये। सरकारी करमचारी होय के नाते ये तो हक बनथे। अउ फेर नहा धो के अगरबत्ती घुमावत यहू मांग लेथन कि अइसन दिन आते रहय।

       कलेंडर मा लाल निसान घेरा परे तिथि के अगोरा सरकारी नौकरी पेसा वाले मन भुँजावत सुखावत फसल बर बरसात के अगोरा सहीं करत रथे। निजी संस्थान कम्पनी ठेला टपरी रिक्शा वाला मजदूर किसान के कभू इतवार नइ होवय। तब कलेंडर के पइसा बचा के गमछा बिसाथे। ये कामगार मन ला राष्ट्रीय शोक दिवस ले ना कलेंडर के लाल निसान वाले तिथि से कोनो मतलब रहय। इँकर जिनगी मा रोज वो घड़ी आथे कि कंधा देवत देवत खाँध एक बाजू झुलगे हे। परोसी भूख मा मरगे, तंगी अउ बेरोजगारी ले कोनों ना कोनों रोज अपन शुभ हाथ ले  अबादी कम करत रथे। करजा के खेती बचावत हलधर बँबूर पेड़ मा झुलना झूलत मिलथे। दाईज डोर के जोरा करत बाप चिता मा जोरावत मिलथे। लालची ससुरार के दुलार पाये बर बेटी जोरन मा माटी तेल माचिस धरके जाये बर मजबूर हे। तब हमर बर तो रोजे शोक हे। राष्ट्रीय शोक के छुट्टी मा सरकार हमला सामिल कर लिही तौ संझाकुन के पसिया तिपोय बर रुँधना टोरे बर परही। ओइसे भी सरकार ले जुड़े मनखे के मरनी मा सरकारी करमचारी के श्रद्धांजलि ले आत्मा ला जादा शांति मिलथे। घर परिवार के दुखद खबर फोन संदेश आगे। अउ मालिक तिर छुट्टी मांगे ले एके ठन जवाब मा काठी निपटा देथे कि तोर छुट्टी करके जाये जे मरइया जिंदा नइ हो जाय। तब अइसन खैंटाहा विचारधारा वाले मालिक के शोक सभा के मंगल कामना करे के छोड़ अउ कोनो दूसर रसता नइ बाँचे।

         राष्ट्रीय शोक दिवस सनिच्चर दिन परगे तब मरइया बर सरकारी करमचारी के मन मा श्रद्धा नदिया के पूरा पानी कस उफान मारत रथे। श्रद्धांजलि देय बर छटपटाहट जइसे नवा नवा बिहाव होय लइका दुलहिन के मुँहूँ देखे बर छटपटात रथे। बोनस के रूप मा मिले शोक श्रद्धांजलि के छुट्टी अउ इतवार छुट्टी। माने साढू सारी घर तो किंजर के आये जा सकथे। नेता जी के मरनी मा देश कतका दुखी हे कतका खुशी मनाथे अपन शोध प्रबंध मा विस्तार दे डारे हवँ। आखरी इसकुल के लइका मन के विचार जाने बर घर ले निकलेंव। रसता मा रामाधार साइकिल मा खाना डब्बा चपक के कम्पनी डहर भागत मिलगे। रसता छेंक के कहेंव------- भाई आज तो राष्ट्रीय शोक मनाये जावत हे अउ तैं काम मा जावत हस। तब रामाधार किहिस-------ओकर शोक मनाहूं तब नाँगा के भरपाई मरइया हर कर दिही का? सरकारी तनखा भोगी सँग हमर कहाँ ले बराबरी होही जी। जतका बड़े बड़े फेक्टरी कम्पनी हे उँहा के आधा हिस्सेदारी तो नेता मन के रथे। तभे तो हमर असन कम्पनी के फेक्टरी के कमइया आज ले चौंथा वेतन मान मा कटौती के सँग झोंकत हन। अउ सरकारी मन दसवां वेतन आयोग के बाढे भत्ता सँग जीयत हे। हमर जिनगी मा अतका शोक अउ दुख हे कि रोज एक झन ला श्रद्धांजलि देथन तब काम धरथन। इही कम्पनी के राखड़ धुँगिया अउ जहरीला पानी ले खेती मरत हे। इही कम्पनी के दुसित जहरीला हवा ले  बिमारी पोटारे बिना इलाज के मरत हे। इही कम्पनी मा होवत दुर्घटना मा मजदूर के जान परान के मोल सस्ता हे। जिंकर लाश उपर श्रद्धांजलि देवइया कोनों नइये। बेवस्था ला धन्यवाद अतके बर देथन कि मुक्तिधाम के काया कल्प करके हँसी खुशी किरिया करम करे के सुविधा दे देय हे।विरोधी मन के कतको बछर ले हाजमा खराब रिहिस अपच बदहजमी के दरद ले खुलासा नइ होवत रिहिस श्रद्धांजलि दिवस के खबर ले खुलके खुलासा होय ले हलका जनाथे ओइसने जनावत रिहिस। 

           हमर जतका अबादी हे ओकर आधा ले जादा बर कभू इतवार नइ आय। तब बीच के सरकारी छुट्टी ले का लेना देना? बैपारी संघ मनके एकता समूह ले फैसला लेय गिस कि हप्ता मा एक दिन इमानदारी ले धंधा करे जाही। बिना मिलावट बिना काँटामारी के। फेर जिंकर ममहाती देंह मा बइमानी के बस्सौना लहू बोहाबत हे अइसन कुकुर के पूछी सोज नइ होवय। इन मन तो सग बाप ला सक के नजर ले देखथे कि गल्ला के गुलाबी पत्ती मा हाथ तो साफ नइ कर देहे। तब हप्ता मा एक दिन बुधवारी बजार बंद। जेकर ले ईमानदारी के संकलप के लाज बाँचगे। फेर बजार भीतर नान नान पसरा वाले ठेला रिक्शा वाला मजदूरी अउ हमाली करके पेट चलइया बर एक दिन के छुट्टी बंदी घलो मरनी के खबर असन बियापत रथे। काबर कि रोज कुँआ कोड़ के पानी पियइया मन ला चुलहा के श्रद्धांजलि देय के डर घेरे रथे। तभो ले कुँआ के अमटाहा कसाय पानी ला पीना परथे। पाँव से लेके कपार तक, पेट से लेके हाथ के लकीर तक मा रोज कुँआ कोड़ना लिखाय हे। तब इतवारी के घले मुखाग्नि देना परथे।

             मोर अधूरा शोध प्रबंध के मसाला बर इसकुल के पावन प्राथना भूमि मा चल देंव। नेता जी के मरनी के शुभ संदेश कानाफूसी के प्रसार तंत्र ले बगरगे। अउ सब लइका घरे ले श्रद्धांजलि देके छुट्टी के शुभ दिन ला सफल बनाये मा लग गे। गुरुजी मन ला घलो वो काम के सुरत आगे जेकर निपटाये भर इही अच्छा दिन के अगोरा रिहिस। ओहू मन लकर धकर भगागे। जिंकर काहीं काम नइ रिहिस ओहू मन अइसे भागिन जानो मानो इसकुल मा एक दिन बर भुतहा खँड़हर के परेतिन समा गेहे। जादा देरी ले रुकही तब इँकरे उपर सवार हो जाही।

            365 दिन मा 52 इतवार, तिहार दिवस जयंती। उपर ले सनिच्चर के आधा कमाव अउ सइघो पावव। मन चाहा इ एल /सी एल के अलग बेवस्था। कुल मिलाके साल मा डेढ सौ दिन छुट्टी मा चल दिस। क्इसे मितान हमर डहर आये बर भुलागे कबे तौ एके जवाब----कहाँ जी छुट्टीच नइ मिले। दस बजे दफ्तर खुलही। ग्यारा बजे काम के बोहनी होही। फेर चाहा पानी अउ टिफिन उरकाय के जवाबदारी ला पूरा करना परथे। चार बजे के पहिली बाई जी के फोन आ जथे कि सँजकेरहा बजार होवत आबे तब------। काम के बीच मा सारी सखा मितान के फोन के बीच मा टोका टोकी करना माने जानबूझ के साँप के पूछी मा पाँव मँड़ाना हे। अइसन सघन वार्ता के बीच टोके ले कच्चा चबाए के कातर भाव ले देखही। तब मुँहूँ बाँधके अगोरा सफल रसता रथे। एकरे सँग  वाट्सअप फेसबुक के करजा चुकाए ला परथे। फेर श्रद्धांजलि दिवस के दिन सहानुभूति के शब्द मुख के मोहाटी मा रथे। तब कहीं कि आज श्रद्धांजलि दिवस के छुट्टी परगे जी नइते तोर काम जरूर होय रतिस।आम जनता के काम सदा अधर मा झूलत रथे। इँकर हलाकानी ला समझ लेना दफ्तरी बाबू के दिनचरिया मा नइ आय। ये उँकर शान अउ स्वाभिमान के खिलाफ़ हे। काम के सरकई ला देखके लगथे कि चिबरी भात ला अदर कचर करके जबरन खावत हे।

                 जतका पढ़े लिखे हे सब सरकारी नौकरी के पाछू पानी पसिया धरके खेत खार बेंचके घूँस घाँस देके भागत रथे। जेन योग्य हे फेर सौभाग्य से गरीब हे तब वो 365 दिन खटे वाला जगा मा अपन तकदीर अजमथे। घूँस देके नौकरी पाये वाला बाबू के घाँस हरियर ही रथे। कम तनखा हर उपरी कमाई के झरोखा ले भरपाई होवत रथे। फेर साल के डेढ सौ दिन छुट्टी तो मिलथे। इही छुट्टी के सुख भोगे बर ही तो सरकारी नौकरी के पाछू परे ला परथे। बैंक के सँग अउ कतको दफ्तर बर सरलग तीन दिन छुट्टी के शुभ मौका साल मा दू तीन बखत तो आइच जाथे। अइसन दसा मा फाईल पोथी पत्तर सँग मुसवा दिंयार मन कुस्ती खेल के स्वतंत्रता दिवस मनाके कतको केस के तिज नहावन तो करी देथे। सरकारी अस्पताल बर इतवार के कोनों बिमार नइ परय। बिमारी घलो छुट्टी के ताक मा रथे। ग्राम विकास अधिकारी के आफिस शहर मा हे। मँगलू तीन दिन होगे शहर कोती लकर धकर अइसे जाथे जानो मानो मालिस के जपानी तेल लेय बर जपान जावत हे। सरकारी छुट्टी नेताजी के मरनी अउ बाबूजी के गैरहाजरी ले थोथना ओरमाय आथे तब लगथे कि चुनावी टिकट ले नाम कटे के बाद भावी नेता के होगे।

              हमर असन मनखे जेकर इतवार घलो नइ होय तब कलेंडर लेके का करबो। खूँटी मा टाँगे बर दिवाल तो घलो होना। कतको अइसन हे जे दिसंबर उरके के पहिली नवा कलेंडर लेके लाथे तब लगथे कि घर मा एल ई डी टी बी धरके लानत हे। नवा महिना के पन्ना पलटते ही ये देखे जाथे कि अवइया महिना मा कै ठन इतवार कै ठन छुट्टी आउ कोन कोन दिन परत हे। मोर शोध किताब ला जब जब पूरा करे बर निंकलेंव सरकारी छुट्टी हर घर ले निकलते ही छींक पार दिस।

              आज पहिली बखत गुरुजी के मन मा पोसे सबो उत्साह के हतिया होगे। कुकुर तो रोइस फेर कोनो कोती ले श्रद्धांजलि छुट्टी के खुशखबरी नइ आइस। कुकुर मन ला कोसत अपन दिन ला निकालिस। कवि सुभाव के मास्टर जी इसकुल मा गंभीर चिंतन के चार ठन कविता लिख डारे।आदमी कहूँ सरकारी कर्मचारी गुरूजी हे तब तो महा कवि बने मा कोनो नइ रोक सके।फेर आज दुखी मन ले कलम नइ धर पाइस। भरोसा करे के लाइक आदमी तो नइये। फेर आज कुकुर घलो दगा दे दिस। हम तो कथन कि कुकुर के रोवइ कभू सच झन होवय। ना कोनो ला श्रद्धांजलि देय के नाम मा छुट्टी मिले। जेकर ले मँगलू के एक दिन के भगई हर तो बाँचही।


राजकुमार चौधरी "रौना"

टेड़ेसरा राजनांदगांव।

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