Thursday, 10 October 2024

नानकुन कहानी " झगरा के जर "

 नानकुन कहानी 

   " झगरा के जर "

"खटिया म परे परे दिन अउ रात पहावत हे कोनो तीर म नई आवत हे!" सुखु कसमस कसमस करत बड़बड़ावत रहिस l 

ओकर बाई फुलेस फेर चेतातिस-"चुप रह ना, परे रा खटिया में  कोन तोर तीर म आही गिनहा के बेरा म सब तिरिया जथे l" 

सुखु सुन के चुप्पे हो जथे l

सुते सुते झगरा सुनथे l

" देख सब तोरे सेती होवत हे l

रेंग के नई जाये रहिते चूल्हा कुरिया म नई खाये रहिते बरा ला, तो ए बात नई होतिस l" हाथ अपन बात ला रखिस l गोड़ कहिस -" त तैं काबर उठाये, बरा ल नई  उठाना रहिस l"

हाथ कहिस - " ए सब  आँखी सेती होइस l आँखी नई देखतीस त ए सब नई होतीस l

आँखी अपन बद्दी ला सुन के कइसे  चुप रहतिस l उहू जवाब दीस " रेंगय्या बाँच गे धरय्या बाँच गे देख परेंव त का का होगे  पेट ला पूछ l पेट के सेती सब होथे l सब एखरे खेल हे l मोर कुछु कसूर नई हे l"

पेट मने म हँसत कइथे -" अरे  तुहरे सेती मोला करे ला पड़थे l

तुंहर बर सोचथंव, मोला का हे न आना ना जाना ना देखना l "

सुखु ल ढेकना चाबीस उठे ला धरथे फेर मन ला मढ़ा लेथे l 

चाब ले रे ढेकना तीर म तो हस l झगरा होते रहिस l

खटिया म सुते सुते फेर सुनत रहिथे l

पीठ कइथे -" पेट कतका चतुरा  सब के भार ला मै सहत हँव  अपन सियानी म उतर गे l 

मुँह नई होतिस त बरा ल कोन ख़ातिस l पेट के परपंछी आदत कहूँ नई गे हे हमेसा मुँह कोती रइही l पेट के काम मुँह बिना कइसे होही?' अतका कहिस मुँह चिल्लाये ला धर लीस -"

मोरे ला खाके मोरे करा 

अंटियाहू? सब दाँत मन संघरा सपोट करिस l

आखिर एखर पंचाईती म समझौता होइस l 

"हमन सब एके हन l झगरा  करत हन गलत हे l हमर बिना कोनो ला सुख नई मिलय l आँखी मुँह कान हाथ  गोड़ बने हे त जिनगी ए l पेट ला झन लपेटव इही जिनगी के सार हे l

पेट बर कमाव पेट भर खाव l

कोनो ला झन बताव का होवत हे l"

सुखु झगरा सुनत सुनत सुतगे l

ओकर बाई फुलेश  तीर म आके फुसफुसावत कइथे -

" उठना, बरा सोंहारी चूर गे 

खा ले l बने लागिस नहीं l 

दवाई ल पियाये हँव त भे 

बीमारी ठीक होइस l

सुखु कइथे -"झगरा माते रहीस l 

तोर बहू कहत रहिस -" कराही के बरा ल कोन निकाल के खा डरे हे? "

सुखु कइथे -"झगरा के जर इही ताय  रात भर सुनेव l "


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

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