Thursday, 10 October 2024

भारत

 " *भारत* "

दुनियां मे का कम टेंशन हे। एक झन टूरी गावत राहय " पंख होती तो उड़ आती रे"।पता नही मनखे मन अतिक कईसे सोंच लेथे,इहां मनखे ल अईसने रेंगना मुसकुल हे।बांस भर- भर चकरा (चौड़ा)संड़क म टराफिक जाम  (डंट्टाकुच्चा) हो जथे।संड़क के चौड़ीकरण ल देख के हम समझ सकथन के ऊपर वाला भक्कम देवत हे।जेन हर विकास के निशानी आय?जब सड़क हर हाइवे कस मिलही त विकास के गाड़ी सरपट दऊंड़बे करही।हमर देस के विकास म फोकट के खाना -दाना के बड़ योगदान हे। अईसे लागथे जम्मो विकास ठेंका सरकार ह ले रखे हे।अऊ लिही काबर नही जन -मत के सवाल हे।ऐला वोंट बैंक के राजनीति घलो कही सकथन।शोले फिलिम म ठाकुर के  हांथ नई रिहिस फेर ओकर काम ल जय वीरू ह निपटा दिस खटाखट।

   फेर गुनथों मनखे मन के डेना होतिस तब का होतिस?चिरई चुरगुन मन के घलो जीना दुभर हो जतिस।अऊ ऊंकरो मन बर आवास योजना बनाय बर पड़तिस ।गंवहईया चिरई बर फ्लोरिंग वाले घर,अऊ शहरिया चिरई बर टिपटाप टाईल्स लगे वाले। ऐला समानता के अधिकार  घलो कही सकथन? अऊअइसन होही त चिरई मन ल तको आधार कार्ड,पेन कार्ड,राशनकार्ड

बनाय बर पंचायत, आनलाईन के चक्कर कांटे बर पड़ही।बारो महिना आनलाईन के दौंरी फंद ई म अईस लागथे घर के एक झन परानी ल रोजगार मिल गेहे।कतरो झन मन गोठियाथे ग्राम सभा म घलो मुंह देखी प्रस्ताव पास करथे। जेन चिरई मन के सेटिंग पंच सरपंच संग होही ओकरे काम आघू होही।जेती देखबे तेती सेटिंग गांव म टूरा टूरी के सेटिंग, पंचायत म सरपंच सचिव के सेटिंग, जनपद म ठेकादार मन के सेटिंग, इंजिनियर के ठेकादार संग सेटिंग, डाक्टर मन के लेब वाले मन संग सेटिंग, प्राईवेट स्कूल के डिपो संग सेटिंग।ऐ दुनिया मोबाइल कस हो गेहे बिना सेटिंग के चलबे नी करे।

            फेर गुनथों मनखे मन के डेना होतिस त बड़ मजा घलो आतिस।जगा जगा पोंगा म चिल्लातिस ए लाइन के जम्मो रद्दा भक्कम भीड़ हे थोकिन देरी म उड़हू। असुविधा बर खेद हे। डोंगरगढ़ कस।रेलवही के ठऊर म एनाउंसर के गोठ ल सुन के अइसे लागथे टरेन ह एक दू घंटा अऊ देरी हो जतिस का?इंहा मालगाड़ी, एक्सप्रेस ल जगा दे बर लोकल ल दुबट्टा म खड़ा कर देथे।कखरो गोठ राहय जेकर ले जादा फायदा रही तेला आगू रद्दा दिही।जईसे घर के सियान मन तको कमईया बेटा अऊ बेरोजगार बेटा म करथे। स्कूल म घलो जादा नंबर पवईया लईका ल सब हुंसियार समझथे अऊ आगू म बईठारथे।अब तो रेल म चढ़े के मतलब जान जोखिम मे  डालना हे।कोन जनी कब काय हो जही।जगा जगा बरेकर कस रेलवाही म पथरा ल त लोहा ल,त कोनो जगा सिलेण्डर ल घलो रख  देथे।एकर मतलब हम समझ सकथन सिलेण्डर सस्ता हो गेहे? मनखे मन जब चार पांच सो के दारु ल आधा घंटा म उरका सकथे त सिलेण्डर का आय।कभू सिलेण्डर बर रेलगाड़ी कस लाईन लगे राहय, अब सिलेण्डर ह रेलगाड़ी के आगू मे आ जथे।इही ल कहिथे घुरवा के दिन बहुरथे। अब तो जलेबी के दिन घलो बहुरईया हे।सुने म आय हे एकरो

कारखाना खुलईया हे।एकर ले कतरो डीगरी धारी बेरोजगार मन ल काम बुता घलो मिल जही।अऊ कोचिंग वाले मन के घलो भाग खुल जही। भगवान सब ल अईसने सद्बुद्धि दे।अऊ हमर देस के नाम सवरन आखर म लिखे जाय। गिनीज बुक म घलो दरज होवय।सबले पहिली जलेबी कारखाना खोलाईया देस "भारत"। खुशखबरी, खुशखबरी।

               फकीर प्रसाद साहू 

                     *फक्कड़*

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