समीक्षा
छत्तीसगढ़ी गजल म "पांखी काटे जाही" अपन एक अलग पहिचान बनाही
कृति के नांव - पांखी काटे जाही (छत्तीसगढ़ी गजल संग्रह)
गजलकार - राज कुमार चौधरी "रौना"
प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर ( छ.ग.)
प्रकाशन वर्ष -2022
मूल्य- 100=00 रूपये
छंदबद्ध रचना लिखना सहज काम नइ हे. येमा अब्बड़ मिहनत करय ल पड़थे. छंदबद्ध रचना लिखत बेरा अक्षर,वर्ण,यति,गति, मात्रा,मात्रा गिने के नियम,डांड़ अउ चरण,सम चरण,विषम चरण,गण के सही जानकारी होना चाही. आधा अधूरा गियान ले बात बिगड़ जाथे. हंसी के पात्र बने ला पड़ जाथे. वहीं जब कोनो कवि येमा पारंगत हो जाथे त वोकर गजब सोर उड़थे.कोनो भी छंदबद्ध रचना एक निश्चित मात्रा अउ लय म होथे. अब्बड़ मिहनत ले लिखे छंदबद्ध रचना ल जब वोकर सही लय म प्रस्तुत करे जाथे त सोने म सोहगा हो जाथे.
वइसने गजल उर्दू कविता के एक छंद हरे जेला बहर कहे जाथे. फारसी भाषा ले होवत उर्दू, हिंदी ,भारत के कतको भाषा अउ अब छत्तीसगढ़ी भाषा म गजल लिखे जाथे.गजल म बहर के मात्रा के गिनती करे जाथे पर बहर मन के शब्द सीमा अउ मात्रा मन के संख्या निश्चित नइ राहय. अक्सर येला छोटे बहर नइ ते बड़े बहर नांव देय जाथे. कोनो बहर 16 ले 18 मात्रा के हो सकथे त कोनो बहर 32 मात्रा के घलो हो सकथे.
हिंदी म गजल के बात करथन त येमा सबले बड़का नांव दुष्यंत कुमार जी के आथे. वोहर हिंदी म गजल ल अब्बड़ लोकप्रिय बनाइस. वोहा हिंदी गजल के प्रवर्तक माने जाथे.गजल के मामला म वोहा लकीर के फकीर नइ बनिस। गजल माने श्रृंगार के रचना पर दुष्यंत कुमार जी ह लीक ले हट के लिखिस अउ गजल के माध्यम ले कतको विसंगति उपर कलम चलाके एक अलगेच छाप छोड़िस।
जिहां तक छत्तीसगढ़ी म गजल लेखन के बात हे त विद्वान मन के मानना हे कि अभी येकर बाल्यकाल चलत हावय. छत्तीसगढ़ी म गजल लिखइया साहित्यकार मन म रामेश्वर वैष्णव, मेहत्तर राम साहू, बसंत देशमुख,मुकुंद कौशल , बल्दाऊ राम साहूअउ आने साहित्यकार के नांव सामिल हे. इही कड़ी म एक नवा नांव सामिल होथे राज कुमार चौधरी रौना जी के ।उंकर छत्तीसगढ़ी गजल संग्रह प्रकाशित होय हे -" पांखी काटे जाही." येकर ले पहिली उंकर दू किताब प्रकाशित हो गे हावय. एक छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह "माटी के सोंध"अउ दूसर छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह "का के बधाई" . ये दूनों संग्रह ह साहित्य बिरादरी म अब्बड़ सराहे गिस. अउ अब उंकर गजल संग्रह" पांखी काटे जाही " के अब्बड़ सोर उड़त हे.
राज कुमार चौधरी रौना रचना लिखे मा अब्बड़ मिहनत करथे . वोहा एक बढ़िया कवि,छंदकार हे. वोला छंद के कुछ नियम पहिली ले जानकारी रिहिन पर छंदविद अउ छंद के छ आनलाईन गुरुकुल के संस्थापक गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी के छंद के छ सत्र -12 म जब वोहा जुड़िस त उंकर छंदबद्ध रचना म अउ धार आइस. संगे संग उंकर मिहनत,धीरज अउ अनुशासन के गुण म बढ़वार होइस. वइसे भी उंकर रचना उम्दा रहिथे. वोहा कवि सम्मेलन मा घलो अब्बड़ सराहे जाथे. तरन्नुम म वोकर प्रस्तुति ह अब्बड़ सराहे जाथे. एक प्राइवेट कंपनी म काम करके अपन जिनगी के गाड़ी खिंचइया रौना अब्बड़ मिहनती मनखे हे.वहू प्राइवेट काम ह कोरोना काल मा छूट गे त अपन गांव टेड़ेसरा म एक छोटे से दुकान चलाके अपन गृहस्थी ल चलाथे. अउ इही स्थिति म वोहर जउन साहित्य साधना करत हे वोकर जतकी प्रशंसा करे जाय वोहा कम हे. ठेठ गंवइहा रौना हा शुरू ले कला अउ साहित्य ले जुड़े हावय. उंकर बाबूजी हा घलो लोक कलाकार रेहे हे.
त अब उंकर गजल संग्रह "पांखी काटे जाही" के बात करत हंव. वोला गजल लिखे बर उंकर प्रेरणास्रोत डा. दादू लाल जोशी हा प्रेरित करिन. छत्तीसगढ़ी गजल के अगुवाई करइया मुकुंद कौशल जी ले जब वोहा अपन दू दर्जन गजल ल लेके मिले बर गिस त जिहां वोकर गजल ल पढ़के बड़ाई करिस त दूसर कोति येमा जउन कमजोर पक्ष रिहिन वोला सुधार बर घलो प्रेरित करिन. मुकुंद कौशल के गजल संग्रह " घाम हमर संगवारी" ल वोहा बने चेत लगा के पढ़िस. संगे संग हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी म गजल के आने किताब ला पढ़िस. येकर ले रौना जी ला गजल के बहर अउ बारीकी पक्ष के जानकारी होवत गिस. वोकर मन मा गजल लिखे के भावना हा बाढ़िस. मुकुंद कौशल जी ले भेंट होना एक टर्निंग पॉइंट बनिस जेकर सुग्घर परिणाम हरे - पांखी काटे जाही.
वइसे पहिली गजल के प्रमुख विषय प्यार - मुहब्बत राहय पर समय के संग येकर प्रवृत्ति म बदलाव आत गिस. दुष्यंत कुमार जी ह गजल म क्रांतिकारी बदलाव करिन. वोहा कतको विसंगति अउ आम आदमी के पीरा ला विषय वस्तु बना के हिंदी गजल ल एक नवा ऊंचाई दिस ।अइसने किसम के प्रयोग अब छत्तीसगढ़ी गजल म घलो होवत हे।
"पाखी काटे जाही" गजल संग्रह के अध्यन ले पता चलथे कि रौना जी अपन गजल के माध्यम ले जिहां राजनीति के गिरत स्तर , सामाजिक बुराई, भेदभाव, दिखावटीपन उपर नंगत प्रहार करथे ता दूसर कोति हमर छत्तीसगढ के संस्कृति, संस्कार,तीज - तिहार के अब्बड़ बखान करथे.
हमर लोक तंत्र मा कत्तिक भर्राशाही हे वोला वोहा अपन ये शेर मा उजागर करके जमगरहा व्यंग्य करथे -
चढ़ सिंघासन मौज कर ले तोर तो सरकार हे।
झूठ तक ला सच बना दे तोर तो अखबार हे।।
मांगना हर पाप हे अउ बोलना अपराध जी।
वोट दे के भेज दे अतके अकन अधिकार हे।।
कतको सामाजिक विसंगति उपर वोहा अपन कलम चलाथे. लोगन के दुहरा चरित्र के वोहा बखिया उधेड़ के रख देथे. ये शेर म देखव -
जिंकरे चाल चलन किरहा हे उहि मन टोरत गिरहा हे।
भटरी कस डरवाथे हमला जउने मन मुड़ पिरहा हे।।
बसदेवा कस जानत रहिथे मिंजे कुटे के दिन ला जी।
सबले जादा उंकरे होथे जेकर बोरा चिरहा हे।।
नछत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया नारा देके भोला भाला छत्तीसगढ़िया मन ल चालाक परदेशिया मन कइसे लूटत हे. वोकर सुग्घर वर्णन करके छत्तीसगढ़िया मन ला सावचेत करथे.
हथलमरा मन हे अधियारा।
काली लेही वो बंटवारा।।
देखे नहीं हिरक के हमला।
ते मन खाही झारा -झारा।।
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया।
गूंजय नारा बस्ती पारा।।
भीतर ले सब हवे कसाई,
उपर छावा भाई चारा।।
मिहनत करइया मजदूर - किसान के जिहां वोहा बखान करथे ता पर्यावरण ला बिगाड़े बर जमगरहा प्रहार करथे. ये शेर मा उंकर विचार झलकत हे -
इही हाथ मजबूत हथौड़ा सब्बर दिन पोटारे हन।
जांगर टोर कमाके भइया हमी पसीना गारे हन।।
सकलावत हे धनहा डोली गांव शहर सब मिंझरत हे।
नइ बांचिस रूखवा के छंइहा जंगल हमी उजारे हन।।
रौना जी ह आम मनखे के पीरा ला बखूबी व्यक्त करथे त जोक बरोबर खून चूसइया बेईमान नेता, भ्रष्ट अफसर मन के बखिया उधेड़ के रख देथे. ये पंक्ति मा उंकर उदाहरण देखव -
चौबीस घड़ी चढ़े तेलाई चतुरा मन के घर।
हमरे चुलहा मा रहिथे रोजे हड़ताल मितान ।।
अफसर नेता बैपारी इंकरे हाथ कटार हे।
गरीब जनता के रोजे होवत हवे हलाल मितान।।
चौधरी जी ये गजल संग्रह मा कतको ठेठ छत्तीसगढ़ी शब्द के उपयोग करे हे ता आम प्रचलित हिंदी, अंग्रेजी के शब्द ले परहेज घलो नइ करे हे. ये जरूरी हे काबर कि कतको हिंदी अउ अंग्रेजी शब्द के उपयोग अक्खड़ गंवइहा मन ह करथे ता वोला लिखे म का दिक्कत हे. ये किताब म लोकोक्ति,मुहावरा,रस, छंद, अलंकार के उचित उपयोग करे गे हावय त कुछ जगह छत्तीसगढ़ी शब्द के मानकीकरण ला प्रयोग न करके वोकर अपभ्रंश रूप ला अपनाहे. मोला लगथे गजल के बहर के मात्रा ल मिलाय बर कुछ अपवाद स्वरूप करे हावय.
कुल मिलाके कुछ कमी ल छोड़के ये गजल संग्रह के रचना मन संहराय लाइक हे. जब छत्तीसगढ़ी गजल उपर चर्चा चलही ता रामेश्वर वैष्णव, मेहत्तर राम साहू,मुकुंद कौशल,बसंत देशमुख, बलदाऊ राम साहू जइसे गजलकार के कतार म राज कुमार चौधरी रौना के नांव के उल्लेख जरूर करे जाही अउ वोकर गजल संग्रह " पाखी काटे जाही" ले गजल के उदाहरण बताय जाही. रौना जी ल उंकर ये पहिली गजल संग्रह बर गाड़ा -गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना हे. आप मन के कलम सरलग चलत राहय.
- ओमप्रकाश साहू" अंकुर"
सुरगी, राजनांदगांव
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