*पुस्तक समीक्षा -*
आल्हा छंद - जीवनी (छत्तीसगढ़ के छत्तीस साहित्यकार)
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आल्हा छंद ले भक्तिकाल म भक्तिभाव ले अपन ईष्टबर, गुरु वंदना के पद, स्तुति बर छंद बहुत रचे हावँय| जगनिक ह आल्हा छंद म सुग्घर पद सृजित करे हवँय| आल्हा के शौर्य वर्णन ल वीर भाव( विरता के भाव ) म रचे के कारण ही ए छंद के नाम वीर हर पात्र के नाम म *आल्हा छंद* पड़गे| जबकि ए तो वीर छंद आय |
आल्हा छंद* दू डाँड़ के सम मात्रिक छंद आय, एकर खास विशेषता हवय के ए छंद के विधान 16-15 के भार ले कुल 31मात्रा होथे अउ आखिर म गुरु लघु के होय म गायन ले माधुरता उत्पन्न होथे| वीर भाव म शौर्य लिए प्रयोग ले छंद कर्ण प्रिय अउ हृदय ग्राह्य होगे हे| |
भक्तिकाल के विषय परिस्थिति अलग रहीस | ए काव्य हर वर्तमान माध्यम ले कहि सकत हवन केभविष्य ल सँवारना हे तव वर्तमान के जानकारी रहय| आज के पीढ़ी ल अपन पुरखा मन के थाती के ज्ञान होना चाही|
इहाँ संत महात्मा, समाज - सुधारक, क्रांतिकारी,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, लोक कलाकार,राजनीतिक छवि वाले मनखे मन, पत्रकार , साहित्यकार अउ आने आने क्षेत्र के ख्याति वाले पुरोधा मन अपन अपन विधा म, क्षेत्र म सुरुज कस अँजोर बगराय हें| जेकर ज्ञान अँजोर हर कई बछर तक नवा पीढ़़ी ला रद्दा देखाही|
कुछ साहित्यकार हरि ठाकुर, डाॕ बलदेव साव,डाॕ परदेशीराम वर्मा, सुशील यदु,जे आर सोनी, सुशील भोले,चोवाराम बादल, मनीराम साहू 'मितान', लोक नाथ साहू 'ललकार' आदि मन गद्य अउ पद्य म इन पुरोधा मन के गाथा, कृतित्व, व्यक्तित्व ल उकेरे के काम करे हें| उही मन म बोधन निषाद जी के नाम घलो शामिल होगे|
अल्हा छंद म सृजित पहली कृति आय|
आल्हा छंद - जीवनी म छत्तीसगढ़ के 36 (छत्तीस ) साहित्यकार मन के जीवन वृत्त ल जाने बर मिलही|सृजित काव्य हर छत्तीसगढ़ी भाषा के विशेष रुप लिए कभू शौर्य के तव कभू परिचयात्मक पद मन समाय हवँय|
ए मा विविध कवि लेखक साहित्यकार मन के गाथा हर छंद बद्ध हे|
सरस्वती वंदना-
जय हो शारद माता तोरे तहीं ज्ञान के भण्डार |
मँय अज्ञानी लइका आवँव, मोरो बिनती ला स्वीकार||
हे जगदम्बा आदी भवानी,हँस हरे माँ वाहन तोर|
एक हङथ मा बीना सोहे, एक हाथ मा ज्ञान अँजोर||
एक छंद देखन-
छत्तीसगढ़ राज के बेटा, नाम रहिन हे हीरा लाल|
लिखिन व्याकरण छत्तीसगढ़ी, छोट उमर मा करिन कमाल||
तीस रुपैया महवारी मा,करिन सहायक शिक्षक काम|
बिलासपुर के स्कूल प्राथमिक, बना डरिस विद्या के धाम||
शुरु करिन हे गायन वादन,रहै इँखर वो बड़ विद्वान|
अपन लगन महिनत के पाछू, हीरा जी पाइन सम्मान||
अइसने बढ़िया बढ़िया शब्द मन के संयोजन ले ये कृति हर पढ़े पढ़े के मन करथे|
एक अउ छंद देखन-
महानदी बोहावत सुग्घर, कल -कल - कल- कल सुन लौ धार|
राजिम नगरी तीर बसे हे, गाँव चँद्रसुर हे चिनहार||
चित्र कला अउ मूर्तिकला मा, पारंगत शर्मा विद्वान|
नाट्य कला के सुग्घर ज्ञाता, बने सिखाइन नाटक ज्ञान||
ग्रंथ लिखिन अठ्ठारह ले जादा, छत्तीसगढ़ी हिंदी लेख|
काव्य दान लंला बहुचर्चित,उपन्यास नाटक ला देख||
विक्टोरिया वियोग लिखिन अउ, सतनामी के भजन सुनाय|
छत्तीसगढ़ी रामायण अउ, श्री रघुनाथा गुण बरसाय||
अइसने अइसने घात नीक छंद बद्ध पद मन मा बंध मन मा रचना हर अपन डहर खीचते हवय|
भारत भुइयाँ- के छत्तीसगढ़िया सपूत मन के एक ले एक छत्तीस महान विभूति मन के जीवनी पढ़ सकत हवन|
गाँनी टोपी पहन पजामा, छाता धरै हाँथ मा एक|
मिलनसार सब ला वो चाहय, काम करै वो जन बर नेक||
कोदू राम समाज सुधारक,मानवता के बनिस मिसाल|
संस्कृत निष्ठ व्यक्ति अवतारी, भारत भुइयाँ के ये लाल||
गोठ सियानी लिख कुण्डलिया, आडम्बर ल दूर भगाय|
छत्तीसगढ़ी दलित कहाये,ये गुरुजी गिरधर कविराय||
कुछ एक बानगी अउ देखन वीर छंद मा-
माटी पुत्र दुलरवा बेटा,माटी के करके गुणगान|
छत्तीसगढ़ी गीत लिखिन हे,अउ किसान के करिन बखान||
छत्तीसगढ़ी काव्य गगन मा, मेत्तर साहू जब आय|
सुरुज बरोबर चमकिन वो तो,छठी दशक मा नाम कमाय||
उही बछर मा एक पत्रिका,मासिक निकलय बड़ अनमोल|
होवत रहै प्रकाशित रचना,सबले जादा गुरतुर बोल||
संगी भागी रथी तिवारी, नरसिंह जी
ये कृति हर छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य ल पोठ करही|
*काव्य तत्व* मन के बहुत सहज रुप म प्रयोग होय हे|
अलंकार ले युक्त छंद मन अनुपम अनुभूति देवत हें|
अलंकृत शब्द, भाव लालित्य मन अलौकिक अउ शास्त्रीय होकर के भी मानवीय संवेदना म पाग धरे रस म भिंजोवत हें|
अनुप्रास, उपमा अलंकार , ध्वन्यात्मकता हर मनमोहत हे|
वइसे तो कवि के छंद म ए हर चौंथा कृति आय| एकर पहली भी ओमन के "अमृतध्वनि छंद संग्रह" "छंद कटोरा" अउ "हरिगीतिका " प्रकाशित हो चुके हे| आपमन छत्तीसगढ़ी भाषा म लिखइया एक स्थापित कवि आवव|
बोधन राम निषादराज 'विनायक' जी के पेशा कहन तव छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग म व्याख्याता के पद "शास.उ.मा.वि.सिंघनगढ़" म पदस्थ हावँय|
ए कृति हर छत्तीसगढ़ी भाषा के कोठी ल भरत हे, छत्तीसगढ़ी भाषा - साहित्यकार मन के विकास म उपयोगी सिद्ध होही| नवा पीढ़ी मन ल सुग्घर साहित्य लिखे पढे़ बर रद्दा दिखाही अउ पाठक मन के दिल ल छूही अइसे विश्वास हे|
मै उँकर उज्जर जिनगी के कामना करत बहुत बहुत बधाई देवत हँवव|
कृति-आल्हा छंद - जीवनी (छत्तीसगढ़ के छत्तीस साहित्यकार)
छत्तीसगढ़ी में ;
*छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग* डहन ले प्रकाशित
मुद्रक- छत्तीसगढ़ संवाद
*छंदकार-*
बोधन राम निषाद 'विनायक'
स/ लोहारा जिला कबीरधाम
मूल्य-दू सौ रुपिया
समीक्षक- *अश्वनी कोसरे
कवर्धा कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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