Monday, 15 April 2024

करिया अक्षर भँइस बरोबर

 करिया अक्षर भँइस बरोबर 

                    छुरिया म एक झिन महाजन रिहिस । महाजन तिर अबड़ अकन चीज बस रिहिस । फेर ओकर चीज हा ओकरे कोठी के शोभा के पुरतिन रिहीस । कभू न दान जानिस न सहयोग । गाँव के मनखे भूख मर जतिस फेर ओकर हिरदे कभू नी पसीजिस । ओकर मूल हा जस के तस बाँचे रहय अऊ बियाज के पइसा म बियाज कमावय । अतेक पइसा वाला होके लोभ लालच अऊ बईमानी नी छूटय । जब मउका लगय तब बईमानी म उतर जाय । गाँव के मन जान डरे रहय तेकर सेती , महाजन तिर करजा लेवइया के गनती धीरे धीरे कमतियाये बर धर लिस । एकदमेच फिफिया जाय तभे बईमान तिर हाथ लमाये उहाँ के मनखे मन । 

                    एक बेर के बात आय । गाँव म अकाल परगे । खाये कमाये बर गाँव के मनखे मन पलायन सुरू कर दिन । उही गाँव म महंगू नाव के एक झिन मंझोलन किसान रहय जेकर बेटी के बिहाव हा एक बछर पहिली तै होगे रहय । बिहाव के दिन तिथि हा बछर भर पहिली माढ़ चुके रहय .. सगा नराज झिन होय सोंचके , अकाल दुकाल म घला अपन बेटी के बिहाव करे बर मना नइ कर सकिस । फसल नी होय रहय तेकर सेती बपरा एकदमेच फिफियागे रहय । बईमान महाजन ले करजा मांगे के अलावा अऊ कोई चारा नी बाँचिस । ओहा महाजन के बईमानी ला जानय तेकर सेती ओकर तिर जाये के हिम्मत नी करत रहय । अपन दुखड़ा ला गाँव के बड़े ठेठवार तिर गोहनइस । बड़े ठेठवार हा गाँव के बड़ नामी मनखे अऊ जबर सियान रिहिस । ठेठवार हा महंगू ला सनतावना देवत , महाजन तिर संग म जाये के बात करत कहिथे के – मोर रहत ले , महाजन तोर नकसान नी कर सकय । दुनों झिन करजा मांगे बर चल दिन । 

                    करजा देके बेरा बड़े जिनीस पोथी म महाजन हा , महंगू के आगू म करजा लेहे के अऊ लहुटाये के तारिक लिखिस । बियाज के गनती करके , वापिस होवइया रकम लिखिस । संग म गवाही के रूप म बड़का ठेठावार के नाव लिखिस । पूरा लिखा पढ़ही होये के पाछू महंगू ला पढ़वाके अंगठा लगवाय ला धरिस । महंगू घला जुन्ना समे के चऊथीं पास किसान रिहिस । उहू पूरा हिसाब किताब ला एक ठिन कागज म लिखिस अऊ बही खाता ला पढ़के ... पूरा सोंच समझ के अपन खेत के परचा ला गिरवी धरके दस्तखत कर दिस । 

                     बछर नहाकगे । करजा लहुटाये के बेरा आगे । ये बछर फसल जोरदार होय रहय । मूल अऊ बियाज के रकम ला हिसाब के कागज म लिखे अनुसार जोड़ के धर लिस अऊ महाजन तिर गिरवी राखे खेत ला छोड़ाये बर चल दिस महंगू हा । पूरा पइसा देके बावजूद महाजन हा महंगू ला अपन हिसाब किताब म आधा लहुटे के बात करथे अऊ आधा ला कब लहुटाबे पूछथे । महंगू सन खाके पटवा म दतगे । सुकुरदुम होगे । ओहा अपन थैली ले हिसाब ला निकालिस त , महाजन के पोथी के हिसाब म सहींच म आधा रहय । महंगू ला चक्कर आये बर धर लिस । उलटा पाँव लहुँट दिस अऊ सिद्धा बड़े ठेठवार के घर चल दिस । बड़का ठेठवार ला बतइस त ओहा महाजन बर बग्यागे अऊ तुरते गाँव के सियान मनला सकेल के बइसका सकेले के उदिम रच डरिस । बड़का ठेठवार जानत रहय के महाजन कस बइमान मनखे दुनिया म खोजे नी मिलय । ओहा महाजन के बईमानी ला घुसेड़ के ओकर करनी के सजा देवाये बर तै कर डरिस । 

                    नियत समे म बइसका सकलागे । महाजन हा अपन उप्पर लगे आरोप ले बिलकुलेच इनकार कर दिस । महंगू हा अपन थैली ले कागज के पुड़िया निकाल के पंच मनला देखइस । ओमा करजा के विवरन लिखाये रहय जरूर फेर न काकरो दस्तखत रहय न अंगठा के निसान । ओला पंच मन सबूत नी मानिन । बड़े ठेठवार के गवाही ला घला पंच मन सबूत के हिस्सा माने से इनकार कर दिस । तब बड़े ठेठवार के मांग से महाजन के बही खाता ला बइसका के जगा म मंगवाये गिस । महाजन के खाता हा महंगू के कागज ले बिलकुलेच मेल नी खावत रहय । महाजन के खाता म महंगू के दस्तखत घला मिलगे । पंच मन फइसला सुनाये के मन बना डरिन तब बड़े ठेठवार हा एक बेर खाता ला देखना चाहिस । ओला खाता देखे के इजाजत मिलगे । बड़े ठेठवार हा खाता ला उलट पुलट के आगू पिछू ला केऊ बेर देखिस अऊ ये खाता नोहे कहि दिस । पंच मन अवाक होगे । ठेठवार हा महाजन के बही खाता ला डुपलीकेट बता दिस अऊ ओरिजिनल बही खाता ला लाने के बात करिस । महाजन के कहना रहय के अऊ कन्हो खाता निये इही ओरिजिनल आय । ठेठवार मानबेच नी करिस अऊ ओहा पंच मनला बतइस के येकर ओरिजिनल बही खाता के उप्पर म अइसना नी लिखाये हे जइसन येमा लिखाये हे । पंच मन पूछिन के ओरिजिनल म काये लिखाहे तेमा ....... ? महाजन किथे – एक अक्षर पढ़हे निये अऊ ठेठवार ला तो देख गा , कइसे बड़ पढ़हे लिखे कस गोठियावत हे । ठेठवार किथे – भलुक पढ़हे नियन फेर कढ़हे तो हन । पंच मन दुनों के बीच बढ़हत वाद बिबाद ला शांत करत ठेठवार ला पूछिस के ओमा काये लिखाये रिहिस तेमे ....... ? ठेठवार किथे – का लिखाये रिहीस तेला तो मे नी जानव फेर अइसन नी लिखाये रिहीस ओमा । गाँव के जवनहा मन हाँसिन । ठेठवार किथे – तूमन हाँसथव रे बाबू हो । जेन खाता बही म हिसाब लिखाये रिहिस ते खाता बही के उप्परेच म , हमर भँइस बरोबर मोठ मोठ , करिया करिया अक्षर म , काये काये लिखाये रिहिस । येमा तो पातर दुबर छेरी कस अक्षर दिखत हे । येहा ओ खाता नोहे । गाँव के जवनहा मन महाजन के घर के तलाशी के मांग करिन । पंच मन स्वयम खाना तलासी करिन । तलासी म सहींच म ओरिजिनल बही खाता मिलगे जेमा उप्परेच म करिया सियाही म मोठ मोठ अक्षर म बही खाता लिखाये रहय । ठेठवार किहीस इहीच बही खाता आय । भितरी ला खोल के देखे गिस । महाजन के करिया करतूत पकड़ागे । पाँच बछर बर महाजन के पौनी पसारी बंद होगे । अनपढ़ ठेठवार के याददास्त म महंगू जीतगे । ठेठवार के मुहुँ ले निकले करिया अक्षर भँइस बरोबर हा , न केवल उही गाँव म बलकी जम्मो छत्तीसगढ़ म , अनपढ़ मनखे बर अभू तक प्रचलन म हाबे । 

                                                         हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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