Saturday, 27 April 2024

व्यवस्था ऊपर चोट करे म सक्षम कहानी संग्रह तुतारी*

 *व्यवस्था ऊपर चोट करे म सक्षम कहानी संग्रह तुतारी*

          छत्तीसगढ़ भुइयाॅं धान के कटोरा आय। माने खेती-किसानी के भुइयाॅं। एक समय रहिस जब  खेती पारंपरिक रूप ले होत रहिस। अब खेती आधुनिक तरीका ले होय धर लेहे। बइला-नाॅंगर के दिन लद गे हे, कहे जा सकत हे। बइला-गाड़ी घलव विकास यात्रा के भेंट चढ़ते जावत हे। जे बइला-भइसा रेंगे बर ढेरियायव तेन ल तुतारी ततेर के किसान ह काम बुता म पकोय। पटरी म लावय।

       अइसने व्यवस्था ल पटरी म लाय के तुतारी कलमकार तिर होथे। ए कलम ले ततेरे के बुता करथे। कुछ मन अखबार ले समाज म चलत अव्यवस्था अउ शोषण बर आखर के तुतारी चलाथें त कुछ मन कहानी कविता के सहारा लेथें। 

       इही कड़ी म एक कहानी संग्रह 'तुतारी' बछर 2022 म छपे हे। जे मा तुतारी सहित 15 अउ कहानी हावॅंय। एकर कहानीकार आय चंद्रहास साहू। जे बड़ लगन अउ मिहनत ले एक-एक कहानी ल गढ़थे।  उॅंकर लिखे कहानी के एक-एक शब्द उपराहा नि जनाय। शब्द मन ल नाप-तउल के बउरथें। एक-एक चरित्र ल ससन भर खेलन देथे। पात्र मन ल उभार के लाथें। एक-एक पात्र के चरित्र पाठक के नजरे-नजर म झूले लगथे। कहानी लेखन के एकपइया रद्दा म चलत चंद्रहास साहू छत्तीसगढ़ी कहानी ल नवा ऊॅंचाई देवत हें।

        कहानी अउ कविता दूनो विधा के किताब पढ़े म मोला बड़ आनंद आथे। पढ़े किताब मन म 'तुतारी' मोला सुरता आवत हे। एमे शामिल कहानी जकही, इंदरानी, दुलौरिन, परेमा नोनी, परसा फूल, थपरा मन नारी विमर्श के कहानी हें। मानवीय संवेदना, नारी सशक्तिकरण, संघर्ष, शोषण, प्रेम, भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया  के प्रभाव, माटी ले जुरे कहानी मन पाठक ल जरूर भाही। ए कहानी मन ल पढ़त खानी एक सुधि पाठक के मन नइ असकटावय। 

       सोहाई, फुलकैना, चिरई चुगनी मया प्रेम के तासीर लिए हवय। सोहाई पढ़के मोला एक बारगी पुरस्कार कहानी ह सुरता आइस। सोशल मीडिया ले पछाड़ खावत मया के कहानी चिरई-चुगनी नवा पीढ़ी ल सावचेत कराथे।

        परसा फूल म सास ससुर बर सेवा भाव आदर्श हे। सामाजिक, पारिवारिक, साॅंस्कृतिक मूल्य ल सरेखत कहानी संग्रह हर पाठक मन ल पढ़ना चाही। 

      संग्रह के शीर्षक कहानी तुतारी के अर्थ ल प्रभावी ढंग ले सार्थक करथे। व्यवस्था ऊपर चोट करथे। मन म तो अउ कतको अकन भाव हे, फेर समय के एक सीमा हे। मर्यादा हे। त अभिन अतके कहना बने रही।

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पोखन लाल जायसवाल

पलारी (पठारीडीह)

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