Thursday, 10 December 2020

शहीद वीर नारायण सिंह*-पोखनलाल जायसवाल


 










*शहीद वीर नारायण सिंह*-पोखनलाल जायसवाल


     छत्तीसगढ़ राज के चिन्हारी इहाँ के लोक संस्कृति, लोक संगीत,लोक मान्यता,परम्परा अउ रीत रिवाज ले हावय।लोक जीवन ह ए चिन्हारी मन ले आनंद के अनुभव घला करथे।जउन मन दुख पीरा ल बिसराय म बड़ मददगार हे।छत्तीसगढ़ भुइयाँ अपन जंगल-झाड़ी,रकम-रकम के खनिज संपदा ले जिहाँ भरे पड़े हावय,उहें लोहा,सीमेंट,हीरा जइसन कीमती जिनीस हा इहाँ के खजाना ल भरथे।महानदी, शिवनाथ,खारून, इन्द्रावती जइसे नदिया मन अपन अमरित धार ले इहाँ के जीवन ल आनंद ले भरथे,किसान के मन ल हरसाथे।लोक-संगीत हा संझा बिहनिया थके-हारे मनखे के मन ल झूमे बर घला मोह लेथे।डोकरी दाई अउ बबा मन के किस्सा-कहिनी मुअखरा तइहा ले चलत आत हावय,कतको मन तइहा के बात बइहा लेगे कस सिरागे होही फेर कतको आज लिखा के इहाँ के साहित कोठी ल भरे हे अउ भरात घला हे ।लोक संगीत लोक परम्परा के संगेसँग लोकसाहित के सेवा करत छत्तीसगढ़ के मान बढ़इया मन के कोनो कमी नइ रेहे हे।

      इहाँ के मनखे मिहनत ले कभू जी नइ चुराइस।अपन मिहनत ले पखरा म पानी ओगारे के ताकत राखथे।शाँत सुभाव इहाँ के मनखे के पहिचान आय,कतको मन इही शाँत सुभाव ल इँखर कमजोरी घला समझथे।फेर अन्याव,अत्याचार अउ शोषण देख सुन के इहाँ के मनखे साँप बरोबर फुफकारथे त बघवा कस गुर्रा थे।बात नइ बने म साँप कस डसथे,त बघवा कस शिकार करे म पाछू भी नइ रहय।ए महतारी हा अपन कोख ले अइसन ताकत अउ हिम्मत वाला वीर सपूत मन ल जनम देहे।जउन मन देश के आजादी बर अपन सुवारथ ल छोड़ के खुद ल देश बर होम दीस।

अइसन हे वीर रिहिन वीर सपूत नारायण सिंह जउन सोनाखान के जमींदार के बेटा रिहिस।

      छत्तीसगढ़ म अँग्रेज मन ले लड़े अउ आजादी के शंखनाद करइया वीर नारायण सिंह जी के जनम श्री रामराय बिंझवार राजपूत के घर म सन् १७९५ म होइस।जउन सोनाखान के जमींदार रिहिन।आपके दाई रामकुँवर धार्मिक सोंच म विश्वास राखय। दाई-ददा के जन-सेवा,धार्मिक प्रवृत्ति,सामाजिक न्याव के गुण आप ल बचपना म विरासत म मिले रिहिस।आप बड़े परिवार म जनम पाय के बावजूद कभू नइ सोचेव कि मँय आम आदमी बर काबर सोंचँव,आप परहित म लगे अपन क्षेत्र के जम्मो मनखे के पीरा ल अपन पीरा समझत हरे के प्रयास करव।सादा जीवन,उच्च विचार ल अपनात आप हमेशा एक साधारण जीवन जिए के उदीम करव।परहित म आप ल आनंद मिलय, मजा आय।जनहित के जतका भी बूता हो सकय ,वो सब म आप आघू आघू ले भीड़ जावव।अन्याव अउ शोषण बर खड़े होय के ताकत आप ल अपन बाप ले विरासत म मिलिस।जउन आपके सबले बड़े चिन्हारी कहे जा सकथे। आप अपन क्षेत्र मा बेरा बेरा म आवत छोटे-बड़े कोनो भी समस्या ले निपटे के उदीम सोचत राहव।अउ जनता के बीच म रहि के सुशासन के कोशिश करत राहव।

      आपके क्षेत्र के सुशासन अउ आप के विचार ले परिचित होके अँग्रेज मन आप ल पकड़े के ताक म राहय ,जेखर ले सोनाखान म कब्जा जमा सकय।फेर आपके जनता के प्रति समर्पण अउ जनता मन के आप के प्रति विश्वास के आघू उनखर दार नइ चूरत रिहिस।

     इही बीच१८५६ म छत्तीसगढ़ मा सूक्खा अकाल पड़गे।जेखर ले मनखे मन के पास खायबर कुछू नइ रहिस।एक एक दाना बर लोगन तरसे लागिस।अपन कोठी के धान-पान ल जनता मन ल बाँट दीस।फेर लाँघन के पेट बर कतेक दिन पुरय।अपन क्षेत्र के जनता के पीरा वीर नारायण सिंह ले देखे नइ गिस।प्रकृति के सामाजिक न्याव के मुताबिक वीर नारायण सिंह जी ह व्यापारी माखन के गोदाम म के तारा तोड़ के जनता के जरुरत के पुरती अनाज निकाल प्रजा ल बँटवा दीस।माखन के गोदाम के तारा नइ टूटतीच कहूँ माखन हा वीर नारायण सिंह के अरजी विनती ल मान जतिस।अँग्रेज मन मउका के खोज म पहिली ले रिहिन हे,ए मउका ल भुनाके वोला गिरफ्तार कर लीन।ओखर गिरफ्तारी ले प्रजा हताश अउ उदास होइस फेर वीर नारायण सिंह जेल ले भागे म सफल होगे।अपन साथी मन ल एकठ्ठा कर अँग्रेजी शासन ले लड़ाई लड़त गिस।जेखर ले शासन म हड़कंप मचगे।१८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के छत्तीसगढ़ म अगुवाई वीर नारायण सिंह जी करिन।अँग्रेज शासन ए क्षेत्र म वीर नारायण सिंह के चालाकी अउ दूरदर्शिता के आघू टिक नइ पात रहिस हे।अधिकारी अउ शासन के नाक के सवाल बन गे रिहिस वीर नारायण सिंह।अँग्रेज वीर नारायण सिंह ल पकड़े के कतको उपाय करय,फेर वीर नारायण सिंह बाँच के निकल जाय।ओखर साहस, हिम्मत कभू कमती नइ होइस।अँग्रेज के सबो घेरा-बंदी ल पार कर जाय।

     घर के भेदी लंका ढहाय।देश ला घायल करके रखे रिहिस,सोनाखान म घला वीर नारायण सिंह अपने लोगन के विश्वास घात के शिकार होइस अउ अँग्रेज के हाथ लग गे।यहू समे वीर नारायण सिंह आसानी ले हाथ नइ आय रिहिस।एक बार तो अइसे भी होगे रिहिस कि अधिकारी स्मिथ उन ला पकड़े म हार मानगे रहिस हे।

     आदिवासी समाज के नाँव ल देश के आजादी म सुनहरा अक्षर म लिखवइया छत्तीसगढ़ के सपूत वीर शहीद नारायण सिंह ल  १०दिसम्बर१९५७ के बिहनिया जय स्तंभ चौक रायपुर म फाँसी चढ़ा दिस। छत्तीसगढ़ के अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी स्वतंत्रता सँग्राम के लड़ाई म प्रेरणा के प्रतीक बन अमर होगिन। जब-जब छत्तीसगढ़ म आजादी के अमर गाथा के सुरता करे जाही, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाँव ले ही शुरू होही। सोनाखान अउ छत्तीसगढ़ के वीर सपूत ल शत् शत् नमन हे।


संकलन:

*पोखन लाल जायसवाल*

पलारी, बलौदाबाजार (छग)

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