पुरोधा कवि लाला जगदलपुरी -सरला शर्मा
जनम ..17 दिसम्बर 1920
प्रयाण ...14 अगस्त 2013
जनम , करम , मरण भूमि ...जगदलपुर ( छत्तीसगढ़ )
दण्डकारण्य बस्तर जइसे विकास के धारा ले पिछुआ गए बस्तर मं लगभग 77 साल तक साहित्य सेवा करइया लाला जगदलपुरी ल शतशः नमन ।
अइसन मसिजीवी मन ल ही साहित्य साधक कहे जाथे ..उन हिंदी , छत्तीसगढ़ी दुनों भाषा मं लिखयं ...सादा जीवन , उच्च विचार काला कहिथें लाला जगदलपुरी के दर्शन करे के बाद ही समझ मं आवत रहिस । जौन समय बस्तर मं आवागमन के साधन कम रहिस , चिट्ठी पत्री , पत्र पत्रिका पहुंचत पन्द्रही लग जावय उन देश के साहित्य संसार से कइसे सम्पर्क करत रहिन होहीं आज सोच के अचरज होथे फेर साधक के साधना मं कभू कोनो कमी तो दिखिस नहीं ।
खुशी होइस ये जानके कि जन्म शताब्दी के मौका मं सरकार जिला ग्रन्थालय के नांव लाला जगदलपुरी ग्रन्थालय करे के घोषणा करिस हे । जिहां के एक हिस्सा मं उंकर किताब , रचनावली , उंकर जीवन से जुरे कई प्रसंग आधारित जिनिस पत्तर के संकलन ल प्रदर्शित करे जाही । उनला छत्तीसगढ़ के शीर्ष साहित्य सम्मान पंडित सुन्दर लाल शर्मा सम्मान 2014 मं देहे गए रहिस ।
बस्तर क्षेत्र के हल्बी , भतरी लोकभाषा मं भी उंकर साहित्यिक अवदं कभू भुलाए नइ जा सकय । हिंदी ग़ज़ल संग्रह ", मिमियाती जिंदगी दहाड़ते परिवेश " ग़ज़ल जइसे विधा मं नवा प्रयोग , अनूठा कहनी बर सबो दिन जाने माने जाही । " बस्तर इतिहास एवं संस्कृति " आदिवासी अंचल के प्रामाणिक जानकारी बर सबो दिन सनमान पाही ।
जन्म शताब्दी मनावत आखऱ के अरघ देवत हे
छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर संग सरला शर्मा
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