" चल अकेला ,चल अकेला ,चल अकेला .., सरला शर्मा
तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला ...। "
कोनो शब्द एती ओती हो गय होही त माफ़ी मांगत हंव ...फेर ए गाना के भाव हर नवा ढंग से मन ल मथ डारिस ..। सिनेमा के गाना मन भी समय परे मं मन ल रस्ता देखाथे ...। देखव न ... कतका कन सरकारी , निजी चौपहिया , दुपहिया , त पैदल अवइया मन के मेला च लग गए रहिस मोर घर के पाछू वाला सड़क के बंगला मं ..सब उधाउ होगिन । हव जी ...वर्तमान विधायक अरुण वोरा जी के अंगना मं दिवंगत मोती लाल वोरा के पार्थिव देंह ल आखिरी बिदा देहे बर लाने रहिन । जुड़ा गए देंह तो कुछु देखे , सुने सकय नहीं त कतका बड़ मेला लगिस के चार आदमी लटपट जुरिन तेकर ले तो जवइया ल कोनो लेना देना रहय नहीं ..।
तभो जब उंकर देंह ल नदिया तीर दाह संस्कार बर लेगिन त मेला सिरा गे ...सुन्न पर गए हे मोहल्ला । तभे सुरता आइस अकेल्ला तो जाए बर हे लोगन के भीड़ , मेला के रिंगी -चिंगी , बाजा- रुंजी , धन- दोगानी , हितू- पिरितू , सब छूट जाथे । जवइया संग कोनो , कुछु जिनिस नइ जावय ..इही हर चल अकेला ..गाना के मरम आय ।
मोती लाल वोरा जी ल आखऱ के अरघ देवत हंव 🙏🏼
No comments:
Post a Comment