Friday, 12 May 2023

बेवस्था ल पटरी म लहुटाय के बुता करही: तुतारी पोखन लाल जायसवाल


 

बेवस्था ल पटरी म लहुटाय के बुता करही: तुतारी

पोखन लाल जायसवाल 

          आज के बेरा म नवा पीढ़ी कलम थामे सरलग आगू बढ़त हे। जादातर मन कविता के लाइन धरे हें, एक ले बढ़ के एक गीत-कविता लिखत हें। छत्तीसगढ़ी साहित्य के बढ़ोतरी बर माथा म संसो के जेन लकीर खिंचाथे, वो गद्य साहित्य के कमी के लकीर आय। फेर जेमन कलम थामे हें, वो मन गीत-कविता च म भुलायॅं हें। मगन हें। जेन ल देखबे, तेने सोशल मीडिया के वाह वाह के मायाजाल म फॅंसे नजर आथें। सोशल मीडिया जरूरी हे। पर लिखइया मन ल पद्य के संग गद्य के संसो घलव करना चाही। यहू सही बात हे कि सबो ह सब ल नइ साध सकय। यहू बात हे कि जेन लिखइया ए, उॅंकरे ले आस बॅंधथे, उॅंकरे ले भरोसा करे जा सकत हे। गद्य विधा ल सजोर आखिर लिखइया च मन कर पाहीं। गद्य के कोठी म चाहे कहानी, निबंध, व्यंग्य के पोठ दाना भरय, चाहे संस्मरण, उपन्यास के होवय ते अउ आने कुछु के दाना। भरे ल परबे करही। इॅंकर ले भरे बिगन छत्तीसगढ़ी साहित्य उन्ना च लागही। छत्तीसगढ़ी के हिनमान करइया मन इही ल बहाना करहीं अउ पूछहीं छत्तीसगढ़ी म गद्य कतेक हे? एकर जवाब देये बर ही सही फेर गद्य तो लिखे ल परही। इही क्रम म कहानी लेखन ले छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य ल मजबूत करइया अउ छत्तीसगढ़ी कहानी के नवा पीढ़ी के चर्चित कहानीकार चंद्रहास साहू के कहानी किताब तुतारी के गोठ करहूॅं।

          पुरखा मन के थाती ल संजोये स्थापित अउ  हमर जुन्ना कहानीकार मन असीस अउ मया दुलार मिलबे करही। बस हम उॅंकर ले असीस लन।आज सरला शर्मा, सुधा वर्मा, सुशील भोले,पीसीलाल यादव, डॉ विनोद कुमार वर्मा, रामनाथ साहू, बिहारी लाल साहू, मंगत रवींद्र, चोवाराम बादल जइसन कतको कहानीकार के मया-दुलार ले छत्तीसगढ़ी कहानी बर नवसिखिया लिखइया मन ल पंदोली मिलत हे। 

          अभी के बेरा म छत्तीसगढ़ी कहानी ल धर्मेन्द्र निर्मल, डॉ. चुन्नी लाल साहू, टिकेश्वर सिन्हा, अशोक आकाश, चंद्रहास साहू, जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, पोखन लाल जायसवाल मन नवा दिशा अउ मुकाम देवत हें। निमगा कहानी के क्षेत्र म लेखन करइया चंद्रहास साहू के योगदान सराहे के लइक हे। उन मन सरलग कहानी लिखई म लगे हें। तीन ठन किताब तिरबेनी, तुतारी अउ करिया ॲंग्रेज छप चुके हें। पत्र-पत्रिका मन म कहानी छपत रहिथें। उड़िया भाषा म अनुवाद के अलावा आपके कहानी आकाशवाणी रायपुर ले प्रसारण होवत रहिथे। सरकारी नौकरी म रहत हुए कहानी लेखन बर आपके समर्पण बंदनीय हे। 

          चंद्रहास साहू के दूसरइया कहानी संग्रह 'तुतारी' आय, जउन म उॅंकर 16 कहानी हें। आपके कहानी के सबले बड़े खास बात ए रहिथे कि आप कहानी के जम्मो पात्र के चरित्र संग पूरा-पूरा नियाव करथव। आपके द्वारा जरूरत के मुताबिक कतकोन ॲंग्रेजी शब्द के प्रयोग करे गे हे। जे ह पात्र अउ समय के संग फिट बइठथे। भाषा सरल, वाक्य म प्रवाह, जीवंतता देखे मिलथे, अउ शब्द संयोजन के संग कहावत अउ मुहावरा मन पाठक के हिरदे म ठउर बना लेथे। कई-कई जघा उत्तम पुरुष एकवचन के बलदा मध्यम पुरुष एकवचन ह पाठक के पढ़ई म बाधा परत दिखथे। एला टंकण त्रुटि कहिके बचे नइ जा सकय, काबर कि अइसन त्रुटि एकाध जघा रहिथे। आपके कहानी म गॅंवई-गाॅंव के मनभावन चित्रण मिलथे। आम आदमी अउ उपेक्षित लोगन के दुख-पीरा, संघर्ष, नारी-विमर्श, भ्रष्टाचार, लोक परम्परा ल छूअत, बेवस्था के खिलाफ अउ छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान जइसे कथानक आपके कहानी म मिलथे। आप सामाजिक चेतना ले जोरत कहानी ले अपन सामाजिक सरोकार ल पूरा करे हव।लोक संस्कृति ले जुरे चिन्हारी मन के चित्रण आपके कहानी के देशकाल अउ वातावरण के गाथा कहि डारथे। कथातत्व के दृष्टि ले आपके कहानी कोनो मेर कमती नइ जनावय। कवर पृष्ठ कहानी तुतारी के अगुवाई करत हे अउ आकर्षक हे। कोनो-कोनो कहानी के शुरुआत अतेक लाम होगे हे कि कहानी के मूल कथानक के शुरुआत बिलम होय ले पाठक ल उबासी लगे धर सकत हे। लेखन अउ भाषा शैली के कमाल आय कि पाठक पढ़े ले नइ उबय। फेर आगू कहानीकार के प्रति मोह भंग होय के डर जरूर हे। अन्य वर्णन ल कमती करे जा सकत रहिस हे। ए बात मोर ए लेखन बर भी लागू हो सकत हे। फेर मैं ह अभी छत्तीसगढ़ी कहानी के कमती लेखन बर अपन पीरा अउ संसो ल रखत हुए ही आगू बढ़े के कोशिश करे हॅंव। चलव आप ल बिना बिलमाय किताब के कहानी डाहर ले चलवॅं।     

               किताब के पहिलीच कहानी 'जकही' जकही के मानवीय संवेदना ले सराबोर हे। महतारी देवकी होय ते यशोदा, ओकर मया अउ ममता का होथे? ओला एके लाइन ह समझा देथे-

       "दू दिन का दूध पिया देस, अतका मया पलपलागे....जकही नहीं तो!" पृ 23

        समाज जेन ल जकही कहिके उपेक्षा करथे, उही समाज के मनचलहा मन उही जकही के का गति करथे यहू ल देखव- 

         "मनचलहा मन तो लाश ल नइ छोड़े....। येखर तो जाॅंगर चलत हावय। कइसे बाॅंच जाही राक्छस मन ले? धिक्कार हे अइसन मरद ल।" पृ 16

          इन्दरानी म नारी के संघर्ष अउ नारी-अस्मिता अउ स्वाभिमान ल बचा के रखे के संदेश इन्दरानी के माध्यम ले दे गे हे। ए कहानी म एक कोती अबला नारी ऊपर नीयत गड़ाय दलाल भीखम जइसे राक्षस के चालबाजी, दूसर कोती गुरुजी मन के मान, जिनगी के दू धारी फॅंसे इन्दरानी के द्वंद्व हे, त नवा पीढ़ी के झूठी शान अउ सेखी मारे बर अपन दाई-ददा ले दुर्व्यवहार हे। ए सब कुछ ल बड़ सुघरई ले शामिल करे गे हे। दाई-ददा के आशा कइसे धरे धरे रहिथे यहू हवय ए कहानी म।

         हिरदे ल तार-तार करइया संवाद देखव-  "शहर म मोर अब्बड़ इज्जत हावय, मोर संग झन भेंट करबे दाई!" पृ .33

         कहानी के छेवर म जिनगी के दर्शन हे।  मोटियारीपन म अपन काया के गरब रहिस अब वहू ह सरहा होगे।... खटिया म परे इन्दरानी के गुनान आय।

           किताब के नाॅंव 'तुतारी' कहानी के ऊपर हे, जउन म भ्रष्टाचार के पोल खोलत सर्वहारा वर्ग किसान के पीरा हे। भ्रष्टाचार म तरी मुड़ ले बुड़े साहब के लालच अउ निसरमापन ल परत दर परत उघारे म कहानीकार कमी नइ करे हे।

        किसान के पीरा अउ विनती के एक बानगी- 

        "ये जस के बुता तोरे हाथ म होही अइसे लागथे साहब! मोर बनौती बना दे। हाथ जोरत हॅंव साहेब।" पृ 39

        साहब के चाल अउ नीयत के बानगी घलव देखव-

       ‌"परदेसी! तोर गोसाइन के बाहा के पहुंची ह मोर घर पहुॅंचही..। तभे तोर खेत म बिजली पहुॅंचही, इमान से।" पृ 40

          आखिर म साहब के बहाना बाजी ले थक हार के गुस्साय परदेसी के अधिकार के गोठ संग कहानी के शीर्षक तुतारी ल घलव सार्थक करथे।

           देवारी तिहार के साॅंस्कृतिक मूल्य ल सहेजे प्रेमी जोड़ा के प्रेम कहानी आय सोहाई। ए जोड़ा समाज के मुख्यधारा ले भटक के नक्सल मन के चंगुल म फॅंसे अपने लोगन मन के बइरी बन गे रहिन। फेर गाॅंव के माटी के ममहासी, लोक संस्कृति म रंगे लोगन ले मिले ननपन के मया दुलार के सुरता ऑंखी ल खोल देथे। अपन हित अनहित ल समझ लेथे। धरती ल लाल करइया मन ले मुक्ति दिलाथे।

           परसा फूल म बहू बेदू शहर ले गॉंव आना नि चाहय अउ आय के बाद सास-ससुर के सेवा जतन करे बर समर्पित हो जथे। शहर लहुटना नइ चाहय।

            परेमा नोनी कहानी ह अपन डीह डोंगर तिर नौकरी नइ मिले ले बस्तर म जाके नौकरी करइया मन के मनोवैज्ञानिक कहानी आय। जेमन नवा नौकरी के आस धरे शहर कोती लहुटे के रटन धरे रहिथें। फेर बस अउ तर जा, इही तो बस्तर आवय, काहत परेमा नोनी बस्तर म बसी जथे। उहाॅं के लोगन ले जुड़ाव ल छोर नवा नौकरी के मोह छोड़ देथे।

            उपेक्षित अउ शोषित लोगन के पीरा ल सरेखत नारी अस्मिता संग खेलवार करइया मन के मुॅंह म थपरा मारत कहानी हे- थपरा। जेन नारी सशक्तिकरण के आवाज ल मुखर करथे। ओहदादार मन मजबूर अउ कमजोर माइलोगन ल का का नइ कहिथे। उॅंकर करतूत ल उघार देथे।

      थानेदार के गोठ ल देखव-  "मोला खुश कर दे, ताहन तहूॅं उछाह म रहिबे जीवन भर।"

       "जिस्म के सुख में छुआछूत नहीं होता पगली! चल जल्दी...." पृ 93

        भ्रष्टाचार के अंधेर जेन आजकल चरम म हे। ओ एक ठन सरूप ए कहानी म देखे ल मिलथे। तभे तो थाना म थानेदार के दराज ले चालीस हजार रुपिया निकल जथे। कइसे अउ काबर? ए तो कहानी पढ़े ले समझ आही।

           छत्तीसगढ़ के बस्तरिहा भुइयाॅं आय दिन लाल रंग म रॅंगत रहिथे , उही भुइयां के प्यास बुझावत कहानी हे माटी के करजा। 

            'पाठ पीड़हा' गरीबी अउ बेरोजगारी के चलत दूसर राज गे परिवार के शोषण के कहानी आय। गरीब अउ मजबूर मनखे के संग बाहिर म का का बीतथे? एकर लेखा-जोखा हे अउ कोन हालत म लहुटथे, अपन डीह डोंगर यहू कहानी म हे। पढ़े के पाछू अइसे लगथे कि ए तो हमरे तिर के कोनो गरीब के राम कहानी आय।

           सरबस पूंजी लगा के पढ़ाय बेटा के नौकरी नइ लगे ले हताश अउ निराश संघर्षरत मनखे के कारुणिक कहानी 'अलहन' हे। अपने राज म छत्तीसगढ़िया मन रोजगार बर तरसत हें अउ परदेसिया मन ल नौकरी मिल जावत हे। ए समस्या ल उघारत ए कहानी के शुरुआत अउ विकास बढ़िया हे। फेर अंत जेन ढंग ले करे गे हे ओ ह विचारणीय हे। एकर ले समाज म बढ़िया संदेश नइ जाय। हो सकत हे, सत्य घटना के ऊपर ए कहानी लिखे गे होही, लेकिन रचनाकार ल एला कुछ अउ मोड़ देना चाही। तभे तो साहित्य के सार्थकता समाज हित म बने रही।  

           बेवस्था म लगे लोगन कमजोर मन ऊपर कइसे डंडा चलाथे अउ धाक वाले मन के मुहटा म कइसे पानी भरथे। उॅंकर चाकरी करथे। एला फरी करत 'चढ़ोतरी' कहानी ए बताय म सफल हे कि आफत म अवसर खोजइया लालची के का गति होथे। 

            मोला ए किताब के सबले बढ़िया कहानी 'चिरई चुगनी' लगिस। जउन म छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान अउ अस्मिता बर चंद्रहास साहू जी के संसो हर छत्तीसगढ़िया के होना चाही। परदेसिया मन इहाॅं आके परछी म रहे के आश्रय माॅंगत हमरे घर के मालिक कइसे बन जथे? अउ हम सरबस लुटा जथन।  सोशल मीडिया ले जुरे दू प्रेमी मन के मया कहानी के मुहरन म गढ़े ए कहानी अवइया समय म अपन छाप छोड़ही, सुते छत्तीसगढ़िया मन के चेतना जगाही। सोशल मीडिया ले बने रिश्ता कतेक सही हे? एकर भरम टूटही। ए कहानी स्वाभिमान जागरण के प्रतिनिधि कहानी म शुमार होही।

            'तुतारी'  म शामिल जम्मो कहानी म छत्तीसगढ़ के माटी के ममहासी हावय। छत्तीसगढ़ियापन हे। मोला पूरा अजम हे, विश्वास हे कि तुतारी बेवस्था ल पटरी म लहुटाय के बुता करही। शोषक मन कुकुर के पूछी सही सोज तो नइ होवय। जनता ल जागे ल परही, अपन विरोध मुखर होके जताय ल परही। ए दिशा म तुतारी अपन बुता करही।=============

किताब : तुतारी

कहानीकार : चंद्रहास साहू 

प्रकाशक : सर्वप्रिय प्रकाशन दिल्ली

पृष्ठ: 160

मूल्य 200.00 रूपये

कापीराइट : लेखकाधीन

================= 

पोखन लाल जायसवाल

पलारी (पठारीडीह)

जिला बलौदाबाजार भाटापारा छग

मो . ६२६१८२२४६६

No comments:

Post a Comment