"आत्मानंद"
लईका मन भाठा म लेसत राहय, में पूछेंव काय करथो जी कथे रावण मारत हन। यहा गरमी म जी हव।ओ समे सियान मन मारथे तो पेरा लकड़ी मन मौसरहा रहिथे त बने ढंग ले नी जले कहूं मुड़ी बांच जथे त, कहूं हाथ, नही ते गोड़। बिचारा आत्मा भटकत रहिथे।एकर हाड़ा -गोड़ा ल बने ढंग ले ठंडा नी करे हो ही तभे ये साल के साल जी जथे।पहिली के दस मुड़िया रावण ले अब के एक मुड़िया रावण मन जादा ख़तरनाक होथे।कथे न बिच्छू कांटे के इलाज होथे फेर मनखे कांटे के इलाज नइ होय।
अब के मनखे मन ल रावण कहना घलो रावण के इंषट आय। रावण ह राक्षस कुल के रिहिस फेर महाज्ञानी रिहिस।पर के तिरिया के सम्मान करे बर कोनो रावण ले सीख सकथे।अब के रावण मन तो नत्ता -गोत्ता ल घलो नी जाने।चील गिधान कस होगे।नान्हे नान्हे डोहरु ल घलो चीथ डरथे।
रावण मारना घलो बड़ हिम्मत के काम आय।हमन तो मोमबत्ती बस जला सकथन , रैली -शैली कर सकथन।ये हमर जनम सिद्ध अधिकार आय।ये कर ले दूसर के आत्मा ल तो पता नही फेर खुदे के आत्मा ल शांति मिलथे। जेकर आंखी म पट्टी बंधाय हे ओकर ले नियाय के उम्मीद करई माने अंधियार म तीर मरई कस जान।पड़गे त ठीक नही ते अपने माथा पीट।इहां फंसे ले जादा बोचके के आइडीया हे।तेकरे सेती बिच्छू,इरपीटी पीरपीटी नाग, कोबरा ,करात मन कथे व्हाट एन आइडिया सर।
पूतला फूंकई कानून के हिसाब ले अपराध हे ,भले मनखे जर बर जाय, फेर पुतला नइ बरना चाही।एखर माने पूतला म घलो आत्मा रहिथे।ऐला बंचाय बर पूरा दल बल जी जान लगा देथे। खुद के जान,जान हथेली म लेके भीड़ जथे। पुतला घलो सोंचत हो ही वाह रे पढ़े लिखे जानवर हो ,मोर असन पुतला बर अतिक झगरा। मनखे मन ल तो सबो जीव ले हुसियार हे कथे फेर इंकर आचरण ले तो पूरा गदहा समाज सरमिंदा हे।हमर बिचार म पुतला बरइ ले कोनो समस्या के हल हो जथे त एक नही पचासों पुतला जलना चाही।सब जुरमिल के जलाना चाही।
जहां सुमति तहां सम्पत्ति नाना
जहां कुमति तहां विप्पत्ति विधाना।
ऐ डहर आत्मानंद अंगरेजी म टपर टपर गोठियात राहय।आई एम आत्मानंद,आई एम वेरी फाइन।में पूछेंव काय कहेस जी , कथे मोर नाम आत्मानंद हे, में बहुत अच्छा से हो।मे कहेव टीप टाप टाइल्स,कुरसी,टेबल डेंटिग पेंटिंग दुल्हिन असन सजे त काबर आत्मा आन्नद नी हो ही,अउ फाइन घलो हो ही। हमन तो टुटहा कुरसी अउ टाट पट्टी म मन ल मढ़हा लेथन।टपकत छत के पानी ले बरसात के जमगरहा मजा उड़ाथन गरमी अउ बरसात हमर बर एके बरोबर ।गरमी म पसीना म नहाथन।हमर पढ़हइ रोजगार गारंटी कस चलथे।लइका आथे त गुरु जी नी आय, गुरु जी आथे त लइका नी आय ,दुनो आथे त छुट्टी। एक कन फाइन हमु मन रहिथन खाना छुट्टी म मध्यान भोजन खाके।।
हमन उही छत्तीसगढ़िया तान जी जेन तेइस बछर ले छत्तीसगढ़ी ला राजभाखा बनाएं बर तरसत हन।हमन उही छत्तीसगढ़िया तान जेकर बोरे बासी के तिहार मनाथन ।जेकर सुवाद ला चम्मच म घलो ले लेथन। हमन उही छत्तीसगढ़िया तान जेन जंगल झाड़ी के ओनहा कोनहा म संप्रदाय वाद ला झेलत हन। आखिर ये संप्रदायवाद कोन जीन के अंगरी ल धर के जंगल झाड़ी म उड़थे। जी हां के बेवस्था ह आंखी म वोट बैंक के भभूत डाल के बइठे हे। हमन उही छत्तीसगढ़िया आन आत्मानंद जीहां फाइन ले जादा वाइन बिकथे। हमन उही छत्तीसगढ़िया आन आत्मानंद जिहा गंगा जल बधथन ।हमर इतिहास ल रायपुर के घड़ी चौक ल पूछ। फूटडालो राज करो के पीरा ल पहिली घलो भुगते हन अउ आज घलो "आत्मानंद "।
फकीर प्रसाद साहू
फक्कड़ -सुरगी
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