पल्लवन-तीन पइत खेती,दू पइत गाय
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खेती-किसानी अउ पशुपालन ह बहुतेच मेहनत के बुता आय।अबड़ेच देखरेख करे ला परथे।
अइसे तो किसान हा दिन-रात खेत मा गड़े रहिथे फेर जेन किसान हा कम से कम तीन पइत-बिनहिया,दोपहर अउ बेरा बुड़ती झुलझुलहा के होवत समे अपन खेत मा लगे फसल के का स्थिति हे तेला नइ निहारय तेला नुकसान उठाये ला परथे।काबर के नाखा -मुही,मेड़-पार फूटगे अउ वो हा नइ देखिच ता जम्मों पानी बोहा जही अउ खेत सुक्खा होके, फसल भूँजा जही,बरा जही। चेत नइ करे ले हरही-हरहा गाय-गरुवा मन फसल ला चर तको देथें। ओइसनहे फसल के कई ठन बीमारी अइसे हें जे मन दिखिच अउ तुरत-फुरत उपाय ,दवा के छिड़काव नइ करेगिच ता पूरा खेत मा फइल के फसल ला चौंपट कर देथें। कनकट्टा फाँफा मन तो हजारों-लाखों के झुंड मा आथें अउ फसल ला कतर के ,खाके सफाचट कर देथें।तेकर सेती हमेशा नजर रखना चाही।
खेती-किसानी मा किसान ला माटी मा माटी मिले बर परथे। जाँगर ओथारी करके ,घर मा फोसोर-फोसोर नींद भाँजे मा खेती के काम ढंग ले नइ हो पावय।
अइसनहे गाय ला पालना तको सावचेती अउ अबड़ मिहनत के कारज आय। गाय ला सुबे-शाम पौष्टिक चारा अउ पानी ला देबर लागथे। गाय के पेट नइ भरही ,वोहा पियास मरत रइही ता बने दूध कइसे देही? वोकर कोठा के बिहनिया संझा दू पइत साफ-सफई होथे,गोबर-कचरा ला हटाये जाथे त गाय हा स्वस्थ रइथे। गाय के देंह मा किन्नी अउ घाव-गोदर थोरे होगे हे तेनो के हरदम चेत राखे ला परथे। कोठा मा मनमाड़े मच्छर मन के बासा थोरे होगे हे तेकरो खियाल रखे बर परथे।
चोवाराम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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