Saturday, 20 May 2023

पल्लवन-बिन रोये दाई दूध नइ पियावय



पल्लवन-बिन रोये दाई दूध नइ पियावय

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मनखे के जिनगी मा कतको समस्या आवत-जावत रहिथे।व्यक्तिगत समस्या मन ले अक्सर कतकोन पिड़ित रहिथें। समाज मा तको कई ठन समस्या खड़ा हो जथे। कहे जाथे के समस्या हे ता वोकर समाधान तको हे। कोनो प्रश्न हे ता वोकर उत्तर तको हे।

   समस्या के, बाधा-बिपत के हल सब कोई चाहथें फेर समस्या के सहीं ढंग ले समाधान तभे होथे जब वोला उचित जगा मा उचित तरीका ले रखे जाथे।कतेक झन ला अपन समस्या ला बने ढंग ले रखे तक ला नइ आवय।जब वो हा अपन समस्ये का हे तेला नइ बता पाही ता कोनो हा कइसे समझही अउ कइसे दूर करही। लइका हा जेन बोल के नइ बता सकय तेनो ह भूँख मरथे ता चिल्ला-चिल्ला के रो-रोके अपन महतारी ला संकेत करथे तहाँ वोकर दाई हा समझ जथे अउ दूध पिया देथे।

    कतेक मनखे ला एहू पता नइ राहय के वोकर कोन काम कहाँ होही।बस भटकत रइथे अउ धन के संग समय के बर्बादी होवत रहिथे।अइसनहे हा दाँत में दरद अउ आँखी के इलाज कराये सहीं हो जथे।अइसन बखत वोला जानकार आदमी मन ले पूछ के उँनकर सलाह ले काम करना चाही। 

   अगर कहूँ पारिवारिक समस्या हे ता परिवार के मुखिया सियान मन सो गोहराना चाही। कहूँ सामुदायिक गाँव-बस्ती के समस्या हे ता वोला शासन-प्रशासन सो रखना चाही।अइसन समस्या के निदान अकेल्ला के बजाय सामूहिक रूप मा रखे ले जल्दी होये के संभावना रइथे।


चोवाराम वर्मा 'बादल'

हथबंद,छत्तीसगढ़

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