एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा //*
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(पल्लवन)
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*उंघर्रा -* लबरा कहीं के, कभू सुने हस- ,"एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा होथे?
*फेकू*- हव मैं सुने हंव,आंखी म देखे घलो हौं |
*उंघर्रा*- चुप रे लपरहा "लबरा के खाय,तभे पतियाय !"
*फेकू*- ईमान से पल्लोक,गऊ कसम कहत हौं भईया | "एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा मैं अपनेच आंखी म देखे हौं!
*उंघर्रा* - सब मनसे अपनेच आंखी म देखथैं रे अउ अपनेच कान म सुनथैं घलो, फेर तैं अब्बड़ेच कोरा झूठ बोल देथस,कोनो पतियाय नहीं तईसे !
*फेकू*- अरे भाई तोला कईसे यकीन दिलावौं-" एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा होबेच करथे!
*उंघर्रा*- चुप रे लपरहा, सिरतोन म तैं अब्बड़ेच लबरा हस ,जईसन तोर नाव,तईसनेच फेकू हो गए हस !
*फेकू* अउ तोला देखा देहूं -" एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा ! तव का शर्त राखे हस ?
*उंघर्रा*- ले एक ठन बीड़ी पीया देहूं |
*फेकू*- ऊंहूं- ऊंहूं,अत्तेक सस्ता म सौदा नइ होय | मोला निचट गंवार समझ लें हस का ?
*उंघर्रा* तव का शर्त राखे हस ? ले तहीं बता ?
*फेकू*- तोर सारी ल मोला देवा देबे भईया,अउ कुछू बड़े शर्त नइ कहौं |
*उंघर्रा*- अरे चुप रे लंगूर मुंह के ! मोर सारी ल देवा देहूं, तव ओकर सवांगा के पूर्ती करे सकबे ? तोला दू लात मार के बिहाने दिन भाग जाही !
*फेकू* हव भईया,ओकर सब सवांगा,साड़ी-व्लाऊज के साथ -साथ अउ जो भी फर्माईश करही,सब जिनीस के पूर्ती करहूं |
*उंघर्रा* ऊं हूं ओकर फर्माईश के पूर्ती करेच नइ सकस, तोर बहरा खेत बेंचा जाही बेटा,समझे?
*फेकू* समझ गयेंव भईया,तभो ले तोर सारी बर मोर नीयत गड़ गए हे, एसों दसहरा के झांकी देखे बर आए रहिस,तव एक झलक ओला का निहार पारेंव,दसहरा के झांकी ल भुला गयेंव,तोर सारीच ल एकटक निहारत रहेंव,फेर ओ निर्मोही ह मोला निहारबेच नइ करीस ! दिल टुक-टुक होंगे !!!
*उंघर्रा* अरे छोड़ तोर नीयतखोरी बात ल रे, मोर सारी ल तो का,ओकर छांव ल तैं नइ छुए सकस !
अउ ए तो बता - " *एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा कईसे होथे ?*
तव फेकूराम ह कहिस कालि के घटना ए- "पाटन (दुर्ग) के रेस्ट हाउस के पास इंदिरा नगर के एक कुआं भीतरी ले भात-साग निकलत हवय ! सब मनसे देख के अचंभा म पड़ गए हवंय ! "कुआं भीतरी ले भात-साग" ओ हो! खूब अचंभा बात आय ! अईसने भात-साग निकलही ? तव कोनो मनखे ल बूता-काम करे के जरूरते नइ पड़ही,सब ल मुफत म खाना-दाना मिल जाही!
*उंघर्रा*- अरे छोड़ तोर फेकू बात ल रे | दुनिया ले अचरित गोठ झन गोठियाय कर | अरे लपरहा, कुआं के भीतरी ले भला रांधे भात-साग निकलही ? लबरा कहीं के !
*फेकू* बड़े भईया,तोला विश्वास नइ हे मोर बात म,तव चल देखाहूं- लोगन के भीड़ लगे हवय ! नरियर,सुपाड़ी,फूल,पान चढ़ावत हें, कोनों गुड़-घी के हूम देवत हें,तव कोनो भजन-कीर्तन गावत हें ! बड़का पंडाल लगे हे ! पत्रकार मन आ के फोटो खींचत हवंय,कालि के पेपर म पढ़ लेबे समझे |
*उंघर्रा कहिस- चल चली हमू देखबो | दुनो झन जा के देखिन, तव सिरतोन म इंदिरा नगर के एक छोटे से कुआं भीतरी ले रहि-रहि के भात-साग निकलत रहिस !*
*तव चिंतन-मनन करिन | खोजबीन म पता चलिस- एक दिन पहिली ओही पड़ोस म एक घर बिहाव होए रहिस, बफर सिस्टम म लोगन आधा ल खा के आधा ल फेंकत रहिन,वोही खाना ह नगरपंचायत के पानी म बोहावत-बोहावत ए कुआं के एक स्रोत ले कुआं भीतरी भर गईस,तऊने ह रहि-रहि के कुआं के पानी म उपलावत रहिस!
*उंघर्रा* - *अरे एही ल कथें रे फेकू -"एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा !"*
*फेकू*- अब तोला विश्वास होईस- मैं हा फेकू नइ हौं |
*तैं तो जानते हस- ओ साल हमर देस भर के शिव मंदिर म गणेश भगवान ह दूध पीयत रहिस ! छिन भर म देस भर के डेयरी दुकान अउ घरोघर के दूध खल्लास हो गए रहिसे !*
*ओ साल शंकर भगवान के नंदी ह पानी पीयत रहिस ! जत्तेक शिव मंदिर रहिसे,तेमा लोगन के भीड़ लगे रहिस, सब मनखे खूब श्रद्धा भाव से नंदी ल पानी पिलावत रहिन समझे ?*
*उंघर्रा* *अरे फेकू, तैं किसम-किसम के गोठ गोठियाथस रे , तोर गोठ म जेन विश्वास करही,तेन "सुक्खा डबरी म बोजा के मर जाहीं*
*फेकू* *नहीं भईया, मोर गोठ ह लबर-झबर नइ रहय,मोर गोठ म विश्वास करहीं,तउने मनखे के भलाई हवय | मैं ह बड़े बिहान ले देस-दुनिया के समाचार ल गांव भर के गली-खोर अउ घर-घर म, तलाब,नदिया, गुड़ी-चौपाल अउ खेत-खार म "बिजली के तार सहीं" सोर बगरावत रहिथौं !*
*कुछ दिन पहिली एक अजूबा बात सुने रहेंव- एक ठन लीम पेड़ के डाली से लगातार पानी बोहावत रहिस ! सुने हस के नहीं ?*
*उंघर्रा* हां सुने हौं भाई सुने हौं |
*फेकू*- *एक ठन अउ अजूबा घटना मैं अपनेच आंखी म देखे हौं - करगीरोड कोटा जिला बिलासपुर से लोरमी मार्ग म खपराखोल के पास एक इमली पेड़ के जरी म भिंभोरा ले सैंकड़ो-हजारों के तादात म बिच्छी निकलत रहिन!!! बड़े-बड़े जुन्नेटहा एक-एक बीत्ता के रोवां जामे-जामे करिया-करिया बिच्छी !!! सब ले ताज्जूब बात तो ये देखेंव- वो बिच्छी मन ल देखैया सैकड़ों लोगन मन गुड़-घी के हूम देवत रहिन, अगरबत्ती धूप-दीप जलावत रहिन, दूध चढ़ावत रहिन | एको ठन बिच्छू ल कोनो मारत नइ रहिन, अउ वो बिच्छी मन घलो कोनो मनखे ल डंक नइ मारत रहिन !!!*
*हफ्ता भर बाद वो सैकड़ो-हजारों बिच्छी मन बड़े अजूबा ढंग से कहां अछप हो गईन !!!*
*उंघर्रा*- अरे फेकू, अब जादा झन फेंक | "एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा कईसे होथे ? तेन ल बता |
*फेकू*- हव भईया, तोर सारी ल मोर बर पटा देबे,तैं हम साढ़ू हो जाबो, तब तोला एक से बढ़कर एक घटना आकाशवाणी -दूरदर्शन सहीं सुनाए करहूं, ईमान से पल्लोक, लबारी नइ मारत हौं !
*उंघर्रा* * *अरे एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा कईसे होथे ? तेला प्रमाणित कर देबे, तव सिरतोन म मोर सारी संग तोर बिहाव करवा देहूं, समझे के नहीं ?*
*फेकू कहिस- तीन बाचा बाच के जल धर के संकलप करबे,तब सिरतोन म "एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा कईसे होथे ? प्रमाणित करके देखा देहूं*
*उंघर्रा ह फेकू के कहे अनुसार तीन बाचा बोलके जल धर के संकलप करिस- "एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा कईसे होथे? तेला प्रमाणित कर देबे, तब मोर सारी संग तोर बिहाव करवा देहूं*
* *तब फेकू ह एक हाथ के पाके खीरा ल चीर के ओकर जम्मो बीजा ल जमीन म लमा देहिस, तव नौ हाथ तक वो बीजा मन लम गईन !*
*फेकूराम के अक्कल ल देख के उंघर्रा के आंखी खुल गे, मुंह फार के फेकूराम ल देखे लागिस!*
*फेकूराम- मैं तो प्रमाणित कर देहेंव- "एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा ए दईसे होथे ! अब तहूं अपन वादा पूरा कर, तेमा हम दूनो साढ़ू बन जाई , कईसे भईया सुनत हस के नहीं ?*
*उंघर्रा ल जाना सांप सुंघ गए हे तईसे हो गे ! फेकूराम के मुंहे-मुंह ल ताके लागिस !*
( दिनांक - 15.05.2023)
आपके अपने संगवारी
*गया प्रसाद साहू*
"रतनपुरिहा"
*मुकाम व पोस्ट करगीरोड कोटा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़)*
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