मया
चन्द्रहास साहू
मो 8120578897
सिरतोन मया ही तो आवय जौन अजर अमर रहिथे। मया हा जिनगी जीये के उद्देश्य ला बताथे। भलुक मया के आने आने बरन हो सकथे फेर सब बरन मा मयारुक के मान सम्मान अउ विश्वास करे बर सीखोथे। इही मया ले तो सृष्टि बने हाबे...अउ बिन मया के संसार के कल्पना घला नइ करे जा सके। मया मा पाना भी होथे अउ लुटाना घला होथे। मीरा बाई अपन जिनगी ला लुटा दिस अपन आराध्य बर। हीर रांझा लैला मजनूं ला कोन नइ जाने ? सब मया मा देये तो हाबे भलुक पाये कमती होही ! अउ जौन पाये हाबे तौनो हा अमूल्य आवय।
.....अउ महूं हा आज मया मा कुछु पाये के उदिम करत हॅंव। फेर...?
जम्मो ला गुणत-गुणत तियार होवत हाबे मोटियारी रुपा हा। टीवी चलत हाबे अउ वहूं मा मया के महत्तम के गोठ-बात होवत हाबे। आज तो मया के रंग मा सब रंग गे हाबे। आज मया के दिन आवय। विशेष दिन आय-वैलैनटाइन डे चौदह फरवरी। अब्बड़ दिन ले अगोरा करत रिहिस आज के दिन के। ..अउ आज के दिन आइस तब तो बिहनिया ले बाट जोहत हाबे अपन मयारुक राहुल के। घेरी-बेरी मोबाइल ला देखत हाबे तब घेरी-बेरी घर के मोहाटी ले निकल के देखत हाबे वोला।
"हो गेस तियार। कर डारेस जम्मो जोरा-जारी ला।''
टू.... टू.... मोबाइल घरघराइस। मेसेज देखते साठ वहूं मेसेज पठोइस।
"हाॅंव''
अउ अब तो पाॅंख लगगे, उड़ाये लागिस। आँखी मा काजर माथा मा टिकुली होंठ मा मुॅंहरंगी,हरियर सलवार सूट पहिर के अपन आप ला दरपन के आगू मा ठाढ़े होके देखिस तब तो मोटियारी रुपा हा लजा गे।
अब अपन आप ला तियार कर डारिस जाये बर। फेर जरुरत के जिनिस ? वोला तो धरेच नइ हाबे। सकेले लागिस।.... फेर अब डर समावत हाबे हलु-हलु। अपन संगी संगवारी मन ला तो अब्बड़ उपदेश देये रिहिन उदाहरण दे देके। मयारुक हा अपन मया ला पाये बर एवरेस्ट फतह कर लेथे। आग के दरिया ला पार पा लेथे। कनाडा के दीवानी टूरी हा सात समुंदर पार करके आगे नेताम टूरा के मया मा। चार झन लइका के महतारी सीमा ला कोन नइ जाने ? भारत अउ पाकिस्तान के सीमा विवाद ले जादा चर्चित रिहिन पाकिस्तानी सीमा हा। भलुक बिचारी सीमा अफगानिस्तान नेपाल के सीमा लांघ के हमर भारत मा खुसरगे अपन मयारुक सचिन बर। ....अउ मेंहा ? अपन घर के डेरउठी ला लांघ के मोर मयारु राहुल ले मिले बर नइ जा सकत हॅंव।
रुपा गुणत-गुणत अपन मन ला पोठ करिस अउ जम्मो जरुरत के समान ला जोरत हाबे। सुटकेस मा क्रीम पाउडर अउ मेकअप के जिनिस संग चार जोड़ी सलवार सूट जींस टाप मफलर ला जोर डारिस। मन मा अब्बड़ उछाह रिहिस रुपा के। ये बेरा ला अब्बड़ जोहत रिहिन।.. फेर अब जाये के बेरा दाई-ददा के सुरता आवत हाबे। अब मन दूमना होये लागिस राहुल के संग जावंव कि नहीं ....? अब्बड़ गरेरा चलत हाबे रुपा के अंतस मा। उम्मर होये के पाछू जम्मो टूरी ला एक दिन बिहाव करे ला लागथे। मेंहा अपन मन ले टूरा संग बिहाव कर लुहूं तब का अनित हो जाही ? दाई ला तो अब्बड़ मनाये रेहेंव फेर ददा ला समझा नइ सकिस दाई हा। उल्टा अब्बड़ गारी बखाना करिस ददा हा।
"अनजतिया टूरा राहुल ले मिलबे-जुलबे ते गोड़ हाथ ला टोर के खोरी बइठार दुहूं रूपा!''
अइसना तो गरजे रिहिन ददा हा। ...अउ दाई हा घला टेड़वाये रिहिन। सब के दाई ददा अपन लइका के जम्मो साध ला पूरा करथे फेर मोर दाई-ददा हा तो कसाई बनगे हाबे। मोर जम्मो उछाह के बलि लेवत हाबे।
टीवी मा विद्वान मन के डिबेट चलत हे। एक्सपर्ट मन के तर्क-वितर्क होवत हाबे वेलेंटाइन डे अउ लव जेहाद ऊपर। पंडित, मौलवी,पादरी सब अपन-अपन धर्म ला श्रेष्ठ बतावत हाबे। दुनिया भर ला शांत रहे बर सिखोइया जम्मो विद्वान मन अब एक दूसर बर अगिया बेताल होवत हाबे। कुकुर कटायेन बरोबर झगरा होवत हाबे। रुपा अब चैनल बदलिस। ....जी धक्क ले लागिस। मुॅंहू उघरा रहिगे। आँखी हा टीवी मा चिपकगे बिन मिलखी मारे।
ब्रेकिंग न्यूज चलत रिहिस।
"फेसबुक का प्यार पड़ा भारी। ईज्जत के साथ पैसा भी गवाई उस लड़की ने। ...और अंत मे जान से हाथ धोना भी पड़ा।''
समाचार प्रस्तोता हा मिरचा मसाला लगाके समाचार ला देखावत हाबे। सनसनी तो अब्बड़ हाबे फेर संवेदना नइ दिखत हाबे एंकर मे।
" ...अंधे कत्ल का मिला सुराग। प्रेमी ही निकला मास्टरमाइंड। प्रेमिका के पैतिस टूकड़े करके लाश फ्रीज मे छुपाया था।''
समाचार बोलइया हा अब लाश के पोटली ला देखावत हाबे। फ्रीज अउ टूरी के रोवत बिलखत दाई-ददा ला घला घेरी-बेरी देखावत हाबे। बड़का स्क्रीन मा सरकार के योजना के विज्ञापन घला चलत हाबे।
"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।''
"बेटी पढ़ेगी, विकास गढ़ेगी।''
"बेटियो की सुरक्षा के लिये बजट मे पंद्रा सौ करोड़ रुपया से बढ़ाकर पच्चीस सौ कर दी गई है।.... अउ छत्तीसगढ़ ला सुशासन बर दिल्ली मे देये जाही बड़का ईनाम।''
रुपा ला झिमझिमासी लागिस। नस-नस मा लहू के संचार बाढ़गे। हाथ गोड़ काॅंपे लागिस। माथ मा पसीना चिकचिकाये लागिस। मुॅंहू चपियागे। ..अउ रंधनी कुरिया मा जाके गड़गड़-गड़गड़ पानी पी डारिस मोटियारी रुपा हा। मन मा गरेरा चले लागिस। मोरो मया तो फेसबुक के मया आवय। मोरो मयारुक राहुल हा अइसने कर दिही का....? जी काॅंपगे एक बेरा अउ। ...न ...न नही। मोर राहुल तो अब्बड़ मया करथे...अपन जान ले घला जादा। तभे तो एक बेरा अपन हाथ के नस ला काॅंट के लव लेटर लिखे रिहिन। पीरा मा काहरत रिहिस फेर होंठ मा स्वीट स्माइल घला रिहिस। पिज्जा के साध पूरा करे बर भोंभरा जरत रोड मा जुच्छा गोड़ गेये रिहिन।....मोर... मोर राहुल तो हजारों नही लाखो करोड़ो मा एक हाबे। ... अब्बड़ मया करथे। अपन मल्टी नेशनल कंपनी मा अब्बड़ मान पाथे। साफ्टवेयर इंजीनियर हाबे पड़पीड़-पड़पीड़ अंग्रेजी बोलथे।..... सुघ्घर हाईट ....सुघ्घर परसानिलिटी। राहुल के सुघरई मा समाये लागिस रुपा हा।
"...टू...टू.. ।''
मोबाइल मा मेसेज आइस तब धियान टूटिस।
"अभिन तुंहर घर कोती नइ आ सकत हॅंव। अब्बड़ पुलिस चेकिंग चलत हाबे तही बस स्टैंड मा आ जा मोर स्वीट हार्ट रुपा !''
राहुल के मेसेज रिहिस। मेसेज के पाछू हार्ट के संग स्माइली के सुघ्घर इमोजी बने हाबे।
टू...टू.... फेर दुसरइया मेसेज आइस।
"गाहना जेवर अउ रुपिया पैसा धर लेबे। मोर हालत ला जानत हस।''
"ओके''
रुपा घला स्माइली के संग किसिंग इमोजी बनाके मसेज रिसेंड करिस अउ अपन पर्स ला देखे लागिस। पर्स मा एक सौ इक्यावन रूपिया भर हाबे। दाई हा पर्स ला बर्थ डे गिफ्ट देये रिहिस। जुच्छा पर्स दाई ? रुपा के गोठ सुनते साठ ददा हा देये रिहिस एक सौ इक्यावन रूपिया ला । अतका पइसा कहाॅं ले पुरही ? रुपा फुसफुसावत किहिस अउ आलमारी मा खोजे लागिस संग मा गाहना जेवर ला घला खोजत हाबे। ...कोन जन कहाॅं लुका देये हाबे ते मम्मी हा ? संदुक पेटी आलमारी दीवान जम्मो ला देख डारिस फेर नइ मिलिस। मन बियाकुल होगे। .....अउ मिलिस तब जुन्ना संदुक मा, जौन हा रुपा के दाई के जोरन संदुक आवय। माला-मुंदरी,ककनी-बनुरिया, अइठी, रुपिया माला,बिछिया.... सब गाहना ला ससन भर देखिस। दाई हा पहिरे आगू ये जम्मो ला। फेर अब कभु परब तिहार मा पहिर लेथे। कभु-कभु तो रुपा हा घला पहिर के इतरा लेथे। फेर रुपा बर आने जेवर मन हा हाबे दुसर पोटली मा। मांग मोरी, पायल, मंगल सूत्र, रानी हार करधनी,बाजूबंद अउ जम्मो ..... जेवर, दाई हा हियाव करके बिहाव के जोरा जारी करत हाबे।
सिरतोन बेटी हा ठुबुक-ठाबक रेंगे ला धरथे अउ बिहाव के जोरा-जारी करे ला धर लेथे दाई ददा मन हा। रुपा के बिहाव बर जेवर के संगे संग सील बिसा डारे हाबे भांवर किंजरे बर। पंचरतन के बरतन चरण पखारे बर अउ धौरी बछिया ला घला अलगा डारे हाबे टीकावन बर। जम्मो ला गुणत-गुणत सोना के जेवर मन ला अपन पर्स मा जोरे लागिस रुपा हा। ....अउ पइसा ? रंधनी कुरिया के कोनो फुला-पठेरा मा मिल जाही। भलुक दाई हा मास्टरीन हाबे फेर हे तो देहाती।
अब थरथरासी लागत हाबे। जी घुरघुरावत हाबे। जौन दाई ददा हा जनम देये हाबे। पाल पोसके बड़े करे हाबे तौन ला तियाग के कइसे जावंव। घर के चौखट ला नाहकना जम्मो मरजाद ला टोरना आवय। नत्ता-गोत्ता ला छोड़ना आवय।
रुपा फेर सोच के भंवरी मा अरझे लागिस।
"तिही मोर जम्मो जिनगी आवस। तोर बिना मेंहा मर जाहूं रुपा ! आज वैलेंटाइन डे के दिन कही दुरिहां जाके हमर प्यार के घरौंदा बनाबो, जिहाॅं उछाह अउ अगाध मया रही। आ जा मोर जान ! मोर स्वीट हार्ट कम वेरी फास्ट आई एम वेटिंग हियर।''
राहुल फोन मा फेर समझाये लागिस। .....अउ जब मयारुक के मया के पूरा बोहाथे तब दाई-ददा के गोठ ला बिसरा देथे। रुपा हा अब्बड़ बताये चेताये रिहिस अपन दाई-ददा ला राहुल के बारे मा। एक बेरा तो दाई-ददा ले मिलाये घला रिहिन फेर ददा के खोधा निपोरी।
"का जात आवय तोर राहुल ? का गोत्र हरे ? के झन कका, फूफा, फूफी हाबे। ममा-मामी मन के कतका झन लइका हाबे अउ तुमन के भाई बहिनी होथो ?''
राहुल एको ठन के उत्तर नइ दे सकिस। भलुक शहर के रहवइया मन हा अइसन ला का जानही। ...अउ ये मन तो हायर एजुकेटेड फैमिली हरे- साफ्टवेयर इंजीनियर। डैड के नाव मा आईल मिल, टेक्सटाइल मिल्स हाबे। सबके दाई-ददा उछाह होथे अइसन अरबपति घर संग नत्ता जुरत हाबे फेर मोर भोकवा ददा ला..... ? आपत्ति होगे।
अपन बरोबर के संग नत्ता जुरही रुपा। धन-दोगानी के अंधरा मन ला अपन गोत्र, अपन कका फूफा के नाव नइ जानबा होवय। अइसन घर मा मोर एकलौती बेटी के कन्यादान नइ कर सकंव। रुपा के ददा सोज्झे सुना दे रिहिन।
रुपा जम्मो ला गुणत-गुणत अब घर के डेरउठी ला नाहक डारिस। मुड़ी कान ला अइसे बांधिस कि कोनो नइ चिन्ह सके। मेन रोड मा आके राहुल के अगोरा करत हाबे। .... ...जोजन होगे अगोरा करत। ...अउ अइसन मा नानकुन बेरा हा घला अब्बड़ जनाथे। उप्पर ले दाई ददा के डर उदुप ले रद्दा मा ओरभेट्टा झन हो जावय। दुनो कोई आज मातृ-पितृ दिवस मनाये बर पुरखा गाॅंव गेये हाबे।
सब्बो ऑटो भीड़ चलत रिहिस। न कोनो लिफ्ट बर दिखत हाबे न कोनो जुच्छा ऑटो । तभे दूरिहा ले एक झन ऑटो आइस। रुपा हाथ देखाइस।
"बस स्टैंड जाना हे।''
रुपा अब ऑटो मा बइठके बस स्टैंड कोती जाये लागिस। मन के गरेरा अभिन शांत नइ होये हाबे। राहुल ला अब फोन करिस रुपा हा।
"दस मिनट मे अमर जाहूं बस स्टैंड। कोन जगा मिलबे ?''
"अरे, कुछ काम के सेती रेलवे स्टेशन आगे हॅंव। इहीन्चे आ जा।''
ओती ले राहुल के आरो आइस। अब ऑटो हा रेलवे स्टेशन कोती दउड़त हाबे। रुपा के चेहरा अब कुमलाये लागिस। ऑटो वाली दीदी हा जम्मो ला देखत गुणत हाबे। तभो ले काकरो लाटा-फांदा मा काबर पड़ही ?
"रेलवे स्टेशन अमर जाहूं अब। कोन मेर मिलबे ?''
"वेटिंग हाॅल मा अगोरा करबे रुपा ! माई स्वीट हार्ट! ओनली टू मिनिट देन आई विल मिट इन्फ्रंट आफ यू !''
राहुल के गुरतुर गोठ रिहिस।
रुपा ऑटो वाली दीदी ला हिसाब करके पइसा दिस अउ स्टेशन टिकट कटा के वेटिंग हाॅल मा अगोरा करे लागिस।
"कोन शहर जाना हे ? टिकट कटवा लेथो बता ?''
"बस दू मिनट मा आवत हॅंव। आन लाइन साढ़े चार हजार रुपिया ट्रान्सफर कर दे रुपा।''
राहुल के फोन रिहिस।
"हाॅंव !''
रुपा पइसा ट्रान्सफर करिस अउ अगोरा करे लागिस। दू मिनट हा .... पंद्रा मिनट ...आधा घंटा...एक घंटा..... एक ले दू घंटा होगे फेर राहुल नइ आइस। अब्बड़ बेरा फोन करिस तभो ले न कोनो जवाब आइस अउ न कोनो मेसेज पठोइस।
"कब आबे राहुल ! एक-एक छण अब अब्बड़ पहाड़ लागत हाबे।''
मोबाइल के काॅलिंग बटन ला मसकिस।
"वोह ... सोरी बेबी ! बस टू मिनिट।''
राहुल के गोठ सुनके रुपा अगियावत हाबे। काया मा रगरगी समागे हे।
"...अउ कतका ? तोर दू मिनट कतका बेरा होथे। एक अकेली लड़की जम्मो घर बार छोड़ के तोर बर आवत हाबे अउ तेहां दू मिनट कहिके मटकावत हावस।''
रुपा अब फट पड़िस। आँखी मा असवन बोहाये लागिस।
"अपन घर ले जाहूं बेबी ! माॅम डैड को भी मनाना पड़ता है। पच्चीस हजार एकाउंट में ट्रांसफर कर दे। अब ट्रेन ले नइ जावन भलुक प्लेन ले जाबो। उही जावत हॅंव आ जा!''
राहुल अब हवाईअड्डा बलाये लागिस। रुपा खिसियावत हाबे। तभो ले राहुल के मंदरस बोली ले फेर मोहागे।
अब रेलवे स्टेशन के बाहिर फेर ऑटो के अगोरा करे लागिस रुपा हा। ऑटो वाली दीदी फेर मिलगे। सवारी खोजत रिहिस। मोल भाव करिस अउ बइठके अब हवाईअड्डा जावत हे।
"कहाॅं जावत हस बहिनी ! बस स्टैंड ले रेलवे स्टेशन, रेलवे ले हवाई अड्डा ?''
ऑटो वाली दीदी के गोठ सुनके रुपा हा अकबकागे। का बताही ?
"घर ले भाग के जावत हस न ? अउ वहूं ला गैर जिम्मेदार टूरा संग।''
ऑटो वाली दीदी किहिस। रुपा अकचकागे।
"न .... नही । हम वइसन घराना के नइ हरन वो दीदी !''
रुपा गला खखारत किहिस।
"भले घर के हरस, सुघ्घर दाई ददा के बेटी आवस तभे तो तोर आँखी मा पट्टी बंधाये हाबे। लबरा टूरा ला नइ जान सकत हस। कहाॅं जाना हे, कइसे जाना हाबे .. बस टूरी ला किंजारत हाबे। कतका दिन के हरे तुंहर मया हा ? कब ले जान पहिचान होये हाबे ? अपन समझके पुछत हावंव। बताबे ते कुछू मदद करहूं अउ नइ बताबे तभो हमर का हे ? दसो झन मनखे ले ओरभेट्टा होथन कोनो ला अपन दुख ला बताथन तब काकरो दुख मा पंदोली देथन।''
रुपा अब्बड़ गुणे लागिस ऑटो वाली दीदी के गोठ ला सुनके। बताओ कि नइ बताओ मन दू मना रिहिस तभो ले बताइस।
"छे महिना आगू जान पहिचान होये हाबे। दू चार बेर सौंहत मिले हावंव। सबले पहिली फेसबुक में मिले रेहेंन। पहिली दोस्ती होइस ताहन मया बाढ़िस अउ अब किरिया खा डारे हावन एक दूसर के साथ निभाबो अइसे।''
ऑटो वाली दीदी ला बताइस रुपा हा।
ट्रिन ट्रिन फोन के घंटी फेर बाजिस।
"पइसा ट्रान्सफर कर मोर स्वीट हार्ट ! टिकट कटाना हाबे।''
टूरा राहुल के फेर फोन आगे।
"कहाॅं हस घेरी-बेरी नचावत हावस।''
"कही नही..! पगली बस दू मिनट.....! पइसा ट्रान्सफर कर। प्लेन के टिकट....!''
फोन कटगे। रुपा अब मोबाइल के गुगल पे मा सर्च करे लागिस फेर ऑटो वाली दीदी के गोठ सुनके अतरगे।
"बहिनी ! तोर जिनगी ला कइसे जीबे तौन ला तिही हा बने सुघ्घर जानबे फेर मोर गोठ ला मानबे तब पइसा के ट्रान्सफर झन कर। टूरा ला एक बेर अउ परख ले।''
ऑटो वाली दीदी के गोठ सुनके सिरतोन रुपा हा गुणे लागिस। का सिरतोन ठगावत हावंव मेंहा..?
ट्रिन ट्रिन.......।
फेर फोन आगे अब राहुल के। रुपा फोन उठाइस।
"पइसा ट्रान्सफर कर दे मोर स्वीट हार्ट !''
"कोन जगा हावस तेन ला बता। सौंहत मिलके दुहूं पइसा।''
रुपा के गोठ सुनके राहुल अकचकागे। हड़बड़ावत किहिस "गाॅंधी चौक कोती आबे।''
अब तो रुपा के गाड़ी गाॅंधी चौक कोती दउड़े लागिस।
"नारी के जिनगी मा अब्बड़ बीख रहिथे बहिनी। भोलेनाथ बनके रोज बीख ला पीये ला परथे। ...अउ भरोसा घला अब्बड़ जांच परख के करे ला पड़थे। मोरो जिनगी मा अइसन गरेरा आये रिहिस बहिनी ! दाई-ददा, घर-दुवार ला छोड़ के महूं हा सोहेल संग भागेंव फेर टूरा हा भरोसा के लइक नइ रिहिस कोनो आने के चक्कर मा रिहिस।... मिही हा वोला छोड़ देंव। ......अउ माई-माइके के मोहाटी बंद हो जाथे एक बेरा बेटी के गोड़ बाहिर निकलथे ते। मोरो माइके के मोहाटी बंद होगे। तब ले इही ऑटो हा मोर जम्मो नत्ता-गोत्ता होगे हे।''
ऑटो वाली दीदी किहिस।
अब गाॅंधी चौक मा अमरिस तब तो रुपा के जी धक्क ले लागिस। ठाड़ सुखागे राहुल ला देखिस तब। रोड के वो पार ठाड़े रिहिस राहुल हा। दू झन पुलिस वाला मन धरे रिहिस वोला अउ पुलिस वाला के दल रिहिस हवलदार, इंस्पेक्टर,थानादार अउ एस पी। गांजा तस्कर करत सपड़ाये हाबे राहुल अउ वोकर चार झन संगवारी मन। बस दू मिनट होये हाबे । अभिन-अभिन धराये हे। हाथ मा हथकड़ी पहिरे राहुल हा रुपा ले बांचे के उदिम करत हाबे । फेर कहाॅं लुकाही...? अब तो सब उघरगे। रुपा के आँखी घला।
ऑटो वाली दीदी अब समझाये लागिस रुपा ला बड़े बहिनी बन के। पोटार लिस।
अब लहुटत हाबे अपन घर कोती, जम्मो छोटका-बड़का गोठ मा हियाव करइया दाई ददा के अंगना मा। अब दुनिया के सबले सुघ्घर लागत हाबे रुपा ला अपन दाई-ददा हा। संकल्प लेवत जावत हाबे आज अपन दाई-ददा के जम्मो गोठ ला माने बर। ....पूजा करके आसीस पाये बर।
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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया
आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी
जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़
पिन 493773
मो. क्र. 8120578897
Email ID csahu812@gmail.com