सुरता
💐💐मोर मयारुक दादी💐💐
बहुत पहली के बात हरे जब मैं डिग्री गर्ल्स कालेज में बी ए प्रीवियस के विद्यार्थी रेहेव । तब विद्यार्थी मन ल एन. सी. सी. या एन. एस. एस. में से कोई एक ल चुनना जरुरी रहय , तब मैं एन. एस. एस. ले रेहेव ।तब हमर पाण्डेय मेडम एन. एस. एस. के प्रभारी शिक्षिका रिहिस। ओकरे डहर ले कैम्प मा जाये बर मोला चुनेगे रिहिस अउ ओकरे ले पता चलिस कि ए दारी एन. एस. एस. के समूह ल दामाखेड़ा गांव जाये बर परही अउ उहां जाके सामाजिक कार्य करे ल परही। गांव म जाके श्रम दान करे ल परही।तब दिसम्बर के महीने मा हमन बस मा चढ़ के मंझनिया बेरा 3 बजे दामाखेड़ा गांव पहुंच गेन। उहां जाके चार पांच दिन में सब्जी बेचईया मन बर चंवरा के बनाए के उदिम करेन। बड़े बिहनिया 9 बजे ले 1 बजे तक श्रम दान करन तेकर पाछू आके बने सपेट के दार भात खावन ।ओही गांव मा कबीर के बहुत अकन अनुयायी रहिन , जउन ब्रह्मचर्य व्रत के पालन करय अऊ संन्यासी के जइसे उहां जीवन यापन करय । महिला अउ पुरुष दूनों उहां रहत रहिन। उहां के दार भात रोटी सब्जी गजब स्वादिष्ट और आरुग रहय ।उहां भोजन के बेरा होवय तहां भोजन के समय रसोईया मन गोहार लगावय भोजन पावव संतमन। अइसना उन्कर गोहार मौला गजब नीक लागय । अभी भी मेहा जब कभू भी भोजन करे बर बुलाथंव त मोर मुंह ले एही बात निकलथे । आवव भोजन पावव संत। उहां कोनो गृंघ मुनि रहिन जउन ओ आश्रम के संचालक रहिन। 1:00 बजे ले लेके 2:00 बजे तक भोजन करे के रहय ओकर पाछू बौद्धिक परिचर्चा के कार्यक्रम के बेरा हो जावय कोनो एक बिषय मा भाषण अउ वाद-विवाद के बिषय मिलय जेमा अपन अपन बिचार ल बोलेल परय जेमा एकले बढ़के
एक बोलइया नोनी मन अपन बिचार ल ब्यक्त करय। एक दिन हमन ल वाद - विवाद बर विषय मिले रहय कि, बर बिहाव अपन जात मा करना चाही । मैं विषय के पक्ष में अपन सुघ्घर बिचार बतायेव त आने आने बिद्यार्थी मन बिषय के बिपक्ष मा घलो सुघ्घर बिचार बात रखिन।भजन अउ सुघ्घर सुघ्घर गीत घलो गावन।
उंहा बौद्धिक परिचर्चा ल सुनेबर गांव के बिदुषी गुणी महिला मन आवय अउ हमर परिचर्चा भाषण जम्मों ल सुनके गजब खुश होवय । ओही गांव मा एक सियनहिन वृद्ध महिला रहय जउन कि गजब विदुषी रहय ।जउन वाद - विवाद ल सुनके बहुत आनंद लेवय । वोहर गांव के सरपंच घलो रहिस ।अउ ओला हमन मिश्रा दादी कहन । दिखे मा गजब सुंदर, फक गोरी , लम्बी ,गजब सुंदर आकर्षक नाक - नक्शा वाली बहुत सुंदर महिला रिहिस ,वोकर पूरा व्यक्तित्व बहुत आकर्षक रिहिस अऊ वोहर बहुत सुघ्घर मनमोहक हारमोनियम बजावत रिहिस। वोहर अकेल्ला घर म रहय । ओकर कोनो बाल बच्चा लोग लइका नी रिहिस । वोहर गांव के सरपंच रिहिस अउ समाज सेविका के जम्मो गुण ओकर अंदर रिहिस।फिल्म में दादी ल जइसना सुघ्घर दिखाथें वइसने दिखय । वो विदुषी महिला मोर भाषण अउ वाद-विवाद ल सुनके बहुत प्रभावित होइय अउ मोर ले गजब मया करे लागिस। अइसने वोहर चार-पांच दिन तक हमर बौद्धिक परिचर्चा कार्यक्रम मा आवय हमर गोठ बात ल धियान देके सुनय अउ मोला ओकर बहुत मया मिले लागिस । अउ बहुत अकन नोनीमन जउन एन एस एस कैंप में आये रहिन ते मन ला ये बात एक्को बने नी लागत रिहिस , त वो मन मोला डेरावा दीन कि वो महिला तोला जादू टोना कर देही। तै वोकर ले ज्यादा मत मिले जुलेकर दुरिहा रेहे कर अइसे बोलके वोकर से मिलेजुले से रोकय । जब भी वो दादी आवए त एही पूछय की संध्या कहां हे तब मोर वो संगवारी मन संध्या तो दूसर काम बर गे हावय अइसे बोल के मोला कहूं लुका देवय । तब वो दिन में मैं कतेक बुद्धू रेहेव कि वो दादी के मया ल समझ नी पायेव । हमन तब दामाखेड़ा गांव में 10 दिन रेहेन 10 दिन के बाद हमार एन एस एस के शिविर खतम होवइया रहिस अउ हम मन अब वापिस रायपुर लहुटइया रेहेन । तब वाकई म वो दादी ल मोर ले बहुतेच मया होगे रिहिस। अउ वोहर पता कर लिस कि हमन कब लहुटबो । हमर मन के लहुटे के तियारी चलतेच रहीस तभेच वो दादी आइस और गजब प्यार ले मोला अपन हृरदे ले लगा लिस , अउ आंसु भरे आंखी ले मोला देखिस अउ शिकायत धलो करिस, कि मैं तोरले मिलेबर कई बार आयेव फेर
तोला नी पायेव । तोर सुभाव गजब सुघ्घर हावय, तोर महतारी बापमन सुघ्घर संस्कार देहे हावय ,अउ तै गजब सुघ्घर गीत गाथस । तोर कंठ गजब मीठ हावय कोयली बरोबर मीठ गाथस अउ सरसती दाई के घलो किरपा हावय गजब सुघ्घर बोलथस।10 दिन ले मिलत मिलत तोर ले गजब मया होगे हावय। जम्मों नोनी मन ले दुरिहाय ल परही ये सोच के बने नी लागत हे ।मोर मन बहुत दुखी हावय, अइसे बोलके मोर तीर आइस अउ किहिस तोर ले मोला गजब मया होगे रिहिस वोकर अंतस के मया हर आंसु बन आंखी ले ढरे लगिस ।अउ केहे लागिस फेर कभू अपन माता- पिता के संग कभू भी आबे। अउ जब आबे त जरूर मोरसे मिलेबर आबे अइसे कहत कहत मयारुक दादी हर एक ठन कलम मोर हाथ मा थमादिस अउ रद्दा मा खाये बर बहुत अकन फूटे चना दिस, अउ अपन आंसु बोहात रोवत धोवत मोला विदा करीस। तब मोला अपन गलती के पता चलिस कि वो दादी मोर उपर कोनो टोना जादू करेबर नी आवत रिहिस भलुक मोला बिकट मया करय अपन पोती समझ के मया करे बर मोर तीर आवय ।
आज घलो मोला मयारुक दादी के मुस्कियात चेहरा मोला दिखथे। अउ अब अपन मूर्खता उपर मोला तरस आथे बढ गुस्सा आथे , कि मैं ओकर मया ल नी समझ पायेव।अपन झोली मा नी धर पायेव। मैं भगवान ले विनती करत हव वोहा जिहां भी होही सुखी रहय खुश रहय। ओकर चरण मा मोर बारम्बार वंदन हे नमन हे।🙏🙏🙏🌷🌷🙏🙏🌹🌹🙏🙏💐💐🙏🙏🙏
डॉ संध्या रानी शुक्ला
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