2 मार्च - पवन दीवान के 9 वीं पुण्यतिथि म विशेष
भगवताचार्य अउ संत साहित्यकार पवन दीवान
– ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘
जउन मन मा हा छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ला जगाय के गजब उदिम करिस वोमन मन मा पं. सुंदर लाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह,खूबचंद बघेल , कृष्णा रंजन , दाऊ रामचंद्र देशमुख,हरि ठाकुर ,लक्ष्मण मस्तुरिया , अउ संत कवि, भगवताचार्य पवन दीवान के नांव अव्वल हवय । दीवान जी हा बाहरी मनखे मन के द्वारा जउन शोषण करे जात रिहिस वोकर अब्बड़ विरोध करिन. लाल किला ले काव्य पाठ कर छत्तीसगढ़ के मान बढाइन.
दीवान जी के जनम किरवई गांव मा 1 जनवरी 1945 मा होय रिहिन हे । वोकर कर्मभूमि राजिम के संगे- संग पूरा छत्तीसगढ़ रिहिन ।
दीवान जी एक भगवताचार्य के संगे -संग बड़का साहित्यकार अउ राजनीतिज्ञ रिहिन। विधायक, सांसद अउ अविभाजित मध्य प्रदेश के मंत्री घलो बनिस । गौ सेवा आयोग छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष बनाय गिस । माता कौशल्या शोध पीठ के अगुवा रिहिन। माता कौशल्या के स्मारक बनाय बर अब्बड़ उदिम करिन। छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ल जगाय बर सुघ्घर कारज करिन।
दीवान जी के भागवत प्रवचन मेहा पहिली बार राजनांदगांव जिला के गांव भर्रेगांव मा सुने रेहेंव । ये भर्रेगांव ह चंदूलाल चंद्राकर के जनम भूमि हरे। जब दीवान जी के भर्रेगांव म भागवत -प्रवचन होइस वो समय मेहा मीडिल स्कूल मा पढ़त रेहेंव ।वो समय वोहा जवान रिहिन हे । वोकर भागवत -प्रवचन सुने बर अपार जन समूह उमड़ पड़े । वोकर जोरदार ठहाका ला भर्रेगांव मा सुने रेहेंव । जब वोहा हंसय ता सब ला हंसा के छोड़य । अइसने बुचीभरदा (सुरगी) मा घलो वोकर प्रवचन के लाभ उठाय रेहेंव ।बीच बीच मा अपन कविता सुना के मनोरंजन करे के संगे संग लोगन मन मा जागरुकता लाय । अपन हक बर आगू आके लड़े के प्रेरणा देवय ।
सन् 2001 मा कन्हारपुरी, राजनांदगांव मा छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन मा दीवान जी के काव्य पाठ सुने के अवसर मिलिस. येकर बाद छत्तीसगढ़ राज
भाषा आयोग के प्रांतीय सम्मेलन मा उंकर सुग्घर विचार सुने ला मिलिस.
सौभाग्य से हमू मन ला माई पहुना के रुप मा दीवान जी के दर्शन होइस वोकर सुग्घर बिचार
सुने के संगे संग हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी कविता ला सुनके धन्य होगेन ।
जब साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगांव द्वारा 10 जून 2007 मा होवइया आठवां वार्षिक सम्मान समारोह बर निमंत्रण छपवायेन ता सुरगी के संगे- संग आस पास के गांव के लोगन मन ला एको कनक बिश्वास नइ होय कि पवन दीवान जी हा इंकर कार्यक्रम मा आही!
ये सब संभव हो पाय रिहिस डॉ. नरेश कुमार वर्मा जी के कारण । मूलत : भाटापारा (बलौदाबाजार) निवासी वर्मा जी वो समय दिग्विजय कालेज राजनांदगांव मा हिन्दी के प्रोफेसर रिहिन । ।वर्मा जी अउ हमर साकेत साहित्य परिषद् सुरगी के कुबेर सिंह साहू जी , वरिष्ठ कहानीकार डॉ. परदेशी राम वर्मा जी से बढ़िया संबंध बन गे रिहिस । एकर से पहिली डॉ. वर्मा जी हाै हमर वार्षिक समारोह मा दो तीन बार पहुना के रूप मा पहुंच चुके रिहिन ।ये प्रकार ले साकेत परिषद् ले सुग्घर संबंध बन गे रिहिन ।डॉ. परदेशी राम वर्मा जी कृपा ले पवन दीवान जी के सुरगी आगमन होइस ।संगे संग छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी हा घलो पहुना बन के आय रिहिन । वो समय बघेल जी हा विपक्ष मा दमदार नेता रिहिन ।
ये कार्यक्रम मा दीवान जी के हाथ ले छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति राजनांदगांव के अध्यक्ष आत्मा राम कोशा अमात्य जी अउ साकेत के तत्कालीन सचिव अउ वर्तमान अध्यक्ष भाई लखन लाल साहू लहर जी ला साकेत सम्मान 2007 प्रदान करिन ।
इहाँ दीवान जी हा अपन विचार राखिस तेमा छत्तीसगढ़ी भाखा ला राजभाषा बनाय के मांग करे गिस । येमा पारित प्रस्ताव ला राज्य शासन के पास भेजे गिस.येकर बर डॉ. परदेशी राम वर्मा जी के साथ मिलके अभियान घलो चलाइस ।अपन उद्बोधन के माध्यम से छत्तीसगढ़िया मन ला जागरुक करिन।बीच बीच मा अपन जोरदार ठहाका ले लोगन मन ला गजब हंसाइस ।दीवान जी हा किहिस – “हमर छत्तीसगढ़ हा माता कौशल्या के मइके हरय तेकर सेति भगवान राम हा इहां के भांचा कहलाथे ।तेकरे सेति हमर छत्तीसगढ़ मा भांचा भांची ला गजब सम्मान देय जाथे । आगे किहिस कइसे सुग्घर ढंग ले कहिथन – कइसे भांचा राम । सब बने बने भांचा राम । कोनो हा कैसे भांचा कृष्ण नइ काहय ।अउ कहइया हा अइसने कहि दिस ता वोहा का कहाही ।"अइसन कहिके फेर जमगरहा ठहाका लगाइस अउ उपस्थित लोगन मन जोरदार ताली बजा के सभा ला गुंजायमान करिन ।ये कार्यक्रम हा
सुरगी के शनिचर बाजार चौक के मुख्य मंच मा होइस ।दीवान जी हा किहिस कि मेहा पहिली बार कोनो साहित्यिक कार्यक्रम ला खुला मंच मा होवत देखत हंव।”अइसे कहिके परिषद् के लोगन मन के उछाह बढ़ाइस।
साथ मा हमर गांव ” सुरगी ”
के सुग्घर व्याख्या घलो कर दिस ” सुर ” माने देवता अउ “गी ” माने गांव ।
एकर बाद दीवान जी हा” राख ,” “चन्दा ” अउ “तोर धरती तोर माटी रे भइया “कविता सुनाके काव्यप्रेमी मन ला आनंदित करिन.
तो ये किसम ले संत कवि पवन दीवान जी के कार्यक्रम हा यादगार बनिस ।हमर साकेत के कार्यक्रम मा पहुंच के परिषद् ला गौरवान्वित करिन । 10 जून 2007 हा हमर परिषद् अउ गांव बर ऐतिहासिक तिथि के रुप मा अंकित रही । जब दीवान जी ह मध्यप्रदेश म जेल मंत्री रिहिन त अपन पीरा ल व्यक्त करिन-"
मोर कर तो कोनो काम नइ रहि गे जी। अब तुही मन बताव ग मंय ह तुमन ल कोन कोन ल जेल म डालंव।"अइसे कहिके जोरदार ठहाका लगाय अउ लोगन मन ल घलो हंसा दय।"
2 मार्च 2016 मा दीवान जी हा स्वर्ग लोक चले गिस । आज उंकर 9 वीं पुण्यतिथि मा शत् शत् नमन हे।
No comments:
Post a Comment