कहिनी *// मुंदरी //*
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बिरझू अपन दाई-ददा के एकेझन लइका रहिस।बपरा गरिबहा रहिस फेर जबर सीधवा,सांवर रंग अउ गठइला देहें बने ऊंचपुर रहिस।पढ़ाई-लिखाई म जबर हुंशियार रहय हर साल के वार्षिक परीक्षा म अउवल्ल आवे।पढ़ाई-लिखाई के संगे-संग खेलकूद म घलो बढ़िया खेलय ते पाय के जिला,राज्य अऊ राष्ट्रीय स्तर के खेलकूद म गोल्ड मेडल पावत रहिस।घर के खुंटी म मेडल सेरीडोरी ओरमे रहय।
दाई-ददा मन सपना घलो देखत रहिन के एकोदिन हमर लइका बड़का साहेब बनय अऊ *गरीब के गोधा* म अँजोर बगराही अइसन मन म *आशा के गठरी* गठियाय रहिन।समे के ठिकाना नि रहे कतका बेर काय हो जाही।जिनगी तो *नदिया खंड़ के रुख* आय कतका बेर पूरा बाढ़ जाही अऊ अपन संग म बोहावत ले जाही।जिनगी बने पहावत रहिस फेर अलहन गोड़ तरी रहिथे।बिरझू के दाई-ददा मन एकदिन टिकरा म मउंहा बिनत रहिन कि रुख के एकठन थाहीं ओमन के ऊपर रचरचावत गिरगे ओमन दूनोंझन रुख के थाहीं म लदका गिन निकले के कोशिश जरूर करत रहिन फेर थांही गरु होय के खातिर निकल नि सकिन भइगे थोरिक बेरा म दूनोंझन के परान निकल गे अपन लइका के हाथ ले घलो पानी नि पाइन अकाल मिरतु होगे।
दाई-ददा के सरग सिधारे के पाछू बिरझू के जिनगी अंधियार होगे।लइकुसहा उमर म *जिनगी के बोझा* मुड़ी म खपलागे।घर के सबो बूता-काम करके स्कूल जावय।एक समे के रांधे ल दू जुवार खावे।बिहनिया बेरा पेपर बांटे घलो जावे,इतवार के दिन काकरो बनी करे जावे जेकर ले दू पइसा मिलय ओकर ले साग-भाजी अऊ कपड़ा लत्ता बिसावत घर के खरचा चलावत रहिस।दाई-ददा के सपना घेरी-बेरी आंखी के आघू झूलत रहिथे।ओहर सपना ल पूरा करे बर कुछू न कुछू उदीम खोजत रहय।
बिरझू के ननपन के संगवारी पारो रहिस,जेन ह बिरझू करा गणित के सवाल पूछे।बिरझू ओला गणित के संगे-संग आने विषय घलो समझावय।पारो सुग्घर संवरेली,गोल मुहरन,लचकुरही बानी,फूल डोंहड़ू असन अऊ फुल चुहकी चिरइ कस चुकचुक ले दिखय।पारो पढ़े-लिखे म ओतका जादा हूंशियार नि रहिस फेर ओहा सुग्घर गीत गावे।ओकर गला म संउहत सरसती दाई बिराजे रहिस जेकर ले ओकर गीत म मंधरस घोरे कस भारी मिठास भरे रहय।अपन गीत ले सबो के मन ल मोह डारे।पारो अपन दाई-ददा के इकलौतीन अऊ दुलवरीन रहिस।
पारो के शिक्षाकर्मी वर्ग तीन म दूरिहा एक गाँव के प्राथमिक शाला म नौकरी लगे रहिस।पारो देवारी-दसेरा अऊ गर्मी के छुट्टी म गाँव आबेच करे।ओहर गाँव आवय त बिरझू करा अवस के भेंट करे जावय।ए दारी पारो गाँव आइस त बिरझू करा भेंट करे गिस त घर सुन्ना अऊ फइरका म तारा लगे रहे।तीर तखार के घर के मनखे मन ल पूछिस बिरझू कहाँ गे हावे ?ओमन बताइन कि एक जघा मनरेगा के काम चलत हावे उंहे काम करे गे हावे।
पारो अपन के स्कूटी म तुरते मनरेगा के काम चलत रहिस तेन जघा पहुंच गिस।अपन स्कूटी ल आमा के रुख के छांव म खड़े करके काम चलत रहिस तेन मेर जाय लगिस।ओहर बिरझू ल चिन्हत नि रहिस काबर कि धुर्रा फुतका म सनाय रहिस।फेर बिरझू अपन के ननपन के मयारुक संगवारी ल कइसे नि चिन्ही!ओहर दूरिहा ले चिन्हारी कर डारिस।कतको झन काम के जांच करइया मेडम आय हावे समझत रहिन।पारो थोरिक तीर म लकठियावत गिस त बिरझू ओकर तीर जाय लागिस।बिरझू के देहें पसीना अऊ धुर्रा फुतका म सनाय रहे पारो के तीर जाके दूनोंं एक-दूसर ल अबक्क होके देखत खड़े रहिगे।कड़कड़ाती मझंनिया के घाम म दूनोंं जून्ना संगवारी के भेंट म घाम घलो लजावत रहिगे।
' मोर जिनगी अंधियार होगे हावे पारो '........सुसकत दुखी मन ले कहिस ! थोरकुन देर चुप रहिस फेर बोलिस का होगे हे बिरझू बने बता न '?......पारो पूछिस ! ' बर अऊ पीपर कस छांव देवइया मोर मयारु दाई-ददा आज दुनिया म नि हें मोला अकेला छोड़ के चल दिन हे पारो '........बिरझू रोवत कहिस।बिरझू के आंखी ले आँसू के धार बोहाय लगिस। ' अतेक दिन होगे कुछू सोर संदेशा मोला काबर नि देहे ? '...... पारो कहिस ! ' समे वइसनहे रहिस ते पाय के सोर संदेशा नि दे सकेंव माफ करबे '........हिम्मत जुटावत कहिस!सुरुज घलो ठड़िया गे रहिस घाम अतका जादा हो गे रहिस तभो ले दूनोंझन ल गम नि मिलत रहिस।काबर दूनोंझन *मया के छांव* म खड़े रहिन। ' चल स्कूटी म बइठ घर जाबो बांचे गोठ ल पाछू करबो '........ आंसू पोछत पारो कहिस।ओमन दूनोंझन के कतेक मया रहिस तेन ल ओ जघा के देखइया मनखे मन ही बता पाहीं!
बिरझू ल अपन घर लेगिस अऊ अपन दाई-ददा ल कहिस कि ' इही बिरझू आय '........पारो बताइस!बिरझू घलो पारो के दाई-ददा मन ल पैलगी करिस। ' जानथस दाई इही बिरझू ह मोला गणित समझावै '.......बिरझू कोती इशारा करत बोलिस। ' बिरझू के सेथी आज मैं शिक्षाकर्मी बने हौं '........दाई ल बताइस। ' कुछू चाय-पानी लानबे के बातेच करत रहिबे '.........दाई बोलिस। ' ले बिरझू तैं कुरसी म बइठ मैं चाय बनाके लानत हौं '.......कुरसी कोती इशारा करत कहिस।पारो झटकून रंधनी कुरिया म जाके चाय-पानी बिस्कुट लेके आइस अऊ बिरझू के आघू म मढ़ावत खाय बर कहिस।पारो घलो बइठगे,दूनोंझन चहा पीयत बिरझू अपन दाई-ददा के सरग सिधारे के जम्मो कहानी ल बताइस।पारो अऊ बिरझू अलगेच-अलग जात-बिरादरी के आन-आन गाँव के रहइया रहिन फेर दूनों एके स्कूल म पढ़े रहिन।बी एस एफ के इंटरव्यू देहे रहेंव तेकर रिजल्ट दू-चार दिन म अवइया हे......बिरझू बताइस। ' भगवान करय तोर नौकरी झटकून लग जाय :...... पारो कहिस।गोठियावत चाय-पानी करिन। ' एदे भात-साग चुरगे हावे बिरझू ल पानी लान के दे '.....दाई ह पारो ल कहिस।जेवन करे के पाछू अपन घर जाय के बात बिरझू कहिस। ' थोरिक रुक तोला मैं तोर घर छोड़ देहूं '......मुहूंँ पोछत पारो कहिस।
अपन के स्कूटी म बिरझू ल ओकर घर छोड़े बर गिस।घर के पहुंचती होइस कि वइसनहे बेरा डाकिया आइस अउ एकठन लिफाफा बिरझू ल दिस।बिरझू तुरते लिफाफा खोलिस अऊ ओमा के कागज ल निकाल के देखिस त बी एस एफ म आरक्षक पद म नौकरी अऊ ओकर प्रशिक्षण के आदेश आय रहिस।बिरझू खुशी के मारे पारो ल पोटार डारिस।बिरझू अपन घर भितरी पारो ल लेगिस।बिरझू के घर ओतका जादा बड़का नि रहिस।दू कुरिया अऊ परछी म एकठन रंधनी खोली रहिस।माटी के घर जेमा पटाव रहिस।छानहीं के ओरवाती के पानी दूनोंं कोती गिरय।घर के आघू म अँगना अऊ पिछोद कोती बारी रहिस।अँगना म छोटकून तुलसी के चंवरा रहिस।छुही अऊ गोबर म लिपाय घर चुकचुक ले सुग्घर दिखय।पारो अपन घर वापिस आय के पहिली अपन पर्स ले एकठन सोन के मुंदरी निकाल के बिरझू ल देवत कहिस ' एहर मोर अमानत तोर करा हावे एला संभाल के राखे रहिबे '..... चेतावत पारो कहिस।बिरझू मुंदरी ल अपन छाती म लगावत....खुशी-खुशी हव कहिस।पारो के आंखी ले आँसू टप-टप टपके लगिस।अपन के आँसू ल बचा के रख कभू काम आही.....बिरझू कहिस।
बिरझू ल सेना के प्रशिक्षण म जाय बर रहिस।दूसरावन दिन अपन बोरिया बिस्तर धर के गाड़ी टेशन चल दिस।गाड़ी म अपन के सीट म बइठ के दिल्ली पहुंचिस फेर उंहा ले आने गाड़ी बदलिस।बिरझू ल सहायक प्रशिक्षण केन्द्र,जोधपुर जाय बर रहिस।सीमा सुरक्षा बल के सबले पुराना प्रशिक्षण केन्द्र म एकठन केन्द्र एहू रहिस।इंहा जवान मन ल किसीम-किसीम के लगभग बावन हफ्ता के खास बुनियादी प्रशिक्षण देके फौलाद बनाय जाथे।उंहा प्रशिक्षण के पाछू बिरझू के पहिली पदस्थापना भारत पाकिस्तान अन्तर्राष्ट्रीय सीमा ले लगे कारगिल क्षेत्र म होइस।
प्रशिक्षण के पाछू ओहर जोधपुर ले सीधा दिल्ली आइस।उहां ले गाड़ी बदल के फेर चंडीगढ़,लुधियाना,जालंधर,जम्मू होवत अठारा घंटा सफर के पाछू कश्मीर पहुंच गिस।रेलगाड़ी के सफर म अपन दाई-ददा के सपना के सुरता आवत रहिस।एती पारो के मया के मुंदरी ओकर अमानत बिरझू के जी ल धुकधुकावत रहिस।धक्-धक् करत जी ला शांत करे के पाछू हिम्मत जुटाइस।
बिरझू के ड्यूटी कारगिल सेक्टर म लगे रहिस जिहां आतंकवादी मन भारत के कश्मीर ऊपर गिद्ध नजर गड़ियाय रहिथे।एती सैनिक मन के जोश अऊ बहादुरी के आघू आतंकवादी मन के मनसुभा म पानी फिर जावत रहिस।कारगिल सेक्टर एहर जम्मू कश्मीर नियंत्रण रेखा (एल ओ सी) के तीर म हावे जिहां रात-दिन गोला बारुद के धमाका के गूंज ले कान घलो कंनझा जावत रहिथे।
ए क्षेत्र म बड़का-बड़का आतंकी संगठन ह सक्रिय रूप ले हावे जेमा लश्कर-ए-तैयबा,हिजबुल मुजाहिदीन,हरकतुल मुजाहिद्दीन,जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-ओमर,सिपाह-ए-साहबा ए जम्मो आतंकी संगठन पाकिस्तान के पोंसवा कुकर कस हावें।ए सबो संगठन मन ल आई एस आई ले प्रशिक्षण अऊ सहयोग मिलत रहिथे।एमन के मनसुभा रहिथे काश्मीर जेन ह भारत माता के मुकुट संगे-संग *धरती के सरग* घलो कहिथन ओला लेहे के फिराक म बइठे हावेंं।फेर हमर देश के जवान मन के नस म लहू के जोश अऊ जज्बा कूदत रहिथे ते पाय के आतंकी मन के मनसुभा पानी फिर जाथे।
कश्मीर के सुग्घर घाटी जिहां झेलम,चिनाब,तवी,रावी,सिंधु, पुछ,नीलम,सुरु,उझ,जास्कर अऊ द्रास नदिया बोहाथे जेकर घाटी मन देखे के लाइक रहिथे।इहां नदिया के अलावा बड़का-बड़का झील हावे जेमा डलझील,बुलर झील,मानसबल झील अऊ छोटे-छोटे कतको अकन झील हावे।डलझील म तो तउंरत बड़का-बड़का डोंगा म बजार बइठे रहिथे।घरो बने हावे जेला देखे म बड़ सुग्घर लागत रहिथे सबो देखइया के मन ल मोह डारथे।
कारगिल अइसन क्षेत्र हावे जिहां तापमान शून्य डिग्री ले खाल्हे रहिथे संगे-संग बड़का टिलींग पहार जिहां बरफ के दसना अऊ आइना कस चकचकावत रहिथे उहां घलो हमर देश के सिपाही मन जागत पहरा देवत रहिथें।तभो ले आंखी ओलम होवत बेर नि होय के आतंकी मन घुसपैठ करत खुसरे के उदीम करथे फेर सैनिक मन के नजर ले बुचक के नि जा सकें।
बिरझू के वीरता अऊ बहादुरी के खातिर ओला कईठन प्रमोशन मिलिस।ओहर आरक्षक पद म भर्ती होय रहिस ओकर बाद वरिष्ठ आरक्षक,प्रधान आरक्षक,सहायक उप निरीक्षक,उप निरीक्षक अऊ निरीक्षक के पद म पहुंच गिस।महानिदेशक के आघू म बिरझू सब ले बढ़िया ईमानदार अधिकारी गिने जावत रहिस।काबर कि ओकर सूझबूझ ले मसूद अजहर सही आतंकी मन थर-थर कांपत रहिथे अऊ कतको मन ल मउत के घाट उतार देवय अऊ कतको ल धर दबोच के जेल भितरी बंद कर देहे रहिस।ते पाय के ओहर लड़ाई के समे म सेवा अऊ पराक्रम के पुरस्कार *सेना मेडल* अऊ *सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक* पाय रहिस।ओहर आतंकी मन के नजर म घलो रहिस।
बड़ दिन के बाद बिरझू छुट्टी म अपन गाँव आवत रहिस।फोन ले पारो घलो ल आरो कर दे रहिस मैं तीन महीना के छुट्टी स्वीकृति करवा के आवत हौं।अमृतसर ले छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के रिजर्वेशन डिब्बा म बइठे मन म गुनत रहिस के ए दारी के छुट्टी म पारो संग बिहाव करहूँ।अऊ पारो के सपना घलो पूरा करहूं।जइसे छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस दिल्ली पहुंचिस कि सैन्य महानिदेशक कार्यालय ले फोन आइस कि अभी तुरतेच कारगिल क्षेत्र पहुंचना हे आतंकवादी मन हमला कर दे हावंय।फोन म पारो ल बताइस कि तुरतेच मोला फेर कारगिल लहुटना हे आतंकी हमला हो गिस हावे मोर छुट्टी केंसिल होगिस आहूं त बिहा रचाबो कहत फोन काट दिस।
पारो के दिल अऊ दिमाग म ए समे आवत रहिस हे भगवान!आतंकवादी मन ले बिरझू के रक्षा करबे।ओला सही सलामत राखबे।पारो ल थोरकुन डर घलो लागत रहिस ,ओहा भगवान ल याद करत सुमरिस हे भगवान! बिरझू के रक्षा करबे ओला कुछू झन होवय।ओहर बिरझू के जबर चिंता फिकीर करत रहिस।पारो के जी ह धक्-धक् करत रहिस।इही सोचत पारो के मुड़ी पीरा उसलगे।
बिरझू दिल्ली ले फेर हेलीकॉप्टर म तुरतेच कारगिल पहुंचिस।ओहर उहां पहुंच के मोर्चा संभाल लिस।आघू-पाछू दूनों कोती ले रुक-रुक के गोला बारुद बरसे लागिस।कतको आंतकी मन ल मउत के घाट उतारत गिन।भारत के जवान मन भारत माता के जयकारा लगावत शहीद घलो हो गिन अऊ कतको घायल होइन।बंकर ले रहि-रहि के स्टेनगन ले तड़-तड़, तड़-तड़ गोली छूटे लागिस।ए दारी के लड़ाई ह पाछू के लड़ाई ले अलगेच किसीम के रहिस।लगातार तीन महीना ले चलिस।बिरझू के सूझबूझ ले सबो आतंकी मन खतम होय धर लिन।कारगिल म देश के तिरंगा झंडा गाड़े के समे आय रहिस तइसनहे बिरझू के छाती म पाँच गोली अऊ पेट म आठ-दस गोली लगिस।तभो ले बिरझू हिम्मत नि हारिस अपन के स्टेनगन ले सबो आतंकी मन के खातमा करिस अऊ कारगिल म देश के शान तिरंगा लहराइस।अऊ अपन के लहू ले कागज म पारो बर चिट्ठी लिख के पेंट के जेब म धर लिस।
बिरझू ल सेना के हेलीकॉप्टर म तुरतेच अस्पताल लाय गिस ओकर देहें ले जादा लहू बोहागे रहिस।ओकर चेतना धीरे-धीरे जावत रहिस।आंखी मुंदाय ले पहली ओकर ननपन के सबो घटना खेलकूद,दाईं-ददा के मउत,फेर मयारुक पारो के सुरता आइस ओकर संग मंझनिया घाम म खड़े गोठबात अऊ संग म चाय-पानी तहं ले ओकर देहे मुंदरी आंखी म झूले लागिस। धीरे-धीरे आंखी मुंदा गिस।अऊ सगरो दिन बर बिरझू के बहादुरी अऊ ईमानदारी के नांव सोनहा आखर म लिखा गिस।बिरझू के वीरता अऊ बहादुरी सबो दिन बर सुरता करे जाही।
एती कारगिल युद्ध पूरा देश म चरचा के विषय बने रहिस।जेकर मुहूंँ ले सुनते सबो जघा कारगिल के युद्ध के चरचा होवत रहय।सबो अपन देश के जीत के खातिर मंदिर,देवाला म पूजा अराधना लोगन मन करे लागिन।सहीच म लोगन मन के आस्था अऊ विश्वास, पूजा-पाठ काम आइस अऊ छब्बीस जुलाई के दिन कारगिल म भारत ल जबर विजय मिलिस।येती पारो टीवी म समाचार सुनत रहिस,समाचार वाचक कहत रहिस कि बिरझू के सूझबूझ ले कारगिल म भारत के तिरंगा लहराइस।अऊ बिरझू देश सेवा करत शहीद होगे।देश के राष्ट्रपति अऊ प्रधानमंत्री मन बिरझू के वीरता ल अकारथ नि जान देवन कहिन।पारो के आंखी डबडबा गिस।सरकार डहर ले मरणोपरांत देश के सब ले बड़का सैन्य पुरस्कार *परमवीर चक्र* देहे के घोषना करिस।अऊ छब्बीस जुलाई के दिन कारगिल विजय दिवस मनाय के घोषना होइस।
गाँव म बिरझू के शहीद होय के घटना आगी कस बगरगे।ओकर पार्थिव देह ल गाँव म लाय गिस।कलेक्टर अऊ सबो अधिकारी मन के गाँव म बिहनिया बेरा ले आवाजाही हो गे रहिस।बिरझू के पार्थिव देहे ल सैन्य सम्मान के संग इक्कीस तोप के सलामी देवत नम आंखी ले आखरी बिदागरी दिए गिस।ओकर पेंट के जेब ले पारो के देहे सोन के मुंदरी रहिस अऊ पारो बर कागज म लहू ले लिखाय चिट्ठी रहिस तेन ल अधिकारी मन बताइन।ओ चिट्ठी अऊ मुंदरी ल पारो ल दिए गिस।ओमा लिखाय रहिस के मोर मयारुक पारो हमर सपना अधूरा रहिगे मोला क्षमा करबे अगले जनम म मिलबो....।
गाँव के चउक म बड़का चबूतरा बनाके बिरझू के मूर्ति मढ़ाय गिस अऊ हर बछर के छब्बीस जुलाई कारगिल विजय दिवस के दिन पारो ह बिरझू के मूर्ति म फूल के माला पहिराय अवस के आवय।पारो अपन जिनगी ल बिरझू ऊपर समर्पित कर दिस अऊ जिनगी भर बिहाव नि करंव कहिके मने मन म बचन दे दिस।पारो के *पथरा के छाती* रहिस।पारो अपन जिनगी भर अटल कुंवारी रहि गिस फेर बिहाव काकरो संग नि करिस।
✍️ *डोरेलाल कैवर्त " हरसिंगार "*
*तिलकेजा, कोरबा (छ.ग.)*
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