Saturday, 8 March 2025

सरला के सरलता,,,,

 सरला के सरलता,,,,



60 के दशक मा जब बालिका शिक्षा (नोनी मन के शिक्षा) ला लोगन जरूरी  नइ समझत रहिन तउन समे मा बीए बी एड तक पढ़ई करइया गुणवनतीन सरला शर्मा बेटी मन के पढ़ई के विरोध करइया  समाज  के लोगन मन के ताना सुनके अपन पढ़ई ला पूरा करिन। अपन दाई काकी के, कका-ददा के दुलौरिन बेटी बनके रहवैया सरला शर्मा जी ला साहित्य के क्षेत्र मा बचपना ले लगाव रहिस हे। जांजगीर मा जनम लेवैया दीदी के  लेखन बचपना मा उभरे लगे रहिस फेर दाम्पत्य जीवन मा पाँव रखे के बाद घर-परिवार, लोग-लइका के  जिम्मेवारी निभावत अपन कलम ला संदूक मा धर के रख दिस। एक दिन अचानक जीवन मा अइसे आँधी आइस कि जीवन साथी के गुजरे ले जिनगी मा  भूचाल आगे।  जिनगी के परिभाषा बदलगे फेर कुछ समे बीते  के पाछू  लइका मन  पढ़ लिख के नौकरी मा लग गे। तब उनकर दूनों बेटा मन हा विदेश चल दिन फेर जाय के पहिली  लइका मन उनला हाथ मा कलम थमा के दुबारा लिखे बर प्रेरित करिन तब मुरचा खावत संदुक मा रखे कलम ला धर के अपन आँसू के धार ला दवात बनाके जिनगी के पन्ना मा नवा अध्याय लिखे के चालू करिन। अपन नवा जिनगी मा साहित्य के सिरजन ले एक्के बछर मा तीन ठन किताब लिख डारिन । जेमा "वनमाला" हिंदी कविता संग्रह,  अउ छतीसगढ़ी मा "सुरता के बादल" संस्मरण के संग हिंदी मा बहुरंगी निबंध संग्रह  "बुरहरी" ला पाठक मन के बीच मा रखिन।      

        सरला शर्मा जी साहित्यिक यात्रा मा अपन लेखनी ला धार करत आगू बढ़त गिन। उनकर साहित्य मा सबले जादा स्त्री विमर्श के प्रधानता हे। उनकर उपन्यास "माटी के मितान" ला आज विद्यार्धी मन पंडित रविशंकर शुक्ल के एम० ए० हिन्दी कोर्स मा पढ़त हें।  निबंध संग्रह ला कर्नाटक के स्नातक कोर्स मा रखे गे हे। इनकर तीजन बाई  उपर लिखे "पण्डवानी अउ तीजन बाई" हा  एक नवा पहिचान दिस । इंकर बंगला भाषा उपर घलो अधिकार हे तभे बगला भाखा मा एक ठन किताब घलो प्रकाशित होय हे।


    मोर सौभाग्य हे कि मोला  सरला दीदी के मया दुलार के  अमरित वचन पाय के मउका मिलिस। मैं इनला छन्द के छ राज्य स्तरीय सम्मेलन 2021, 19 नवंबर के कार्यक्रम मा पहिली बेर सुनेंव। दूसर बेर रायपुर के वृंदावन हॉल मा जब हमर पुस्तक संपूर्ण छत्तीसगढ़ दर्शन के विमोचन मा हमर पहुना बनके गे रहिन तब आशीर्वाद  मिले रहिस। इनला तीसर बेर 21वी सदी की महिला कथाकारों की मानवीय दृष्टि कार्यक्रम इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी मा सुनेंव। इहाँ में मालती जोशी की कहानियों में स्त्री विमर्श बर अपन शोध वाचन करेंव अउ दीदी के हाथ ले सम्मानित होय के शुभ अवसर मिलिस।  

       में सरला शर्मा दीदी ले मिले अउ उनला सुने तो रहेंव  फेर बात कभू नइ करे रहेंव। मोला डर लागय काबर के अपन ले कोनो वरिष्ठ साहित्यकार हे तेकर ले कइसे गोठियाबो, हमर संग गोठियाही  कि नइ,  गोठियाय मा कोनो गलती तो नइ हो जाही कही के डर बने रहिथे। मन मा झिझक घलो रहिथे अउ सनमान मर्यादा के बात रहिथे। तीन-चार दिन ले सोचे बिचारे के बाद एक दिन में फोन लगायेंव मँझनिया बेरा। फोन के घंटी गिस दीदी फोन ला उठाइन। में झिझक के संग डर्रावत मैडम प्रणाम में खैरागढ़ ले पद्‌मा बोलत हँव कहेंव। दीदी खुश रहो कहिस असीस दिस। फेर में कहेंव  मोर एक ठन पुस्तक प्रकाशित होवइया हे तेकर बर अपन आशीष दे देतेव दीदी। एक्के बेर मा दीदी काबर नइ लिखिहँव , जरूर लिखिहँव कहिन। मोर मन गदगद होगे इनकर सरल सुभाव गोठ-बात ला सुन के। बसंत के गोठ-बात संग अपन परिचय बताके प्रणाम दीदी कहत में फोन ला रखेंव । खुश रहा बेटा कहत दीदी घलो फोन ला रखिन।

दू दिन बाद मोला दीदी के शुभकामना संदेश मिलगे।  शुभकामना संदेश लिख के अइसन अपन असीस  देवइया सहज-सहज सरला दीदी सिरतोन मा मोला सरल लागिस।  एक दिन धन्यवाद देबर दीदी ला फोन लगायेंव। दीदी  राज भाषा आयोग के काम मा व्यसत रहिन तभो ले मोर संग गोठियइन गोठ-बात मा अपन बालपन के पढ़ई अउ घर मा काकी-मउसी के दुलौरिन, मयारुक गोठ-बात करत अपन बचपना मा चल दिन जउन हा मोर बर सपना बरोबर लागत रहिस कि सिरतोन मा में सरला दीदी संग गोठियावत हों।

सरला दीदी मोर लोग-लइका के हाल-चाल पूछिन।  घर परिवार के बारे मा पूछिन त वो मोला महतारी बरोबर लागिस।

येकर बाद 1 मार्च 2025 के राजभाषा आयोग के आठवाँ प्रांतीय सम्मेलन में दीदी ले मोर भेंट मुहाँटिच मा होगे। दीदी में पद्‌मा काहत में दीदी के पाँव ला छुयेंव दीदी ले असीस मिलिस।

सरला दीदी के सरलता अउ सहजता के जतके गुन गाबे वोतके कम हे। जइसन नाम तइसन गुन ला चरितार्थ करत साहित्य के क्षेत्र मा सरलग अवदान देवइया दीदी हा हमर जइसन नवोदित कलम धरैया मन बर एक आदर्श हें। अइसन सहज सरल सुभाव के धनी सरला दीदी ला में प्रणाम करत हँव ।


           डॉ पद्‌मा साहू "पर्वणी" 

              खैरागढ़ छत्तीसगढ़

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