Thursday, 27 March 2025

गुनान *******

 गुनान 

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       आज के गुनान साहित्य से संबंधित नोहय त मैं लिखे काबर हंव ? लखटकिया सवाल आय , चिटिक थिरा के गुनव न ? पढ़ाई लिखाई सुभीत्ता होही तभे तो साहित्य रचना होही न ? चिटिक  बिलम के पढ़ लेवव भाई बहिनी मन ..

    कलम , कागज , किताब डहर लहुटे च बर परही ...काबर के आजकल के शिक्षा पद्धति हर तो डिजिटल होवत जात हे । नर्सरी , प्रायमरी कक्षा से ले के कॉलेज के पढ़ाई तक कम्प्यूटर आधारित डिजिटल फार्म मं होए लगे हे । मोबाइल , आई पेड , एलेक्सा वाइस सिस्टम , गूगल गुरुजी के सहायता से पढ़ाई लिखाई होवत हे इही ल एजुकेशन टेक्नालॉजी कहि के नान नान लइका मन ऊपर थोपत जावत हें , शिक्षा शास्त्री , राजनेता सबो झन । गुरुजी मन ल विशेष ट्रेनिंग देहे जात हे , किताब कॉपी , पेन पेंसिल घुरूवा मं जाय कोनो ल संसो नईये । 

   लइकन घलाय मन अपन भविष्य बनाये बर डिजिटल शिक्षा ल जरूरी समझत हें उनहूँ मन का करयं , पढ़ लिख के नौकरी बर निकलथें त दरखास्त देहे बर on line , लिखित परीक्षा , इंटरव्यू सब on line होथे त मरो मरो कम्प्यूटर के शरण मं जाए च बर परथे । मरन हो गए हे रोबोट टेक्नालॉजी के सेतिर बेरोजगारी बढ़त जात हे । सबले बड़े बात लइकन के सीखे के प्रक्रिया learning process ल नुकसान पहुंचत हे त लइकन के सोचे समझे के गुन कमजोर परत जात हे । बिना गुरुजी के , बिना कक्षा मं पढ़ाई कर लइकन परीक्षा देवत भर नईये पास घलाय होवत हें । लइकन के लइकाई। नंदावत जात हे । लइकन के कल्पनाशीलता , प्रकृति प्रेम , संवेदनशीलता खतम होवत हे उनमन अकेल्ला परत जात हें । 

     अइसन हालत मं मेटा टेक्नालॉजी , आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुरसा के मुंह कस बढ़त जात हे । यूनेस्को हर तो कम्प्यूटर माध्यम शिक्षा ल मॉडरेट करे बर कहत हे त दुनिया के कई झन शिक्षा शास्त्री मन एकर गुणवत्ता ल नकारे लग गए हें । स्वीडन के केरोलिसका इंस्टिट्यूट अपन शोध मं कहे हे के डिजिटल / कम्प्यूटर शिक्षा प्रणाली हर लइकन के स्वाभाविक विकास बर जब्बर बाधा बन गए हे समय रहते चेत जाना जरुरी हे । 

स्वीडन सरकार तो अपन स्कूल में  कलम , किताब , कागज , ब्लैकबोर्ड चालू करके पोट्ठ काम कर दिस । 

  ठीक हे भाई रोजी रोजगार बर कम्प्यूटर शिक्षा आज के दिन मं जरूरी हे त पाठ्यक्रम मं एक विषय के रुप मं पढ़ाये जावय ए बात मं कोनो किसिम के उजिर आपत्ति नईये । गूगल अउ अलेक्जा लइकन ल सहज मानवीय गुन दया , प्रेम , भाई चारा , सुख दुख मं काम आना तो नइ सीखोए सकय न ?  साहित्य रचना तो नइ सिखोए सकय न ? एकरे बर लिखना जरुरी लागिस , समय रहते हमू मन ल चेतना जरुरी हे । बिनती हे के कलमकार मन  ए विषय मं गुनयं , लिखयं ...हमू मन ल कलम , किताब , कागज डहर लहुटना जरुरी हो गए हे । लइकन बर गुरुजी जरूरी हे , संगी जंवरिहा जरुरी हें , जरुरी हे स्कूल के ब्लैकबोर्ड अउ चाक , किताब कॉपी बोझा नोहय एला समझना जरुरी हे । 

     एहर मोर निजी विचार आय फेर गुनान तो सबो झन के आय ....।  

एक जरूरी निवेदन के अगर ए गुनान हर लोकाक्षर के लाइक नइ होही त एडमिन एला डिलीट कर सकत हें । 

     सरला शर्मा 

       दुर्ग

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