Sunday, 15 December 2024

हार्ट अटैक* - विनोद कुमार वर्मा

 .                          *हार्ट अटैक* 


                           - विनोद कुमार वर्मा


                           ( 1 ) 


           दादाजी के उमर सत्तर पार हे। रमशीला बहू ला समझावत दादाजी बोलिस- ' देख बेटी, दिन के बेरा घर मा कोनो नि रहें, सबो काम-बूता मा निकल जाथें......घर मा तंइच् रहिथस। तैं तो जानतेस हस कि मोला ब्लडप्रेशर के शिकायत हे। डाक्टर साहेब दवाई के किट देहे हे, ओला समझ ले। ए दवाई ला मोर पाकिट म रखथों। '

         ' ठीक हे, बाबूजी, बतावा। ' - बहू के मीठ बोली ला सुनके दादाजी के चेहरा म मुस्कुराहट आ गे। छै बरस के सुमीत ओही मेर खड़े दादाजी के बात ला ध्यानपूर्वक सुनत रहिस। 

       ' देख बेटी, अभी पूस के महीना हे अउ कड़ाके के ठंड परत हे। एही ठंडी के मौसम मा कतको सियान मन हार्ट अटैक म मर जाथें! डाक्टर साहेब एक ठिन दवाई के किट देहे हे। ए किट मा तीन प्रकार के नान-नान गोली हे। दवाई हा केवल दस रूपिया के हे फेर छाती पीरा उठे मा ए दवाई हा जान ला बचा देथे। '

     ' ठीक हे बाबूजी दवाई ला कइसे खाना हे तेला बतावा। '- रमशीला बहू बोलिस। 

    ' देख बेटी,कोनो ला भी छाती पीरा जोर से उठही त सबले जरूरी गोली सारबिट्रेट के होथे जेहा दिखब मा पान पत्त्ता जइसन हे। छाती पीरा होय मा एकर एक या दू गोली जीभ के नीचे तुरते रख देना चाही। एहा जीवन-रक्षक गोली ए। जान ला बचा देथे। एकर बाद तुरते अस्पताल ले जाना चाही। '

              ' बाबूजी मैं जादा पढ़े-लिखे तो नि हों फेर दवाई ला चिन दारे हँव। ' 

           ' बेटी, दू ठिन दवाई अउ हे जेला पानी म खवाय के बाद पान पत्ता कस गोली ला जीभ के नीचे रखना चाही। ' 

          ' बाबूजी, खाना पकाय बर जावत हौं। नई तो आप ला जेवन म देरी हो जाही। '- रमशीला बहू बड़ तेजी ले रसोईघर कोती चल दीस। 

        ' सुमीत बेटा, तैं का करत हस? जा होमवर्क पूरा कर। '

          ' मैं खेले जावत हौं बबा। '- दादाजी के कुछु बोले के पहिली सुमीत रफूचक्कर हो गे!


                       ( 2 )


             पुस नहाक गे। माघ के महीना आ गे। इतवार के दिन सुमीत घर मा पढ़ाई करत रहिस। परीक्षा लकठिया गे रहिस। अचानक दादाजी के चिल्लाय के आवाज सुनाई परिस। सुमीत दउड़त गीस त देखथे कि दादाजी  अँगना म गिरे परे हे अउ छटपटावत हे। सुमीत ला ये समझे मा देर नि लगिस कि दादा जी ला हार्ट अटैक आय हे! दादाजी के जेब ले दवाई ला निकाल के सुमीत वोही काम करिस जेन ला आपत स्थिति मा कोनो डाक्टर करतिस। ओ दिन दादाजी जेन दवाई के बारे म रमशीला बहू ला समझावत रहिस ओला ओकर मम्मी ले जादा सुमीत समझे रहिस। ओकर बाद सुमीत अपन पापा अउ 108 एम्बुलेंस ला फोन करिस।..... जेन बेरा ये घटना घटिस ओ समय घर मा कोनो नि रहिन। रमशीला बहू घलो राशन के समान खरीदे बर दुकान गे रहिस।..... थोरकुन देर म 108 एम्बुलेंस आ गे। दादाजी ला अस्पताल लेगिन अउ ए तरा दादाजी के जान बचगे।

         अब दादाजी के जान बचाय के श्रेय कोन ला दिये जाय?- ओ डाक्टर ला जेन हा आपातकालीन दवाई के किट बाँटे रहिस या फेर सुमीत ला जेन हा समे मा दादाजी ला दवाई खिलाके 108 एम्बुलेंस ला बुलाय रहिस या फेर एम्बुलेंस के ड्राइवर ला जेन हर 120 के स्पीड म एम्बुलेंस ला भगा के 40 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल पहुँचाय रहिस या फेर सिस्टर ला जेन हा एम्बुलेंस मा दादाजी ला अपन मुहूँ ले मुहूँ लगाके श्वांस देवत अस्पताल तक जीवित पहुँचाय रहिस  या फेर ओ निगेटिव (O-) रक्त के दान करइया नवयुवक ला दिये जाय जेकर ब्लड ओ समे जान बचाय बर बहुत जरूरी रहिस। दादा जी के ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव हे अउ ये ब्लड बहुत कम आदमी के रहिथे।.....  या फेर एकर श्रेय ओ डाक्टर दिये जाय जेन हा अस्पताल मा दादाजी के इलाज करिस।.....एकर श्रेय कोनो ला दिये जाय फेर ओ दिन दादाजी के जान तो बचगे!.... दादाजी के जान बचना कोई संयोग नि रहिस! जइसन हमन आमतौर मा कहि देथन कि भगवान हा मदद करिस हे! ..... वास्तव मा ओमा कतकोन आदमी के अनुभव, सद्भावना, करूणा अउ कोशिश छुपे रहिथे केवल भगवान के ही मदद नि रहे!


                        ( 3 )


         गर्मी के छुट्टी रहिस। सुमीत घर ले खेले बर निकलत रहिस त दादाजी के आवाज सुनाई परिस- सुमीत बेटा!

          ' काये बबा? '

       ' कहाँ जावत हस? पढ़ाई नि करना हे का? '

       ' नि करना हे! '

       ' बेटा, पढ़ाई नि करबे त बड़े आदमी कइसे बनबे? '

       ' बबा तैं मोला सीख काबर देवत हस? तोर सीख ले मैं बहुत परेशान हों! जब देखबे तब शुरू हो जाथस! .... अभी तो गर्मी के छुट्टी  हे, छुट्टी मा कोनो पढ़थे का ?....खेले जावत हौं? '

      दादाजी कुछु बोलना चाहत रहिस फेर तब तक सुमीत रफूचक्कर हो गे रहिस। 

          ' नावा पीढ़ी के लइका मन  सबो अइसनेच चतुर हो गिन हें! काकरो बात ला सुनबेच्च नि करें।  सब अपन मन के करथें!.... गधा कहीं के..... '- दादाजी बड़बड़ावत रहे फेर ओकर गोठ ला सुनने वाला ओमेर कोनो नि रहिस! 

           लगभग एक घंटा बाद सुमीत लंगड़ावत-लंगड़ावत घर आइस त घर मा कोहराम मच गे। घुटना मा सुमीत अपन कमीज ला बाँधे रहिस अउ लहू हा तर-तर बोहावत रहे! 

       सुमीत ला पुछिन ता ओहा कहिस - ' मोर माड़ी मा हार्ट अटैक आ गे हे! एक झिन लड़का  क्रिकेट के बैट मा पथरा ला जोर से मारिस त ओहा मोर माड़ी मा लाग दीस! लहू बोहावत रहिस ते पाय के घुटना मा अपन कमीज ला बाँध के घर आय हौं! जल्दी से हार्ट अटैक के दवाई ला देवा,माड़ी मा बहुत जोर के पीरा होवत हे! '

          रमशीला के आँखी मा आँसू आ गे। सुमीत ले बोलिस- ' बेटा बहुत पीरा होवत हे का? '

        ' हाँ मम्मी, बहुत पीरा होवत हे! फेर रोवत एकर बर नि हों कि दादाजी सिखोय हे कि आपत स्थिति में न घबराना चाही न रोना चाही! '

    

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