लघुकथा -
" लड़न्ककीन "
"तोरेच करा मुँह हे, जइसे पाये वोईसे बोलत जा l सुनत हे तौन पखरा हे l"बहेसर अपन बाई ला कहत रहिस l ओकर बाई तीखार तीखार के पूछतीस घेरी पइत पूछातिस कहिस -" तोला कोन कहत हे सुने बर पखरा घलो सुनही तै तो पथरा ले गये गुजरे हस l"
"मूरख संग का बात करना बुद्धि भस्ट करना हे "
" तोर करा कहाँ बुद्धि हे भकला गतर l
तोला बुद्धि नइ मिले हे परबूधिया l "
इही बीच म ओकर टुरा रेखू आगे l
"जब देखो तब खींचीर खींचीर का तुमन ला अइसने गोठ म मजा आथे? तुमन ला बने ढंग ले गोठ बात करत नई सुनेव l"
ओकर माँ कहिस -" अरे बेटा रेखू,परबुधिया ला का जानबे, काकर बुध म चलत हे l"
बिसेसर -" अरे रेखू तोला बीच म काबर लाथे lतै कोन कोती रहिबे,l तहीं बता? फ़ेर तीखारन
टप ले तानाबोली म -
ओहर का बताही? "
रेखू -" तुमन ना मोर माँ बाप असन नई लगत हव l" बीच म फेर लबले तीखारन -
" तोर बाप नोहय रे तोर बाप होतिस त तोर मोर बर मंगल सूत्र आ जतिस l मय मंगलीन नई होतेव l मोर गला म करिया धागा बर हे l ओकर करा माँगत हँव, ओकर करा माँगत हँव पइसा त घर चलत हे l"
बिसेसर कंझाके के कहिस- " मंगल सूत्र बर झगरा करत करत मंगल मय दिन सिरा गे l धागा म दुनिया बंधाये हे l खूंटा म दम निये गेरवा का करही? हर दम के लड़ई म दम सिरा जथे बेटा l अभी नानकुन हस l काकर पाला म पर गेंव रे l हताश होवत बिसेसर " मोर पाला पड़गे तुमा बीजा अस बाजत रहिथे फोकटे फोकट l
तहूँ ह चिन्हा हस अब उही धागा के l अउ का मंगल सूत्र मंगलसूत्र चिल्लाथे l"
तीखारन ए दरी अउ जोर देके
"दूसर के डउकी ला पहिराबे सांटी बिछिया l दू लाख के पूरती नई हँव का l
बिसेसर "तोर पुरती ला कोन करत हे? मही तो करत हँव ना?"
"तै का पूरती करत हस? ऊपर वाले देखत हे l
जतका गोठियाबे ओतका बढ़त जाथे l नई घेपय नई मानय नई तेखर ले मुँह नई लगना चाही l
घुनही बांसरी के धुन ला कोन सुन ही भला l बिसेसर अपन बाई ले हार खाके बैरागी बन जथे l तमुरा बजावत
तना नना हे ए घर के ना
जिहाँ तिखारन ओ घर के तना नना ना.... I
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