Monday, 9 December 2024

पाँच करोड़* (नानकुन कहिनी) - विनोद कुमार वर्मा

 [12/3, 7:25 PM] +91 98263 40331: .           *पाँच करोड़* (नानकुन कहिनी)


                      - विनोद कुमार वर्मा 


                             ( 1 )


         दादा जी प्रादेशिक छत्तीसगढ़ी समाचार के अगोरा म आधा घंटा पहिली ले रेडियो ला चला के बइठे रहिस। अनुपूरक बजट के समाचार अवइया रहिस। छत्तीसगढ़ी भाषा के संरक्षण अउ संवर्धन बर छत्तीसगढ़िया साहित्यकार मन पाँच करोड़ के माँगपत्र सरकार ला सौंपे रहिन, जेमा बीस हजार आदमी मन के दस्तखत घलो रहिस। साहित्यकार मन के सोच रहिस कि ' तोप माँगबो त तमंचा तो मिलिच्च जाही!.... कम से कम एक्को-दू करोड़ तो मिलबेच्च करही। ' ए माँगपत्र बनाय म दादा जी के प्रमुख भूमिका रहिस। बजट म पैसा बढ़ जातिस त दादा जी के रसूख घलो बाढ़ जातिस। परोसी जलन के मारे कतकोन झन ला कहत रहे- ' मुख्यमंत्री करा एकर कोनो जान-पहिचान नि हे! जबरदस्ती बड़े आदमी बनत फिरत हे। एकर कस सैकड़ों आदमी मुख्यमंत्री के आघू-पाछू किंदरत हें त का सबो के काम ला कर देही ! '

      बुड़ती बेरा ' हमर हाथी हमर गोठ ' रेडियो म शुरू हो गे। दादा जी रेडियो के वाल्यूम ला बढ़ा दीस अउ लइका मन ला डाँटिस- ' इहाँ ले भाग जावव नालायकों! नइ तो पिटाई कर देहूँ! '

       फेर पाँच मिनट बाद छत्तीसगढ़ी समाचार सुनाई परिस- ' ये आकाशवाणी रायपुर हे। अब आप मन रामलाल ले समाचार सुनव।..... बिलासपुर म सिटी ई बस टर्मिनल कांप्लेक्स बर अनुपूरक बजट म 12 करोड़ स्वीकृत करे गे हे। रायगढ़ म नालंदा परिसर बिकसित किये जाही। उहाँ स्मार्ट अउ हाईटेक लाइब्रेरी बर 20 करोड़ के आवंटन करे गे हे। दुर्ग म तीन किलोमीटर के स्मार्ट रोड बर 15 करोड़ रूपिया के आवंटन अउ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग बर  ......' एही बेरा लइका मन के झगरा-लड़ाई म रेडियो के आवाज दब गे। दादा जी वाल्यूम बढ़ाय के जतन करिस त अंते-तंते बटन घुम गे अउ स्टेशन बदल के रेडियो ह घों-घों करे लगिस! थोरकुन देर बाद दादा जी मन मार के घर ले बाहिर निकलिस अउ चौंकी-परसार म बइठ गे। 

        ' जै जोहार सरपंच जी! ' परोसी के गोठ ला सुन के दादा जी हड़बड़ा गे। 

       ' सरपंच काबर कहत हस पटेल जी! मैं तो सरपंच पति हों! ' - दादा जी परोसी के कुटिल हँसी ला देख के सफाई दीस। 

         ' एकेच्च बात हे! आज के छत्तीसगढ़ी समाचार सुने हव का ? ' - परोसी के चेहरा म व्यंग के भाव रहिस। 

         ' नइ सुन पाँय पटेल जी। कुछु खास बात हे का ? '

         ' बधाई हो, आपके माँग अनुसार पाँच करोड़ रूपिया छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग बर मुख्यमंत्री जी स्वीकृत कर देहें हें!' - दादा जी चौंक गीस अउ परोसी कोती देखिस त पटेल जी दूसर कोती मुहूँ कर के मुचमुचावत रहे। 

     ' सच कहत हौ पटेल जी! आपके मुँहू मा घी-शक्कर। '

    ' अरे! मैं लबारी काबर मारहूँ। कालि के पेपर म पढ़ लिहा। '   परोसी के चेहरा ला देख के दादा जी ये समझ नि पावत रहिस कि ओकर बात ला सच माने कि झूठ!


                               ( 2 )


         दादा जी रात के आठ बजे खाना खा के सुते बर अपन कमरा म चल दीस। आज रात दादा जी ला ठीक से नींद नि आवत रहिस। सोचत रहिस- ' सचमुच पाँच करोड़ रूपिया के आवंटन हमन ला मिल जाही त का करबो?...... कतकोन पुराना छत्तीसगढ़ी ग्रंथ मन ला इकट्ठा करके रिप्रिंट करवाबो जेमन इहाँ-उहाँ परे हें अउ नष्ट होवत हें। तहसील जिला अउ राज्य स्तर मा बड़े-बड़े सम्मेलन अउ वर्कशाप करइबो। छत्तीसगढ़ी लिखइया साहित्यकार मन ला खाली प्रमाणपत्र अउ मोमेन्टो देके सम्मानित नि करन बल्कि  ओकर साथ धनराशि घलो देबो। ........' अइसने कतकोन बात सोचत-सोचत दादा जी के नींद परगे। 

       दूसर दिन अखबार आइस त दादा जी ला कोनो मेर शुभ समाचार नि दिखिस। चौंकी-परसार म बइठे-बइठे सबो पन्ना ला दू-तीन बार पलट दारिस। 

        ' सातवाँ पेज के नीचे कोती ला देखव। आप मन के नानकुन समाचार छपे हे! ' - परोसी के व्यंग भरे आवाज सुनाई परिस। ये हा छाती म मूँग दरे वाला बात रहिस! अब परोसी घलो चौंकी-परसार म आ के बइठ गे! 

        दादा जी साँतवा पेज ला पलट के देखिस त नानकुन समाचार छपे रहय - ' छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के कर्मचारियों-अधिकारियों को वेतन देने के लिए पैसे कम पड़ रहे थे इसलिए अनुपूरक बजट में 20 लाख रूपयों का आवंटन किया गया है। '

         दादा जी मने-मन परोसी ला गारी दीस- ' हरामी कालि झूठ बोले रहिस! अउ अभी मोर  मुड़ उपर आ के बइठे हे! '- फेर  दादा जी के चुचुवाय मुँहू ला देखत परोसी मुचमुचावत खिसक गे। एही देखे बर तो कालि लबारी मारे रहिस! हस्ताक्षर अभियान म परोसी पटेल जी घलो शामिल रहिस फेर दादा जी के धुर बिरोधी रहिस। एकर एक कारण एहू रहिस कि सरपंची चुनाव म परोसी के घरवाली हारे रहिस तेकर सेती बेरा-बेरा म दादा जी ला टोंचे त ओला मानसिक सुख मिले। 

          थोरकुन देर बाद ये सोचत-सोचत दादा जी के मन हा कलपत रहिस अउ पीरा म भर के आँसू टपके लगिस कि हमर छत्तीसगढ़ी भाषा ह एक ठिन स्मार्ट रोड के पुरता घलो नि हे!

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[12/4, 7:14 PM] ओम प्रकाश अंकुर: आदरणीय विनोद वर्मा जी आप मन "पांच करोड" कहिनी के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी, छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन के संगे- संग बजट के कमी के कारण छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के दुर्दशा के सजीव चित्रण करे हावव।

अभी संस्कृति विभाग के अधीन छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के स्थिति अउ सोचनीय होगे हावय। सिर्फ कवि, लेखक मन के किताब ह छपत हे। कृतितकार मन ल बस बीस किताब देय जावत हे जउन ह 'ऊंट के मुंह म जीरा' बरोबर हावय। बेचारा कवि,लेखक मन अपन किताब ल कोन ल देय अउ कोन ल नइ देय थथमरा गे हावय। साहित्ययिक आयोजन बर संस्कृति विभाग के पास एको कनक बजट नइ हे। आवेदन देते सात संस्कृति विभाग के सचिव के एके टप्पा बोल रहिथे -" हमारे संस्कृति विभाग के पास साहित्यिक आयोजन के लिए बजट ही नहीं है। हम कुछ नहीं कर सकते?" 

पाछू छै बछर ले छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के स्थिति एकदम खराब होगे। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग डहन ले जउन प्रांतीय सम्मेलन होय वहू ह बंद होगे। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के कुर्सी ह छै बछर ले अपन अध्यक्ष के अगोरा करत छटपटावत हे कि कब तक मोर हीनमान होवत रहि। छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन के आत्मा ह कलपत हे। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ल एक स्वतंत्र संस्था होना अब्बड़ जरूरी हे। संस्कृति विभाग के अधीन रहिते छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग   अउ छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन ल बने मान -सम्मान नइ मिल सकय।28 नवंबर के दिन छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस म माई पहुना के रूप म पधारे मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी ह छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ल एक स्वतंत्र संस्था के रूप म राखे जाहि कहिके घोषणा करे हावय। देखव एला कब लागू करते! छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष पद म नियुक्ति घलो बहुत जरूरी हे। पाछू सरकार ह पांच बछर म कोनो ल अध्यक्ष नइ बना के छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग अउ छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन ल अब्बड़ नुकसान पहुंचाइस। यहू सरकार ल बछर भर होगे। अब सुनई देवत हावय कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ल जल्दी अध्यक्ष मिल जाहि। बने बात हे। सबो छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन ल अपन मुखिया के अगोरा हे। काकरो मुंड़ म पागा बंधा जातिस त छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के काम काज म अउ बढ़वार होतिस। नानकुन कहिनी के माध्यम ले बेवस्था पर जमगरहा चोट करे हावव।🙏🏻🙏🏻🌷🌷🌹🌹

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