झझक
झझक कोई बीमारी नोहे। फेर जेन मनखे ल झझक धर लेथे वोकर जिनगी हर बिमरहा ले कम नइ होवय। मनखे जेन ल देख के झझके होथे, उही नजरे नजर मा झूले लगथे। बिमरहा मनखे के बीमारी डॉक्टरी इलाज ले ठीक होये के सम्भावना होथे,फेर झिझके मनखे बर कोई दवा नइ होवय। ओकर एके इलाज हे, ओकर हिरदे ले झिझक ल दूर करना। काम बहुत कठिन होथे फेर मुश्किल नइ केहे जा सके।
जुन्ना समय मा मनखे मन कम पढ़े-लिखे के कारण भूतप्रेत मा गजब बिंसवास करे। तेकरे सेती कतको मनखे के मन मा बिना देखे के देखे झझक समाये रहय अउ कभू-कभू झझक परगट घलो होवय। तब सियान मन झझक दूर करे खातिर झझके मनखे के चेथी कोती ल अगरबत्ती मा आंके घलो।
एक समय के बात हरे। सरजू के छोटकुन परिवार जेमा सरजू ओकर गोसाइन सेवती,बेटा सुदामा अउ बेटी अनुसुइया चार माई पिल्ला रहय। सरजू दू एकड़ जमीन के मालिक घलो रिहिस। घर-परिवार के खाये-पीये बर अनाज हो जाय। बढ़िया सुखी जिनगी जियत रिहिन। सरजू अपन दुनो परानी खेती-किसानी ले उबरे तब दूसर घर के रोजी- मजदूरी घलो करे बर जाय। अउ अपन दुनों लइका मन ल पढ़ाये लिखाये। सरजू मा कोनों बीमारी नइ रिहिस। बीमारी रिहिस त बस झझके के।
सरजू के घर खपरा छानी रहय। बेंदरा कूदे के कारण खपरा फुटगे रहय। बरसात लगइया रिहिस। कुछ रुपिया रिहिस तेकर बिजहा धान बिसाये के कारण घर मा ये बखत आर्थिक कमी होगे रिहिस। तब सरजू टिन टप्पर कहाँ ले मंगातिस। अपन गोसाइन संग जंगल ले छिंद के पाना ला के। छानी के मरम्मत शुरू करिस। छानी छाये के समय कुछु चाबे कस जनाइस। सरजू झझके लागिस। फेर सोचिस कि छिंद के सूचका पत्ता ले गोड़ गोभइस होही। ओहर शांत होगे। छानी छाये के एक हप्ता बाद के बात आये। गर्मी मूड़ चढ़के बोलत रहय। बिजली घलो घेरी-बेरी बंद-चालू होवत रहय। गाँव देहात मा बिजली के बंद-चालू कोई नवा बात नोहे। सरजू गर्मी ले राहत पाये बर छिंद छाये परछी मा सुते सुते देखत रहय। गर्मी के कारण नींद नइ परत रिहिस। हुरहा ऊपर कोती देख परिस त ओकर नजर एक ठन मरे साँप मा परगे। सरजू सोचे लगिस कि हो न हो एक हप्ता पहिली इही साँप हर वोला चाबिस होही जेन ल वो छिंद के काँटा समझ ले रिहिस। अब सरजू मा झझक हमागे। हाथ-गोड़ काँपे लागिस। सेवती पारा पड़ोस के मन ल बुलाइस। पूछे मा सरजू इशारा करके ऊपर कोती के मरे साँप ल देखाइस। गुमान किहिस- अरे भई सरजू, वो तो मरगे हे। तैं फोकट झझकत हस। झन डर्रा। फेर सरजू के दिमाग मा तो झझक हमागे रहय। भुलातीस कइसे। तब सबो मन अपन-अपन राय देइन। कोई कहय अस्पताल ले जाओ। कोई कहय फूँक झार करवावो। घटना ल हप्ता गुजरगे रिहिस फेर कुछु नइ होये रिहिस। आज हुरहा मरे साँप ल देखिस अउ मन मा बात बइठगे कि वोला साँप चाबिस होही। बस इही सोचत-सोचत ओकर धड़कन अइसे बाढ़िस कि सरजू परलोक सिधारगे। सबो के एकेच कहना होइस कि सरजू हर साँप के चाबे ले नहीं, बल्कि झझक मा परान तियाग दिस।
राम कुमार चन्द्रवंशी
बेलरगोंदी (छुरिया)
जिला-राजनांदगाँव
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