Monday, 9 December 2024

बइगा के चक्कर

 बइगा के चक्कर


गनपत साठ साल तक कभू सुई-पानी ल नइ जानिस। गियानी मन कहिथे-कि उमर के संग-संग शरीर घलो जवाब दे लगथे। उही गनपत के संग घलो होइस।

       गनपत अउ परषोत्तम बचपन के संगवारी आवय। संगे खेलिन-पढ़िन। बर-बिहाव घलो दुनों के एके साल होइस। खेती-किसानी मा एक-दूसरा ल जरूर पूछी-के- पूछा होवय। धान-पान के मिंजाई-कुटाई करे के बाद एक-दूसरा के घर झरती जरूर खाये। 

           वो दिन परषोत्तम के मिंजाई के झरती रिहिस। गनपत ल खाये बर बुलाइस। खा के आइस अउ ओकर दुसरइया दिन गनपत के पेट पीरा उमड़गे। गनपत के गोसाइन सुकवारो फ़नफनाये ल लागिस। हाँ, अउ जा बने टोंटा के आवत ले खाबे। कभू तो खाये नइ हस न। जइसन करनी, तइसन भरनी। कतको बरजे हँव, भागबती के मनखे संग संगति मत कर। उँकर घर मत जा, लोगन मन भागबती ल गजब सुगाथे। फेर कहना ल नइ माने। अब भुगत। बात बढ़ाये ले बात बाढ़थे। इही सोच के गनपत चुप सुन लिस।

          सुकवारो, गनपत ल चैतू बइगा कर लेगिस। चैतू बइगा कर वइसे तो गजब दुरिहा-दुरिहा के मनखे मन अपन समस्या लेके आवय। चैतू बइगा गनपत ल  फूँकीस, भभूत दिस अउ सात सम्मार ले उपास रहे के सलाह दिस। बोलिस कि तोर ऊपर टोना करे हे। देवी पूजा के खरचा डेढ़ हजार लगही। मँय सिध करके मुँदरी देहुँ वोला पहिरबे। गनपत हव किहिस। फेर सात सम्मार के पूरत ले दुखी मनखे शांत कइसे बइठ पातीस। गनपत, सुकवारो ल किहिस- सुकवारो, मँय हर नांदगाँव जा के डॉक्टर ल देखाये रहितेव। स्मार्ट कार्ड तो हावेच। कुछ रुपया आये-जाए अउ दवई- बूटी बर दे दे रहितेस। सुकवारो किहिस- कोई बीमारी होये हे का? टोना-जादू ल बइगच मन सुधारही। अउ बीमारी घलो होय होही ते फूँक-झार करवाये बिना डॉक्टर के सुई-पानी घलो काम नइ करे। रामकली के ल नइ सुने हस का? जब मूँड़ पीरा उमड़िस तब कई झन डॉक्टर मन कर इलाज करवाइस। रुपया खोवार करिस। जब अंकालू बइगा कर फूँकवाइस तभे बने होइस। तहूँ जा पहिली अंकालू बइगा कर फूँकवा के आ।

       गनपत अंकालू बइगा कर चाँउर अउ नींबू धरके गिस। अंकालू किहिस- जबरदस्त तोर पाछु परे जी। फेर तँय चिंता झन कर मँय हँव न। वो कइसन सोधे हरे तेन ल मँय देख लेहुँ। थोरिक खरचा लगही, पूजा के समान बर। गनपत पूछिस- कतका लग जाही? अंकालू बइगा किहिस- जादा नहीं, तीन हजार लगही। तोर घर ल घलो बंधेज करे ल पड़ही। वो सब इही रुपया मा हो जाही। अउ तोला पाँच बिरस्पत ले उपास रहना हे। गनपत मरता सो का नइ करता। हव किहिस। 

          गनपत घर मा आइस, तब सुकवारो पूछिस- कइसे कमल के बाबू, बइगा का किहिस? गनपत बइगा के कहे जम्मो बात ल दुहराइस। सुकवारो किहिस- ये दे होइस न, एक काँवरा खायेस अउ लगादेस तीन हजार के चूना। अब वोकर बताये नियम ल कर। गनपत किहिस- चैतू बइगा तो सम्मार के उपास कहे रिहिस वोला कइसे करंव? सुकवारो किहिस- वहू दिन उपास रही जा। का होही। कते दिन के फल मिल जाही कोन जानत हे। गनपत सम्मार अउ बिरस्पत दुनों दिन उपास रहे लागिस। फेर गनपत के पेट पीरा ठीक नइ होइस। तब सुकवारो, गनपत ल फत्तू बइगा कर लेगिस। फत्तू बइगा देवी खरचा बर एक हजार लगही किहिस। दुख मा परे मनखे का करे, फत्तू बइगा ल घलो एक हजार रुपया दिस। फत्तू बइगा गनपत ल शनिच्चर के उपास रहे के सलाह दिस। अब गनपत हप्ता में तीन दिन, सम्मार, बिरस्पत अउ शनिच्चर के उपास रहे लागिस। तभो पेट पीरा बने नइ होइस।  

          गनपत के सारा राकेश ल गनपत के पेट पीरा के  पता चलिस। तब देखे खातिर गनपत के गाँव आइस। बोलिस- का भाँटो तँय मोला पहिली खबर नइ करेस। मोर गॉंव तीर मा बिसम्भर नामी बइगा हे। कतको के बीमारी ओकर फूँके ले ठीक होय हे। टोनही मन ओकर देखे काँपथे। खरचा ल झन डर्रा। जान हे तब जहान हे। सुकवारो किहिस- अई हव गा राकेश तँय सिरतोन कहत हस। मँय भुलावत रेहेंव। जातो तँय अभिचे जा। ये तीन हजार ल रख। राकेश तोर भाँटो ल ले जा अपन संग। 

       गनपत, बिसम्भर बइगा कर गिस दू हजार के खरचा बताइस। नींबू काटिस अउ एक ठन तावीज ल पहिना दिस। हवन करे के आश्वासन दिस। इक्कीस मंगल ले उपास करे बर किहिस। अब सम्मार के उपास रहय। रात मा खाये अउ मंगल के फेर उपास रहय। बुधवार के खाये। बिरस्पत के उपास शुकरार के खाये शनिच्चर उपास। जादा उपास रहे ले गनपत के शरीर  दुबराय लागिस। हाड़ा-हाड़ा दिखे लागिस। गनपत ल लगिस कि अब वो नइ बाँचही। तब गनपत सुकवारो ल किहिस- सुकवारो तोर कहना मा बहुत बइगा-गुनिया कर डरेंव। अब एक घाँव डॉक्टर ल  घलो देखाये के मोर इच्छा होवत हे। मोला डॉक्टर कर ले चल। सुकवारो घलो बइगा ल देखात-देखात थकगे रिहिस। दूसरा दिन दुनो परानी नांदगाँव के सरकारी अस्पताल मा गिन। सोनोग्राफी होइस। पेट मा एक गाँठ पाये गिस। डॉक्टर ऑपरेशन के संगे-संग खून के घलो बेवस्था करे बर किहिस। सुकवारो अउ गनपत घर मा आइस तब गनपत के आँसू रहि रहि के झरत रहय। सुकवारो घलो अपन गोसइया के मया मा रोये लागिस।उही समय गनपत के संगी परषोत्तम गनपत ले गजब दिन होगे मुलाकात नइ होय हे सोच के मिले बर आइस। तब गनपत सबो बात ल फरिहा के बताइस। किहिस कि एक बॉटल खून कमल दे बर तियार हे, फेर डॉक्टर दू बॉटल खून केहे हे। एक बॉटल खून अउ कोनों दे बर तियार हो जातिस, तब कालीचे ऑपरेशन हो जातिस। परषोत्तम किहिस- तैं फिकर झन कर गनपत भाई। मोर उमर जादा होगे हे। मँय तो खून नइ दे सकँव फेर मोर बेटा राजू के खून देवइया मन ले गजब पहचान हे। वो कोनों ल भिड़ा लिही। तँय बस काली अस्पताल जाए के तियारी कर। गनपत अपन बेटा राजू ल सब बात बताइस। तब राजू तुरते अपन संगी मन ल खून दे बर तियार करिस। दूसरा दिन नांदगाँव मा गनपत के सफल ऑपरेशन होइस। तीन दिन के बाद छुट्टी कर दिस। गनपत, सुकवारो ल किहिस- देखे सुकवारो, तैं जेकर गोसाइन ल सुगात रहे आज उही काम आइस। बइगा मन के चक्कर मा कतको रुपया खोवार होगे। वो दिन ले गनपत अउ सुकवारो बइगा-गुनिया के चक्कर मा पड़े ले कान चाब के चेतगे। सुकवारो अब गनपत ल परषोत्तम घर जाए ले नइ रोके । आज घलो दुनों के घर कस सम्बन्ध हे।


             राम कुमार चन्द्रवंशी

              बेलरगोंदी (छुरिया)

             जिला-राजनांदगाँव

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