पुस्तक समीक्षा - कृति "सवैया सरोवर"
समुंदर म गोताखोर डूबकी लगाथे मोती खोज लाने बर! कइ बेर वोकर हाँथ खाली रथे माने अतका महिनत के बाद भी कुछ नइ मिलय, वइसने मेहनत एकचित्त एकाग्र होय म, कोनो तपसी कस तप करे म साहित्यक साधना ले ही सवैया लिखे जा सकथे| अतेक आसान सवैया के सृजन| नइ हे!कोनो पहाड़ म खड़ी चढ़ान चढ़ना हे तव बिना अनुभवी गाइड के पार नइ जा सकन , मार्गदर्शक ,गुरु बिना कोनो छंद नइ सीखे जा सके सवैया तो बिल्कुल भी नहीं|
साहित्यक गोताखोर ल एक कुशल गोताखोर बने ल परे हे,जीवन के ए अनमोल क्षण म साधना के संग, संतुलन स्थापित होय म सवैय सरोवर के नेह धराय रहीन, छंद परिवार के दीवाली मिलन समारोह म छत्तीसगढ़ भर के बहुत से गुणी अउ वरिष्ठ साहित्यकार मनन के पावन सानिध्य म विमोचन होइस||
छंद शास्त्र- साहित्यम म सवैया रच के भाव पिरोना, गण समन्वय- तुकांत के एकरुपता, शब्द मन के सुघड़ गुथान, डाँड़ सजावट, दूल्हन के सिंगार कस फभिन के होना चाही| ए सबो संयोजन सवैया सरोवर म देखे म मिलत हे|
सवैया छंद गण आधारित वार्णिक छंद आय समपाद मात्रा, गण के अनुसार व चार तुकांत होना सबले जरुरी | तउन पायके सवैया लिखना आत्मा म जीव भरे कस कठिन माने जाथे|
लय, यति, गति, गण विन्यास तुकांत के संग भाव प्रधान, सरल- सहज अउ सुग्म्य बोली- भाखा म पगाय हवय| अलग अलग अतराप मन म नंदावत शब्द मन ल नवा ढंग ले उकेरे के कारज ए कृति म होय हे, शब्द भंडार , शब्द कोश कहिके घलो आत्म साथ कर सकत हन | विषय के चयन और फिर वो विषय म विचार के ताल -मेल, समन्वय ले सवैया के विधानन म बैठाव ले सवैया सरोवर निखर के आय हे| मन अंतस और आत्मा ले उदगरे ध्वनि मन शब्द म माँ वीणा पानी के झंनकार देवत हे| तव शब्द मन के अनुप्रास हर भोले बाबा के डमरू कस नाँद भरत हे|
छत्तीसगढ़ी म तुकांत झटकुन नइ मिलय| बड़ महिनत के कारज हे| फेर बहुत अकन शब्द मन चलन म नइ होय, सब समस्या ले उपर निकल के एक शानदार कृति सिरजाना दुर्गम पहॎड़ म रद्दा बनाय जइसे कारज होय हे| बडे़ बात हे|
भारत भूमि म जन्मे संत कवि मन म भक्त गोस्वॎमी तुलसी दास जी मन श्री रामचरित मानस म सवैया छंद के प्रयोग करे हवँय| पर मानस भूमि म सबले जादा सवैया ल प्रसिद्धि दिलाइन तव वोमन हे रसखान| श्री कृष्णा धारावाहिक म रविंद्र जैन जी के मधुर स्वर संगीत म सवैया सुनन, पर सुनन भर? जान नइ पाय. रहेन ~ के लिखथे कइसे| तबो ले इंकर बड़ महत्व हे|
छत्तीसगढ़ म देखथन तव मिलथे कि इहाँ सवैया छंद म जनकवि दादा कोदू राम दलित जी मन के रचना मिलथे| एक नाम और आथे जेमन सवैया के लय म रचना पढ़त रहीन जन कवि लक्ष्मन मस्तुरिहा जी,उँकर रचना मन म सवैया कस बानगी देखे म आथे| अउ जादा कवि मन नी मिले फेर अब छंद के छ परिवार म गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के मार्गदर्शन म 150 ले उपर साधक मन छंद गुरुकुल म सवैया छंद लिखत हें लय म गावत हे, मंच मन म पढ़त हें |
इही मन से सवैया सरोवर लेके आय हवँय इंजिनियर गजानंद पात्रे 'सत्यबोध' जी | श्री गजानंद जी के सवैया सरोवर उँकर पहली कृति आय पर उन छंद परिवार ले 2016 ले जुड़े हवँय | हमर छंद परिवार म अब सरलग गुरु के भूमिका निभावत हें| पेशा म इंजिनियर हें, विज्ञान के विद्यर्थी रहें हवँय तव वो कर प्रभाव वैज्ञानिक दृष्टिकोण उँकर रचना मन म दिखथें| छत्तीसगढ़ भूमि म जन्मे महान संत बाबा गुरुघासी दास जी के विचार धारा के अनुयायी हवँय, सतनाम पंथ के विचार धारा ले प्रभावित हें, जउन म सबो मनखे ल बरोबर माने जाथे| ये कारन आप मन के कृति म सर्व समाज बर समता और नीति परक बात बहुत से रचना म आय हे | एकर छाप देख सकथन |
बिलासपुर क्षेत्र साहित्य बर ऊरवर भूमि आय, साहित्य के समृद्धक्षेत्र आय| तव आप के कृति म साहित्यक भाषा - बोली मन के गहिर प्रभाव हे| आप के सृजनात्मकता म भाषा अउ शिल्प के बड़ सुघ्घर इंजिनियरिंग देखे बर मिलत हे|
आप मन के कृति सवैया सरोवर कवि , साहित्यकार पाठक मन ल डहर दिखाही| छत्तीसगढ़ी के कोठी ल भरही, महतारी भाखा ल पोठ करही,ये कर उदीमबर,,योगदान बर जाने जाही| छत्तीसगढ़ी भाषा के समृद्धि बर मील के पथरा बनहीं| इही आशा ,विश्वास के साथ बहुत - बहुत बधाई देवत हवन|
जय जोहार🙏 💐
सवैया सरोवर - इंजिनियर श्री गजानंद सत्यबोथ जी
छंद साधक सत्र -3
मूल्य 200/-
प्रकाशक-:
बुक क्लिनिक पब्लिकेशन बिलासपुर (छ ग) समीक्षक-अश्वनी कोसरे 'प्रेरक' रहँगिया कवर्धा कबीरधाम (छ ग)
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