मोटरा-गठरी(कहनी)*-हेम साहू
जाड़ा के दिन बादर राहय जेठिया दाई जेन 90 साल के ढोकरी होेगे हावय। मुधियार कन भुर्री ला तापत बइठे नाती टूरा मन के रद्दा देखत हावय, रोज इहि बेरा मा इहि मेर सब्बो टूरा मन सकला के भुर्री तापथे अव डोकरी दाई मेरा किसम किसम के कहनी किस्सा सुनथे अव सीख ओकर से सीख लेथे। देखथे देखत सबले पहली बुधारू टूरा टपकथे अउ पा लागी दाई कथे दई कथे खुसी रा बेटा एकक एकक झन करके सब्बो टूरा मन सकला जाथे। बुधारू, समारू,दुकालू, सुकालू, आमरु सबो आके भुर्री तापे बर बइठ जाथे। समारू हा थोकिन चटरहा बानी के रहिथे अउ चटर पटर मारत रहिथे। समारू हा दाई लेना बने अस कहनी सुना न ओ सुकालू हा दाई सुना न ओ दाई तोर जवाना के कहनी। दाई हा मुड़ ला हलावत कहिथे ले भई ठीक हे सुना दे हूँ, अरे सुकालू जातो रे बेटा मोर मोटरा-गठरी ले बाजार के लाड़ू होही तेन ला निकाल के लाबे। दाई के बात ला सुनके सबो टूरा मन खिलखिला के हाँस भरते अउ सुकालू हा कभू मोटरा देखे नई रहय त का जानय बपरा हा, त पूछथे दाई ए मोटर काला कथे, हमन तो नई जानन अउ जम्मो टूरा मन सुर मा सुर मिलाके हा... हा.....दाई हमन तो नई जानन। फेर दाई हा कथे ओ देख बेटा परछी के खूँटी मा टगे हे ना झोला उहिच ला मोटरा-गठरी कथे। फेर समारू हा कथे त दाई हमन का जानन मोटर- गठरी झोला ला कहिथे। जाके के सुकालू हा झोला के लाड़ू ला लाके दाई ला देथे अउ दाई हा लाड़ू ला सब्बो झन मा बाँट देथे। येति मोटरा- गठरी नाम सुनके बुधारू हा अकबकाय रहय ओला कुछु समझ नई आय झोला ला मोटरा- गठरी कथे, लाड़ू ला खाय अउ सोचय अउ मन के बात मुँह ले निकलगे अउ पूछ परिस दाई मोला बता न काबर मोटरा- गठरी ला झोला कहिथे अउ सब्बो टूरा मन सुर मिलाके हा हा बताना दाई काबर कहिथे? दाई कहिथे त सुनव सबो झन बने कान दे के पहली हमर जवाना मा ये झोला(बैग) नई चलत रहिस हे ओकर जगह मा मोटरा- गठरी चलय। मोटरा हा बड़े होथे जेला अपन सामान के हिसाब ले जतका बड़का बना ले अव गठरी हा ओकर छोटे रूप आय। पहली हमन कुछू लाना हे या ले जाना हावय या गाँव गौतरी जाना हे त मोटरा- गठरी बनाके समान ला भर के मुड़ मा बोहिके लेगन या गाँव जावन। फेर समय बदलत गिस उव समय म नवा नवा खोज अउ सुविधा बर येकर रूप अउ नाम अकार बदलत गिस अउ आज उहि बदलाव हा धीरे धीरे झोला के रूप ले लिस। देखव झोला ला आज पाछू मा लदक के रेंगथव रे ..दुकालू हा झट से हा दाई ओला बैग कहिथन हा बैग के रूप लेलिस। मोटरा- गठरी मा हमन बड़े समान ला रखन उव गठरी मा छोटे छोटे समान ला जइसे रुइया पाइसा, गहना गुठी ला बने गठिया के रखन। दाई कथे अब जान डरेव न काला कहिथे मोटरा- गठरी सब झन हव दाई। अतका बढ़िया नवा जानकारी ला जनके जम्मो टूरा मन हा वाह दाई कतका बढ़िया जानकारी देव। जानकारी देवत देवत खाय के बेरा हो जाथे फेर दाई हा कहिथे चलव रे अपन अपन घर खाये के बेरा हावय अपन अपन घर चलव अउ भूरी के आगी तको कनझा गे। लेवा फेर काली एतके बेरा बइठबो त फेर कुछू नवा गोठ ला गोठियाबो ले चलव घर के मन देखत होही। जम्मो टूरा मन दाई ला कहिथे मजा आगे दाई मोटरा-गठरी के बारे मा जानके।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील- नवागढ़, जिला बेमेतरा
जाड़ा के दिन बादर राहय जेठिया दाई जेन 90 साल के ढोकरी होेगे हावय। मुधियार कन भुर्री ला तापत बइठे नाती टूरा मन के रद्दा देखत हावय, रोज इहि बेरा मा इहि मेर सब्बो टूरा मन सकला के भुर्री तापथे अव डोकरी दाई मेरा किसम किसम के कहनी किस्सा सुनथे अव सीख ओकर से सीख लेथे। देखथे देखत सबले पहली बुधारू टूरा टपकथे अउ पा लागी दाई कथे दई कथे खुसी रा बेटा एकक एकक झन करके सब्बो टूरा मन सकला जाथे। बुधारू, समारू,दुकालू, सुकालू, आमरु सबो आके भुर्री तापे बर बइठ जाथे। समारू हा थोकिन चटरहा बानी के रहिथे अउ चटर पटर मारत रहिथे। समारू हा दाई लेना बने अस कहनी सुना न ओ सुकालू हा दाई सुना न ओ दाई तोर जवाना के कहनी। दाई हा मुड़ ला हलावत कहिथे ले भई ठीक हे सुना दे हूँ, अरे सुकालू जातो रे बेटा मोर मोटरा-गठरी ले बाजार के लाड़ू होही तेन ला निकाल के लाबे। दाई के बात ला सुनके सबो टूरा मन खिलखिला के हाँस भरते अउ सुकालू हा कभू मोटरा देखे नई रहय त का जानय बपरा हा, त पूछथे दाई ए मोटर काला कथे, हमन तो नई जानन अउ जम्मो टूरा मन सुर मा सुर मिलाके हा... हा.....दाई हमन तो नई जानन। फेर दाई हा कथे ओ देख बेटा परछी के खूँटी मा टगे हे ना झोला उहिच ला मोटरा-गठरी कथे। फेर समारू हा कथे त दाई हमन का जानन मोटर- गठरी झोला ला कहिथे। जाके के सुकालू हा झोला के लाड़ू ला लाके दाई ला देथे अउ दाई हा लाड़ू ला सब्बो झन मा बाँट देथे। येति मोटरा- गठरी नाम सुनके बुधारू हा अकबकाय रहय ओला कुछु समझ नई आय झोला ला मोटरा- गठरी कथे, लाड़ू ला खाय अउ सोचय अउ मन के बात मुँह ले निकलगे अउ पूछ परिस दाई मोला बता न काबर मोटरा- गठरी ला झोला कहिथे अउ सब्बो टूरा मन सुर मिलाके हा हा बताना दाई काबर कहिथे? दाई कहिथे त सुनव सबो झन बने कान दे के पहली हमर जवाना मा ये झोला(बैग) नई चलत रहिस हे ओकर जगह मा मोटरा- गठरी चलय। मोटरा हा बड़े होथे जेला अपन सामान के हिसाब ले जतका बड़का बना ले अव गठरी हा ओकर छोटे रूप आय। पहली हमन कुछू लाना हे या ले जाना हावय या गाँव गौतरी जाना हे त मोटरा- गठरी बनाके समान ला भर के मुड़ मा बोहिके लेगन या गाँव जावन। फेर समय बदलत गिस उव समय म नवा नवा खोज अउ सुविधा बर येकर रूप अउ नाम अकार बदलत गिस अउ आज उहि बदलाव हा धीरे धीरे झोला के रूप ले लिस। देखव झोला ला आज पाछू मा लदक के रेंगथव रे ..दुकालू हा झट से हा दाई ओला बैग कहिथन हा बैग के रूप लेलिस। मोटरा- गठरी मा हमन बड़े समान ला रखन उव गठरी मा छोटे छोटे समान ला जइसे रुइया पाइसा, गहना गुठी ला बने गठिया के रखन। दाई कथे अब जान डरेव न काला कहिथे मोटरा- गठरी सब झन हव दाई। अतका बढ़िया नवा जानकारी ला जनके जम्मो टूरा मन हा वाह दाई कतका बढ़िया जानकारी देव। जानकारी देवत देवत खाय के बेरा हो जाथे फेर दाई हा कहिथे चलव रे अपन अपन घर खाये के बेरा हावय अपन अपन घर चलव अउ भूरी के आगी तको कनझा गे। लेवा फेर काली एतके बेरा बइठबो त फेर कुछू नवा गोठ ला गोठियाबो ले चलव घर के मन देखत होही। जम्मो टूरा मन दाई ला कहिथे मजा आगे दाई मोटरा-गठरी के बारे मा जानके।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील- नवागढ़, जिला बेमेतरा
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