पेंड़ लगाव नहीं "पेड़ बचाव ...''-अजय अमृतांशु
जइसने बरसात आथे वइसने चारो डहर चिहुर मात जाथे-पेंड़ लगाव...। सरकार के संगे संग स्वयंसेवी संस्था मन घलो ये दिशा म पहल करे लागथे। फेर पेंड़ लगाव के नारा सुन- सुन के कान पाक गे हे। सरकार ले लेके स्वयंसेवी संस्था तक सबो के एके नारा हवय "पेंड़ लगाव" । जबकि मोर हिसाब से "पेंड़ लगाव" के जघा नारा होना चाही "पेंड़ बचाव"। पेंड तो अतका लगे हवय कि जेन लगे हे उही ल बचा लव ता नवा पेंड़ लगाय के जरूरते नइ परही।
"पेंड़ लगाव" कहे ले एक बात अउ होथे मनखे मन अंधाधुंध पेंड़ लगावत हवय । पेंड़ लगा के भुला जाथे। अरे भाई लगाय ले कुछु नइ होय ,जो कुछ होही ता पेंड़ बचाय ले होही। बो दे गंहू रेंग दे कहूँ मा नइ बनय। पेंड़ लगाय के बाद जतन पानी घलो लागथे जेन होवत नइ हे। सरकार हा पेंड़ लगाय के गिनीज़ रिकार्ड घलो बना डरे हवय, 1 दिन मा 7 करोड़ लगाय पेंड़ के। फेर आज वो मेर 7 हजार पेंड़ घलो नइ बाँचे हवय ।
सरकार ल चाही के "पेंड़ बचाव" के नारा देवय। रिकार्ड ये बात के बनाव के ये बछर हम अतका पेंड ल बचाय के जिम्मा सौंपेंन...! ये बछर अतका पेंड़ ल बचाय गिस..! पेंड लगाय के कोनो फायदा नइ हे जब तक वोला बचाय के जिम्मेदारी नइ सौपे जाही । पेंड़ तो अतका लगे हवय जेन ला केवल बचा लव त मात्र 5 बछर मा पूरा देश मा हरियाली छा जाही। एक बात अउ हवय मनखे मन पेंड़ ला बचा तो नइ सकत हवय उल्टा जउन लगे हवय तेने ला काटत हवय। एक डहर जंगल कटत हवय उँहे दूसर डहर गाँव अउ शहर मा 5 फीट 10 फीट के छोटे पेंड़ ला घला सुवारथ मा काटत हवय।
घर के आघु म सड़क किनारे लीम के पेड़ लगाय रहेंव ,लोहा के जाली म घलो घेराय रहिस । 7 फीट के बाढ़े लीम पेंड़ ल दतवन बनाय के फेर मुरकेट के टोर दिन । मोर जीव अउँट के रहिगे।कहूं देख पातेंव ना त वोकर बारा ल बजाय रहितेंव। इही हाल जम्मो पेंड़ पौधा के हवय । 8 फीट,10 फीट के पेंड़ ल घलाव निजी सुवारथ मा काटत हवय । कोनो ल जलाउ लकड़ी बर, कोनो ला दतवन बर त कोनो पेंड़ ल कुछु अउ बर ।
अब बेरा आ गे हवय कि सरकार येमा जासती धियान देवय अउ नारा "पेंड़ लगाव" के जघा "पेंड़ बचाव" के देवय। आम नागरिक के घलो ये जिम्मेदारी बनथे कि वो कोनो भी एक ठन पेंड़ ल गोद ले लय अउ वोकर देखभाल करय। अउ लोगन ल बताय कि मैं ये बछर ये पेंड़ ल बचायेंव। अब पेंड़ लगाये के बेरा नइ रहिगे अब बेरा पेंड़ बचाय के हे।
अजय अमृतांशु
भाटापारा
जइसने बरसात आथे वइसने चारो डहर चिहुर मात जाथे-पेंड़ लगाव...। सरकार के संगे संग स्वयंसेवी संस्था मन घलो ये दिशा म पहल करे लागथे। फेर पेंड़ लगाव के नारा सुन- सुन के कान पाक गे हे। सरकार ले लेके स्वयंसेवी संस्था तक सबो के एके नारा हवय "पेंड़ लगाव" । जबकि मोर हिसाब से "पेंड़ लगाव" के जघा नारा होना चाही "पेंड़ बचाव"। पेंड तो अतका लगे हवय कि जेन लगे हे उही ल बचा लव ता नवा पेंड़ लगाय के जरूरते नइ परही।
"पेंड़ लगाव" कहे ले एक बात अउ होथे मनखे मन अंधाधुंध पेंड़ लगावत हवय । पेंड़ लगा के भुला जाथे। अरे भाई लगाय ले कुछु नइ होय ,जो कुछ होही ता पेंड़ बचाय ले होही। बो दे गंहू रेंग दे कहूँ मा नइ बनय। पेंड़ लगाय के बाद जतन पानी घलो लागथे जेन होवत नइ हे। सरकार हा पेंड़ लगाय के गिनीज़ रिकार्ड घलो बना डरे हवय, 1 दिन मा 7 करोड़ लगाय पेंड़ के। फेर आज वो मेर 7 हजार पेंड़ घलो नइ बाँचे हवय ।
सरकार ल चाही के "पेंड़ बचाव" के नारा देवय। रिकार्ड ये बात के बनाव के ये बछर हम अतका पेंड ल बचाय के जिम्मा सौंपेंन...! ये बछर अतका पेंड़ ल बचाय गिस..! पेंड लगाय के कोनो फायदा नइ हे जब तक वोला बचाय के जिम्मेदारी नइ सौपे जाही । पेंड़ तो अतका लगे हवय जेन ला केवल बचा लव त मात्र 5 बछर मा पूरा देश मा हरियाली छा जाही। एक बात अउ हवय मनखे मन पेंड़ ला बचा तो नइ सकत हवय उल्टा जउन लगे हवय तेने ला काटत हवय। एक डहर जंगल कटत हवय उँहे दूसर डहर गाँव अउ शहर मा 5 फीट 10 फीट के छोटे पेंड़ ला घला सुवारथ मा काटत हवय।
घर के आघु म सड़क किनारे लीम के पेड़ लगाय रहेंव ,लोहा के जाली म घलो घेराय रहिस । 7 फीट के बाढ़े लीम पेंड़ ल दतवन बनाय के फेर मुरकेट के टोर दिन । मोर जीव अउँट के रहिगे।कहूं देख पातेंव ना त वोकर बारा ल बजाय रहितेंव। इही हाल जम्मो पेंड़ पौधा के हवय । 8 फीट,10 फीट के पेंड़ ल घलाव निजी सुवारथ मा काटत हवय । कोनो ल जलाउ लकड़ी बर, कोनो ला दतवन बर त कोनो पेंड़ ल कुछु अउ बर ।
अब बेरा आ गे हवय कि सरकार येमा जासती धियान देवय अउ नारा "पेंड़ लगाव" के जघा "पेंड़ बचाव" के देवय। आम नागरिक के घलो ये जिम्मेदारी बनथे कि वो कोनो भी एक ठन पेंड़ ल गोद ले लय अउ वोकर देखभाल करय। अउ लोगन ल बताय कि मैं ये बछर ये पेंड़ ल बचायेंव। अब पेंड़ लगाये के बेरा नइ रहिगे अब बेरा पेंड़ बचाय के हे।
अजय अमृतांशु
भाटापारा
बहुत सुघ्घर विचार,बने सुझाव।
ReplyDeleteDhanywaad
Deleteगज़ब सुग्घर सर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteनेक विचार सुग्घर लेख अमृतांशु भाई जी।
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर आलेख भइया गो 🙏🙏
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