Monday, 13 July 2020

जाँगर-हेम साहू

जाँगर-हेम साहू

एकठन गाँव मा फुदालु अव लतालू नाव के दू झन भाई भाई रहिस। फुदालु अडबड़ मेहनती रहिस अउ लतालू हा अड़बड़ कोढ़िया रहिस। दूनो भाई एक संग रहय, एक दिन के बात ये फुदालु हा अपन भाई ला समझावत कहिथे देख भाई रात दिन गल्ली खोर मा किंजरत रहिथस लुठुर लुठुर ओकर ले बढ़िया मोर संग काम करथे भाई । हमन दूनो भाई खेत मा जाँगर पेरबो त हमार बंजर खेत हा घलो उपजाऊ बन जाहि रे मेहनत के फल अबड़ मिठास होथे रे भाई, फेर लतालू ला नई समझ मा आइस। अउ बड़े भाई ला उल्टा पुलटा बोल डारिस। बात हा थोरे थोरे मा झगड़ा म बदल बदलगिस अउ दूनो के बीच के झगड़ा अतेक बाड़ गिस  की बाँटा खोटा मा आगिस। उकर दस एकड़ खेत रहय जेमा 5 एकड़ भुइँया खेत हा बने उपजाऊ रहय अउ 5 एकड़ भुइँया हा एकदम बंजर रहय। लतालू हा अपने बड़े भाई ला कहिथे ओ 5 अकड़ खेत जेन हा बंजर हावय तेला तँय राख अउ मँय हा नेगी खार के 5 एकड़ खेत ला जेन उपजाऊ हावय। फुदालु कथे ले ठीक हे भाई तोर जइसन इच्छा सब मा मोला मंजूर हावय। दिन बीतत  गिस  समय निकलत गिस अउ फुदालु अपन जाँगर के भरोसा बंजर खेत ला उपजाऊ बना डरिस। खेत मा हरियर हरियर फसल लहलहात रहिस। लतालू हा  अपन कोढ़ियापन मा आज कल आज कल करके समय ला निकाल दिस। घूम घूम खवई अउ गली खोर किंजरइ ताय। अपन उपजाऊ भुइँया ला बिन मिहनत अउ रेख देख के बंजर कर डारिस। अब खाय बर घर मा एक दाना नई रहय लतालू हा अपन भाई मेर माँग भी नई सकत रहिस। गाँव मा भीख माँग के अपन गुजर बसर करे ला धरलिस अउ कई झन गाली भी देवय अहा काय ये अतका बड़ जाँगर नगत अकन खेत तभो ले घर घर दुवारी मा ये कोढ़िया ला भीख माँगत देख। कतको झन दुवारी ले फटकार तको दय। ये बात हा एकदिन फुदालु के कान में सुनई परथे अउ ओला दुःख होथे की मोर रहत ले मोर भाई भीख माँगत हावय ओह दर दर के ठोकर खावत हावय। फुदालु तुरन्ते अपन भाई ला खोजत ओकर मेर जाथे। अपन भाई ला बुला के लाथे अउ कहिथे तोला भीख माँगे के जरूरत नई हावय भाई मोर धन्य धान सब तोरेच ताय बस तँय मोर संग मेहनत ला कर अपन कोढ़िया जाँगर ला पेर। अपन भाई ला समझावत कहिथे देख भाई जाँगर पेरे मा बड़े से बड़े बंजर खेत ला उपजाऊ बना सकथन अउ अलाली करे मा बढ़िया से बढ़िया खेत हा बंजर हो जाथे।  भाई के दया अउ ओकर बात ला सुनके लतालू के आँखी ले आँसू तरतर तरतर बोहाय लागिस अपन करनी मा ओला पछतावा होय ल लागिस। अपन भाई के चरन मा गिर के माफी माँगथे अउ अपन मन मा ठान लेथे आज ले कभू अलाली नी करव। ओ दिन ले दूनो भाई अपन जाँगर के फल ले बढ़िया सुख से जिनगी बिताथे।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

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