*छत्तीसगढ़ी फ़िल्म अउ साहित्य*-अरुण निगम
कोनो फ़िल्म मा साहित्य के प्रयोग दुये जघा हो सकथे। एक तो फ़िल्म के कहानी (पटकथा) के आधार कोनो साहित्यिक कहानी या उपन्यास मा अउ दूसर वो फ़िल्म के गाना मा। छत्तीसगढ़ी भाषा के पहिली फ़िल्म "कहि देबे संदेश" रहिस। दूसर फ़िल्म "घर-द्वार" रहिस। ये दुनों फ़िल्म श्वेत-श्याम रहिन। साठ में दशक के ये दू फ़िल्म के बाद सन् 2000 तक अउ कोनो छत्तीसगढ़ी फ़िल्म के निर्माण नइ होइस। नवा राज्य छत्तीसगढ़ बने के संगेसंग "मोर छइयाँ भुइयाँ" बनिस अउ सुपर हिट होके कतको रिकॉर्ड बना डारिस। ये पहिली रंगीन छत्तीसगढ़ी फ़िल्म रहिस। मोर छइयाँ भुइयाँ के सफलता ला देख के अनेक मन फ़िल्म निर्माण कर डारिन फेर अधिकांश फ़िल्म मन अइसन सफलता नइ पा सकिन। आज घलो बहुत अकन छत्तीसगढ़ी फ़िल्म बनत हें फेर मोर जानकारी मा कोनो साहित्यिक उपन्यास या कहानी ऊपर शायद अभी तक एको फ़िल्म नइ बनिस हे। मोर ये जानकारी अधूरा घलो हो सकथे।
अब छत्तीसगढ़ी फ़िल्म मा साहित्य के चर्चा करे बर फिल्मी गाना रहि जाथे। कहि देबे संदेश फ़िल्म के गीतकार हनुमंत नायडू "राजदीप" रहिन जउन मन साहित्यकार घलो रहिन। उनकर लिखे फिल्मी गाना मा साहित्य देखे बर मिलथे।
झमकत नदिया बहिनी लागे, परबत मोर मितान
मोर अँगना के सोन चिरैया ओ नोनी
तरी हरी नाहना
तोर पैरी के छनर छनर
होरे होरे होरे
दुनिया के मन आघू बढ़ गें
बिहिनिया ले ऊगत सुरुज देवता
कहि देबे संदेश फ़िल्म के एको गीत मा फिल्मी मसाला के तड़का नइये। हर गीत साहित्य के श्रेणी मा खरा उतरे हे।
फ़िल्म घर-द्वार के गीतकार प्रखर साहित्यकार हरि ठाकुर रहिन। फ़िल्म बर इनकर लिखे गीत रहिन -
गोंदा फुलगे मोर राजा
झन मारो गुलेल
सुन सुन मोर मया पीरा के सँगवारी
जउन भुइयाँ खेले
आज अधरतिहा
इन गीत मन मा घलो फिल्मी मसाला के तड़का नइ दिखै। ये गीत मन घलो साहित्यिक के श्रेणी मा आहीं।
मोर छइयाँ भुइयाँ, मा चार गीत लक्ष्मण मस्तुरिया के अउ बाकी आने गीतकार मन के रहिन। छइयाँ भुइयाँ ला छोड़ जवइया तँय थिराबे कहाँ रे, ये गीत के साहित्यिक ऊँचाई अइसन हे कि आज बीस बछर बाद इही गीत के कारण मोर छइयाँ भुइयाँ फ़िल्म ला सुरता करे जाथे। सतीष जैन के फ़िल्म रहिस "मोर छइयाँ भुइयाँ"। अभी हाल मा उनकर "हँस झन पगली, फँस जाबे" भले हिट होइस फेर साहित्यिक कसौटी मा फ़िल्म के गीत मन निराश करिन। बहुत अकन फ़िल्म बनिस, बहुत अकन गीत बनिन फेर अधिकांश गीत मन साहित्य के कसौटी मा खरा उतरे के लाइक नइ माने जा सकें। छत्तीसगढ़ी फिल्मी गीत मा हनुमंत नायडू, हरि ठाकुर अउ लक्ष्मण मस्तुरिया जइसे साहित्यिक स्तर दूसर गीत मन मा देखे बर नइ मिलिस। ये मोर निजी आकलन आय। हो सकथे आप के आकलन कुछु अउ हो।
*अरुण कुमार निगम*
बहुत सुंदर गुरूदेव सादर प्रणाम
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