आत्म कथा-बोधन राम निषाद
मोर जनम 15/02/1973 मा थान- खम्हरिया,जिला-दुर्ग(बेमेतरा) मा होइस हे।
मँय जनम ले ही पोलियो ग्रसित हावँव।मोर आगू के बड़े भाई मोर जनम ले के पहिली ही गुजर गे रहिस हे। मोर जनम हा हमर परिवार मा बड़ ख़ुशी ले के आइस हे। दुखियारी माँ बाप के मन ला बोधे बर। तेखर सेती मोर नाम ला *बोधन राम* राखिस हे। फेर घर परिवार मा चिंता छाय राहय के बड़े बाढ़ के ये हा का करही। अब तो एखर जिनगी दाई-ददा के राहत ले हे। बाद मा कोन पुछइया हे। दाई-ददा मजदूरी करय अउ कमा के लावय तब जेवन चुरय। चना मुर्रा के धंधा शुरू करिन तब जिनगी थोकन बने चलिस। खेती खार कुछ नहीं। बस जाँगर भरोसा। मोर पाछू दू बहिनी अउ दू भाई । अइसे तइसे मोर उमर 9 बछर के होगे। गाँव बस्ती के लोग लइका मन स्कूल जावय। मोला स्कूल नइ भेजय, काबर कि मँय अपाहिज रहे हँव। कोनो मेर गिर जही,कोनो मार पिट देही,ये डर दाई-ददा ला लगे राहय। वो समय के बात गुरूजी मन लइका मन स्कूल मा भरती करे बर घरो-घर जावत रिहिस हे। एकझन गुरूजी,जात के बाम्हन मोर घर आइस। दाई-ददा ला बोलिस, "ये लइका नइ चल फिर सकय लगथे"। दाई बोलिस - "हव गुरूजी ये लइका चल फिर नइ सकय, तेखर सेती स्कूल नइ भेजँव"। गुरूजी बोलिस - "एक तो लँगड़ा लूला जनम देहव अउ उहू मा स्कूल घलो नइ भेजत हव, अइसन मा एखर जिनगी ला अँधियार माँ डारत हव"। बस उही दिन ले वो गुरूजी हा दाई-ददा ला दू-चार बात सुनाइस अउ मोर नाम अपन रजिस्टर मा लिखिस । दू महिना तक अपन साईकिल मा बइठा के खुद स्कूल लगिस अउ घर घलो लानिस हे। बाद मा एक बड़े असन लड़का ला बता चेता के मोर पाछू धरा दिस, बोलिस कि घर ले स्कूल अउ स्कूल ले घर लाय लेगे के जिम्मेदारी तोर हे अउ बदला मा एखर दाई-ददा ले चना मुर्रा माँग लेबे। फेर अब तो मोर पढ़ाई लिखाई शुरू होगे। 3 महिना के बाद मैं किताब पढ़े ला धर लेंव। घर मा ख़ुशी के लहर छा गे। अब तो धीरे-धीरे मँय खुद स्कूल जावन लग गेंव। अइसे-तइसे करत गरीबी झेलत मोर पढ़ाई चले लागिस। घर मा चिमनी के अँजोर मा अपन गृह कार्य ला करँव अउ घर के दुवारी मा खम्भा के बिजली के अँजोर मा घलो पढ़ाई करँव। इही उदीम करके मँय सन् 1984 मा 5 वीं के परीक्षा अव्वल नम्बर मा पास हो गेंव। गरीबी के कारण मोर दाई-ददा मोला मामा घर सहसपुर लोहारा,जिला-कवर्धा मा छोड़ के सन् 1987 मा खाय-कमाय बर लखनऊ चल दिस। अब मँय इहाँ अनाथ बरोबर होगेंव। मोर पढ़ाई बर सबो मामा परिवार मिलके सहयोग करे लागिस। दाई-ददा के बिछोह के सँगे संग अपन पढ़ाई ला जारी रखे रहेहँव। अउ 8 वीं के परीक्षा मा 73% नम्बर ले के। सहसपुर लोहारा ब्लाक मा अव्वल नम्बर मा रहे हँव। मोर जीवन के संघर्ष के सँगे संग। आगू पढ़त गेंव । हार कभू नइ मानेंव। गरीबी स्थिति मा रहिके सन् 1991 मा 12 वीं के परीक्षा पास करेंव। फेर कालेज जाय के हिम्मत नइ होइस । पइसा के कमी राहय। दाई-ददा परदेश मा राहय। अब मँय छोटे-छोटे लइका मन ला ट्यूशन पढ़ाये धर लेंव जेखर ले कालेज के पढ़ाई करे बर मोला कुछ पइसा मिले लागिस। तब मँय कवर्धा कालेज मा B.com परीक्षा दूसरा स्वाध्यायी पास करेंव। उही समय 1994 मा दिग्विजय सरकार(म.प्र.) के द्वारा शिक्षा कर्मी के नौकरी शुरू करे गिस जेमा मोरो नियुक्ति प्राथमिक शाला बिड़ोरा(स./लोहारा) मा होइस। 500 रु. वेतन मिलय। 7 साल के बाद पू.मा.शाला बाँधाटोला में प्रमोशन होइस। इहाँ अध्यापन कार्य करत-करत फेर M.com. के पढ़ाई स्वाध्यायी करेंव "हरि ॐ कालेज" स./लोहारा ले। 12 साल के बाद फेर मोर प्रमोशन शास.उच्च.मा.वि.सिंघनगढ़,सहसपुर लोहारा मा होइस। आज मँय इही स्कूल मा वाणिज्य के व्याख्याता के पद मा कार्य करत हँव। शिक्षकीय कार्य के सँगे संग आदरणीय अरुण कुमार निगम जी के "छंद के छ" कक्षा मा एक साधक के रूप मा अपन मन के भाव ला छंद बद्ध करत रहिथँव।
:- बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
मोर जनम 15/02/1973 मा थान- खम्हरिया,जिला-दुर्ग(बेमेतरा) मा होइस हे।
मँय जनम ले ही पोलियो ग्रसित हावँव।मोर आगू के बड़े भाई मोर जनम ले के पहिली ही गुजर गे रहिस हे। मोर जनम हा हमर परिवार मा बड़ ख़ुशी ले के आइस हे। दुखियारी माँ बाप के मन ला बोधे बर। तेखर सेती मोर नाम ला *बोधन राम* राखिस हे। फेर घर परिवार मा चिंता छाय राहय के बड़े बाढ़ के ये हा का करही। अब तो एखर जिनगी दाई-ददा के राहत ले हे। बाद मा कोन पुछइया हे। दाई-ददा मजदूरी करय अउ कमा के लावय तब जेवन चुरय। चना मुर्रा के धंधा शुरू करिन तब जिनगी थोकन बने चलिस। खेती खार कुछ नहीं। बस जाँगर भरोसा। मोर पाछू दू बहिनी अउ दू भाई । अइसे तइसे मोर उमर 9 बछर के होगे। गाँव बस्ती के लोग लइका मन स्कूल जावय। मोला स्कूल नइ भेजय, काबर कि मँय अपाहिज रहे हँव। कोनो मेर गिर जही,कोनो मार पिट देही,ये डर दाई-ददा ला लगे राहय। वो समय के बात गुरूजी मन लइका मन स्कूल मा भरती करे बर घरो-घर जावत रिहिस हे। एकझन गुरूजी,जात के बाम्हन मोर घर आइस। दाई-ददा ला बोलिस, "ये लइका नइ चल फिर सकय लगथे"। दाई बोलिस - "हव गुरूजी ये लइका चल फिर नइ सकय, तेखर सेती स्कूल नइ भेजँव"। गुरूजी बोलिस - "एक तो लँगड़ा लूला जनम देहव अउ उहू मा स्कूल घलो नइ भेजत हव, अइसन मा एखर जिनगी ला अँधियार माँ डारत हव"। बस उही दिन ले वो गुरूजी हा दाई-ददा ला दू-चार बात सुनाइस अउ मोर नाम अपन रजिस्टर मा लिखिस । दू महिना तक अपन साईकिल मा बइठा के खुद स्कूल लगिस अउ घर घलो लानिस हे। बाद मा एक बड़े असन लड़का ला बता चेता के मोर पाछू धरा दिस, बोलिस कि घर ले स्कूल अउ स्कूल ले घर लाय लेगे के जिम्मेदारी तोर हे अउ बदला मा एखर दाई-ददा ले चना मुर्रा माँग लेबे। फेर अब तो मोर पढ़ाई लिखाई शुरू होगे। 3 महिना के बाद मैं किताब पढ़े ला धर लेंव। घर मा ख़ुशी के लहर छा गे। अब तो धीरे-धीरे मँय खुद स्कूल जावन लग गेंव। अइसे-तइसे करत गरीबी झेलत मोर पढ़ाई चले लागिस। घर मा चिमनी के अँजोर मा अपन गृह कार्य ला करँव अउ घर के दुवारी मा खम्भा के बिजली के अँजोर मा घलो पढ़ाई करँव। इही उदीम करके मँय सन् 1984 मा 5 वीं के परीक्षा अव्वल नम्बर मा पास हो गेंव। गरीबी के कारण मोर दाई-ददा मोला मामा घर सहसपुर लोहारा,जिला-कवर्धा मा छोड़ के सन् 1987 मा खाय-कमाय बर लखनऊ चल दिस। अब मँय इहाँ अनाथ बरोबर होगेंव। मोर पढ़ाई बर सबो मामा परिवार मिलके सहयोग करे लागिस। दाई-ददा के बिछोह के सँगे संग अपन पढ़ाई ला जारी रखे रहेहँव। अउ 8 वीं के परीक्षा मा 73% नम्बर ले के। सहसपुर लोहारा ब्लाक मा अव्वल नम्बर मा रहे हँव। मोर जीवन के संघर्ष के सँगे संग। आगू पढ़त गेंव । हार कभू नइ मानेंव। गरीबी स्थिति मा रहिके सन् 1991 मा 12 वीं के परीक्षा पास करेंव। फेर कालेज जाय के हिम्मत नइ होइस । पइसा के कमी राहय। दाई-ददा परदेश मा राहय। अब मँय छोटे-छोटे लइका मन ला ट्यूशन पढ़ाये धर लेंव जेखर ले कालेज के पढ़ाई करे बर मोला कुछ पइसा मिले लागिस। तब मँय कवर्धा कालेज मा B.com परीक्षा दूसरा स्वाध्यायी पास करेंव। उही समय 1994 मा दिग्विजय सरकार(म.प्र.) के द्वारा शिक्षा कर्मी के नौकरी शुरू करे गिस जेमा मोरो नियुक्ति प्राथमिक शाला बिड़ोरा(स./लोहारा) मा होइस। 500 रु. वेतन मिलय। 7 साल के बाद पू.मा.शाला बाँधाटोला में प्रमोशन होइस। इहाँ अध्यापन कार्य करत-करत फेर M.com. के पढ़ाई स्वाध्यायी करेंव "हरि ॐ कालेज" स./लोहारा ले। 12 साल के बाद फेर मोर प्रमोशन शास.उच्च.मा.वि.सिंघनगढ़,सहसपुर लोहारा मा होइस। आज मँय इही स्कूल मा वाणिज्य के व्याख्याता के पद मा कार्य करत हँव। शिक्षकीय कार्य के सँगे संग आदरणीय अरुण कुमार निगम जी के "छंद के छ" कक्षा मा एक साधक के रूप मा अपन मन के भाव ला छंद बद्ध करत रहिथँव।
:- बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
आपके लगन अउ धुन सब बर प्रेरणादायी हे
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ReplyDeleteसादर नमन हे सर आप ला
ReplyDeleteसादर नमन गुरुदेव आप के आत्मा कथा बहुत ही प्रेरणादायी हे 🙏🙏
ReplyDeleteसादर नमन गुरुदेव जी
ReplyDeleteसादर नमन वंदन गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत ही संघर्षमय जीवन हे निषाद जी
ReplyDeleteअब उज्ज्वल भविष्य के कामना हे
जीवन संघर्ष कर नाम हवे भैया। अब सब सुग्घर ही सुग्घर ।
ReplyDeleteसादर नमन बड़े भइया जी
ReplyDeleteअड़बड़ कठनाई के सामना करेव गुरुदेव,
ReplyDeleteआपके जीवन कथा ल पढ़ के मन अंतस
हर भाव विभोर होगे । आपके लगन अउ
मेहनत ल सादर चरण स्पर्श ।
Great Bodhan ji....👌🏾👌🏾👌🏾👍👍👍
ReplyDeleteप्रेरणादायी आत्मकथा गुरुदेव💐
ReplyDeleteगुरुदेव आपके कथा प्रेरणादायी हे, शुभकामनाएं
ReplyDeleteआप हमर बर प्रेरणादायी हरौ।आप ल देख देख हमला जिनगी के उतार चढ़ाव म शक्ति मिलते। आप ल नमन हे गुरुभाई।
ReplyDeleteईश्वर सदा तोर आत्मबल ल बढ़ाय अउ उन्नति के मार्ग प्रशस्त करे भाई मोर शुभकामना है।
ReplyDeleteसुधा
आप जैसे पहुंचे हुए साहित्यकार के जीवनी पढ़ के अब्बड़ खुशी होइस , आपके संघर्ष तारीफ के काबिल हे।
ReplyDeleteजहाँ चाह वहाँ राह
ReplyDeleteआप गुदड़ी के लाल हव गुरुदेव । हाथ अउ पैर ले कुछ नइ होवय आदमी के पास हौसला होना चाही ।मेहनत कभू अबिरथा नइ जावय ।
ReplyDeleteआप गुदड़ी के लाल हव गुरुदेव । हाथ अउ पैर ले कुछ नइ होवय आदमी के पास हौसला होना चाही ।मेहनत कभू अबिरथा नइ जावय ।
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