गोस्वामी तुलसी दास जी मन ला उनकर जयंती परब मा सादर शत् शत् नमन .
मानवतावादी संत गोस्वामी तुलसीदास जी-मोहन निषाद
आज परम् पूज्य संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसी दास जी मन ला कोन नइ जानत हे , जउन मन रामायण जइसन महाकाव्य ले रामचरित मानस जइसन महाकाव्य के रचना करिन हे । आज गोस्वामी जी मन जन मानस मा अमर हावय । गोस्वामी तुलसी दास जी मन के जिनगी के जुड़े अब्बड़ अकन गोठ बात हमन ला पढ़े अउ सुने बर मिलथे । कइसे गोस्वामी जी मन हर अपन गृहस्थ जीवन ले बैराग्य लेके सन्यासी बनीन , अउ भगवान श्री राम जी मन के गाथा ला गाँवत । महर्षि वाल्मीकि जी मन के रचित महाकाव्य रामायण , जउन हर संस्कृत भाखा मा रहिस हे ओला ब्रज अउ अवधि भाखा मा पहिली बेर गोस्वामी तुलसी दास जी मन हर लिखिन , जउन महाकाव्य हर आज हमर मन के बीच मा रामचरित मानस के नाँव ले विख्यात हे ।
आज गोसाइ तुलसी दास जी मन हमर मानव जाति संग हमर साहित्य अउ समाज ला घलव अइसन अनमोल रचना ला देके अपन संग धन्य करिन हे । गोस्वामी तुलसी दास जी मन हर अपन परिवार ले वैराग्य लेय के बाद भगवान के भक्ति मा अइसे मगन होइन हे , ओमन तो बस अब भगवान राम के नाम ला ही अपन जिनगी के आधार बना ले रहिन हे । ओमन अपन मानस रचना मा एक जघा कहे घलव हावय -: तुलसी केवल नाम आधारा । सुमरि सुमरि नर उतरै पारा ।। गोस्वामी तुलसीदास जी मन हर अपन पूरा जिनगी ला भगवान के चरण मा अर्पण कर दे रहिन हे । ओमन अपन रामचरित मानस के माध्यम ले लोगन मन ला अइसन अइसन अउ सुग्घर सुग्घर सन्देश देवत रहिन हे । जिंकर मन के कतकोन दोहा अउ चौपाई मन हर आज ले घलव लोगन मन के अन्तस् मा रच बस के रहिथे । गोसाइ तुलसी दास जी मन हर ओ पहिली अइसन मानस रचनाकार रहिन जउन मन कहिन : - परहित सरिस धर्म नही भाई । परपीड़ा सम नही अधमाई ।।
गोसाइ तुलसी दास जी मन के जिनगी ले जुड़े एक ठन अउ अइसने कथा हमन ला सुने बर मिलथे कहे जाथे :- चित्रकूट के घाट में , है संतन की भीड़ । तुलसी दास चंदन घसे , तिलक देत रघुबीर ।। कहिथे भगवान मर्यादा पुर्षोत्तम श्री रामचन्द्र जी मन हर खुदे गोसाइ जी मन ला दर्शन दे रहिन हे कहिके । गोसाइ जी मन रामचरित मानस के संगे संग हमर समाज ला विनय पत्रिका , दोहावली , गीतावली अउ कवितावली जइसन कइ ठन काव्य रचना मन ला घलव दिन हवै । गोस्वामी तुलसी दास जी मन ला ये युग मा महर्षि वाल्मीकि जी मन के अवतार घलव कहे गे हावय । अइसन कइ ठन मानक पद अउ उपाधि मन ले गोसाइ जी मन ला विभूषित करे गीन हे । गोस्वामी तुलसी दास जी मन हर अइसन ओ पहिली कवि रहिन जउन मन हमर साहित्य के गौरव ला अउ भगवान श्री राम जी के कथा अउ यशगान ला हमर पूरा देश दुनिया संग ये संसार भर मा बगराइन हे ।
गोसाइ जी मन के जउन व्यक्तित्व रहिन हे ओ हर उनकर रचना मन मा घलव देखे बर मिलथे गोसाइ जी मन कहँत रहिन : - कवि नही मैं चतुर कहाँउ , मतिअनुसार राम गुन गाउँ ।। गोसाइ जी मन के मन मा कभू भी अहम के भाव नइ आइस । गोस्वामी जी मन के कहना रहिस जिनगी मा संगत के असर अब्बड़ पड़थे काबर उनकर मन के कहना रहिस - : बिनु सत्संग विवेक ना होइ , राम कृपा बिना सुलभ ना सोई । अइसन कइ किसम के कथा अउ गोठ बात मन हर गोसाइ जी मन के जिनगी ले जुड़े हावय , जउन मन अगाध हे । उनकर मन के बारे मा जतेक चर्चा अउ परिचर्चा करे जावय कम पड़थे , गोस्वामी तुलसी दास जी मन हर , आज अपन जम्मो कृति काव्य महाकाव्य जइसन रचना मन के सेती ही ये संसार के संगे संग हमर साहित्य मा घलव अजर - अमर हावय अउ सबो दिन रही । आज उनकर जयंती परब मा उनला सादर काव्यंजलि शत् शत् नमन करत अउ प्रणाम हँव ।
*मयारू मोहन कुमार निषाद*
*गाँव - लमती , भाटापारा ,*
*जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)*
मानवतावादी संत गोस्वामी तुलसीदास जी-मोहन निषाद
आज परम् पूज्य संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसी दास जी मन ला कोन नइ जानत हे , जउन मन रामायण जइसन महाकाव्य ले रामचरित मानस जइसन महाकाव्य के रचना करिन हे । आज गोस्वामी जी मन जन मानस मा अमर हावय । गोस्वामी तुलसी दास जी मन के जिनगी के जुड़े अब्बड़ अकन गोठ बात हमन ला पढ़े अउ सुने बर मिलथे । कइसे गोस्वामी जी मन हर अपन गृहस्थ जीवन ले बैराग्य लेके सन्यासी बनीन , अउ भगवान श्री राम जी मन के गाथा ला गाँवत । महर्षि वाल्मीकि जी मन के रचित महाकाव्य रामायण , जउन हर संस्कृत भाखा मा रहिस हे ओला ब्रज अउ अवधि भाखा मा पहिली बेर गोस्वामी तुलसी दास जी मन हर लिखिन , जउन महाकाव्य हर आज हमर मन के बीच मा रामचरित मानस के नाँव ले विख्यात हे ।
आज गोसाइ तुलसी दास जी मन हमर मानव जाति संग हमर साहित्य अउ समाज ला घलव अइसन अनमोल रचना ला देके अपन संग धन्य करिन हे । गोस्वामी तुलसी दास जी मन हर अपन परिवार ले वैराग्य लेय के बाद भगवान के भक्ति मा अइसे मगन होइन हे , ओमन तो बस अब भगवान राम के नाम ला ही अपन जिनगी के आधार बना ले रहिन हे । ओमन अपन मानस रचना मा एक जघा कहे घलव हावय -: तुलसी केवल नाम आधारा । सुमरि सुमरि नर उतरै पारा ।। गोस्वामी तुलसीदास जी मन हर अपन पूरा जिनगी ला भगवान के चरण मा अर्पण कर दे रहिन हे । ओमन अपन रामचरित मानस के माध्यम ले लोगन मन ला अइसन अइसन अउ सुग्घर सुग्घर सन्देश देवत रहिन हे । जिंकर मन के कतकोन दोहा अउ चौपाई मन हर आज ले घलव लोगन मन के अन्तस् मा रच बस के रहिथे । गोसाइ तुलसी दास जी मन हर ओ पहिली अइसन मानस रचनाकार रहिन जउन मन कहिन : - परहित सरिस धर्म नही भाई । परपीड़ा सम नही अधमाई ।।
गोसाइ तुलसी दास जी मन के जिनगी ले जुड़े एक ठन अउ अइसने कथा हमन ला सुने बर मिलथे कहे जाथे :- चित्रकूट के घाट में , है संतन की भीड़ । तुलसी दास चंदन घसे , तिलक देत रघुबीर ।। कहिथे भगवान मर्यादा पुर्षोत्तम श्री रामचन्द्र जी मन हर खुदे गोसाइ जी मन ला दर्शन दे रहिन हे कहिके । गोसाइ जी मन रामचरित मानस के संगे संग हमर समाज ला विनय पत्रिका , दोहावली , गीतावली अउ कवितावली जइसन कइ ठन काव्य रचना मन ला घलव दिन हवै । गोस्वामी तुलसी दास जी मन ला ये युग मा महर्षि वाल्मीकि जी मन के अवतार घलव कहे गे हावय । अइसन कइ ठन मानक पद अउ उपाधि मन ले गोसाइ जी मन ला विभूषित करे गीन हे । गोस्वामी तुलसी दास जी मन हर अइसन ओ पहिली कवि रहिन जउन मन हमर साहित्य के गौरव ला अउ भगवान श्री राम जी के कथा अउ यशगान ला हमर पूरा देश दुनिया संग ये संसार भर मा बगराइन हे ।
गोसाइ जी मन के जउन व्यक्तित्व रहिन हे ओ हर उनकर रचना मन मा घलव देखे बर मिलथे गोसाइ जी मन कहँत रहिन : - कवि नही मैं चतुर कहाँउ , मतिअनुसार राम गुन गाउँ ।। गोसाइ जी मन के मन मा कभू भी अहम के भाव नइ आइस । गोस्वामी जी मन के कहना रहिस जिनगी मा संगत के असर अब्बड़ पड़थे काबर उनकर मन के कहना रहिस - : बिनु सत्संग विवेक ना होइ , राम कृपा बिना सुलभ ना सोई । अइसन कइ किसम के कथा अउ गोठ बात मन हर गोसाइ जी मन के जिनगी ले जुड़े हावय , जउन मन अगाध हे । उनकर मन के बारे मा जतेक चर्चा अउ परिचर्चा करे जावय कम पड़थे , गोस्वामी तुलसी दास जी मन हर , आज अपन जम्मो कृति काव्य महाकाव्य जइसन रचना मन के सेती ही ये संसार के संगे संग हमर साहित्य मा घलव अजर - अमर हावय अउ सबो दिन रही । आज उनकर जयंती परब मा उनला सादर काव्यंजलि शत् शत् नमन करत अउ प्रणाम हँव ।
*मयारू मोहन कुमार निषाद*
*गाँव - लमती , भाटापारा ,*
*जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)*
वाह मोहन भाई सुघ्घर लेख,तुलसीदास जी उपर👏💐👌
ReplyDeleteबड़ सुग्घर लेख लिखे हव भईया
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