सबके दिन बहुरय ....... जइसे घुरुवा के दिन बहुरगे .........
रोज बिहिनिया ले दुकलहिन हा दिसा मैदान खातिर जावत बेरा .. अपन घर के गोबर कचरा ला सकेल के... अपन घुरुवा म फेंक देवय । एक दिन के बात आय .. दुकलहिन हा .. बाहिर बट्टा दिसा मैदान जावत समे .. गोबर कचरा ला फेंकें धरिस तइसने म .. घुरवा के बींचों बीच .. एक ठिन मोटरी देख पारिस .. नजर थोकिन कमजोर रिहिस .. समझ नइ अइस .. उही तिर बिलमके नजर भर निहारत .. काये होही .. काला फेंक पारेंव बैरी कहत मने मन बुड़बुड़ावत .. सोंचे लागिस .. तभे मोटरी म हलचल दिखिस .. मोटरी ला एक कनिक हालत डुलत देख पारिस । भूत परेत मरी मसान होही समझके , डेर्रा गिस अऊ कचरा ला घुरुवा तिर म उलदके .. लकर धकर ... झऊँहा ला उही तिर पटक के मसक दिस । लहुँटती म .. झऊँहा टुकना उचावत खानी ...नजर अऊ ध्यान फेर उहि कोति चल दिस । बेरा पंगपंगागे रहय .. थोकिन हिम्मत आगे रिहिस । उही तिर खड़े होके ध्यान लगा के देखे लागिस । ये दारी .. मोटरी हालत डोलत नइ रहय । अचरज म परगे .. काये होही येहा सोंचत .. घुरुवा म चाइघगे अऊ धुरिहा ले मोटरी ला .. हिम्मत करके छुये के प्रयास करिस .. गुजगुज लागिस । हाथ ला वापिस खींच लिस तभे .. मोटरी फेर हालिस । दुसरइया छुये के हिम्मत नइ होइस । लकर धकर लहुँटके .. अपन गोसइँया अऊ बेटा ला बतइस । सब्बो झिन तुरते घुरुवा कोती दऊँड़िस । पिछू पिछू ओकर बहू घला भागिस ।
घुरुवा म पहुँचके मोटरा ला धीरे से लउड़ी म हुदरिस .. रोये कस अवाज अइस । लउड़ी म फँसा के ओकर बंधना ला हेरिस .. निचट उल्हुर बंधाये रहय .. फटले हिंटगे । देखिस तहन जम्मो झिन .. अवाक होगे ... काकरो मुहुँ ले बक्का नइ फुटत रहय ....... नार फुल समेत नानुक नोनी ....... । जम्मो झन घुरुवा तिर म खड़े सोंचते रहय .. ततका म बहू हा घुरुवा म चइघके .. लइका ला .. हाय मोर बेटी कहिके.. किड़किड़ ले पोटार डरिस । बिहाव के दस बछर नहाकगे रहय .. बपरी के कोख म लइका नइ नांदत रहय । रात दिन येकरे बर .. भगवान ले बिनती करत रहय .. भगवान मोर सुन लिस कहिके .. लइका ला चुमे चांटे बर धर लिस । बहू के लइका के प्रति मोहो अऊ पागलपन ला देखके .. सास ससुर अऊ ओकर घरवाला घला .. नोनी ला अपन संतान स्वीकार लिस । नोनी उप्पर .. बहू के मया अतका पलपलागे के .. लइका बियाये कस .. ओकर थन ले .. दूध के धार फेंकाये लगगे । घुरुवा म मिलिस तेकर सेती .. नोनी के नाव घुरुवा परगे ।
घुरुवा जब घर म अइस ते समे ओकर घर म ठीक से खाये बर नइ रहय । फेर घुरुवा के चरन परे ले .. घर के गाय भईँस के दूध .. अपने अपन बाढगे । अब घुरुवा के ददा हा सिर्फ पहटिया नइ रहिगे बलकि दूध बेंचइया रऊत बनगे । जइसे जइसे घुरुवा हा बाढ़त रहय .. तइसे तइसे घर के आर्थिक स्थिति बने होये लगगे । घुरुवा घला हरेक काम म अगुवा । अपन दई ददा के संगे संग .. बबा अऊ बबा दई के घला.. अबड़ सेवा जतन अऊ ख्याल करय । घुरुवा दिखम म जतेक सुंदर रहय ततके …. चुलबुली घला ... फेर बहुतेच अक्कल वाली रहय ... तेकर सेती .. गाँव भरके चहेती रहय ।
समे बीते के साथ .. घुरुवा सग्यान होगे । बबा अऊ बबा दई हा निचट सियान होगे रहय । जियत ले घुरुवा के बिहाव देख डरतेन .. दु बीजा चऊँर टिक देतेन सोंचय । फेर कन्हो सगा सोदर के आरो नइ मिलत रहय । घर के जम्मो झन ला ओकर बिहाव के फिकर धर लिस । एक दिन के बात आय , जंगल म .. घुरुवा हा संगी जहुँरिया संग .. लकड़ी बिने बर गे रिहिस .. उही समे .. छतरसाह नाव के युवराज हा .. जंगल म शिकार खेलत ... रसता भुलागे । संगवारी मन के साथ छुटगे । प्यास म ओकर टोंटा सुखाये लगिस अऊ भूख म पेट पिराये लगिस । रसता अऊ संगवारी खोजत थकगे रहय अऊ रुख के छइँहा म अराम करत संगवारी मन ला अगोरत रहय .. तइसना म .. दबे पाँव एक ठिन चितवा हा राजकुमार कोती दऊंड़े लगिस । राजकुमार सावधान होतिस तेकर पहिली .. चितवा हा राजकुमार उप्पर कुद दिस । घुरुवा के नजर परगे .. हाथ के टंगिया ला जोर से फेंकिस .. चितवा के टोंटा अल्लग कटाके फेंकागे । युवराज ला खरोंच तक नइ अइस । तलफत परेशान युवराज ला .. घुरुवा हा अपन धरे पसिया ला पियइस .. बासी खवइस अऊ थोकिन अराम के बाद .. ओकर राज के नगर जाये के रद्दा सुझइस । युवराज अपन देश राज चल दिस जरूर फेर .., ओकत आँखी म घुरुवा बसगे । युवराज के मन .. घुरुवा म लगगे । दूनों के अऊ मुलाकात म .. युवराज ला पता लगिस के .. घुरुवा गरीब के बेटी आय । युवराज सोंचिस .. येला बिहाव करहूँ कहि देहूँ तब ...रानी माता नइ स्वीकारही ... ।राज के मंत्री ला समस्या बतइस ... बात राजा तक अमरगे । राजा हा घुरुवा ला बहू बनाये बर .. अऊ रानी ले हुँकारूँ भरवाये बर .. घुरूवा के दई ददा ला बड़े आदमी बना दिस ..। घुरूवा के जनम स्थान म ... घुरुवा अऊ ओकर परिवार बर .. बड़े जिनीस महल बनवा दिस । ओकर ददा ला ... अपन आधा जमींदारी दे दिस । कुछ समे म .. बिगन बिघन बाधा के .. धूमधाम से .. राजकुमार संग घुरुवा के बिहाव निपटगे ।
दाना दाना बर तरसत .. गोदरी कथरी के दसना दसावत .. छितका कुरिया म जिनगी पोहइया .. मनखे मन .. घुरुवा बेटी के परसादे .. जमींदार बनके .. राजकुमार के सास ससुर कहाये लगिन। ऊँकर दिन सँवरगे । कचरा काड़ी गोबर खातू हगना मुतना म पटाये घुरुवा हा महल बनके पबरित स्थान होके .. पुजाये लगगे । घुरुवा बेटी हा रानी बनके राज करे लगिस । एक घुरुवा हा .. दूसर घुरुवा के किस्मत बदल दिस .. तब गाँव के सियान के मुहुँ ले .. ये बात ला कोन रोक सकही के .. सबके दिन बहुरय .. जइसे घुरुवा के दिन बहुरगे .......।
हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा.
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