*बजार अउ छत्तीसगढ़ी गाना*
तइहा जमाना म जब दुकानदारी मन कोनो जघा म स्थायी रुप ले नइ खुलत रिहिन तब गांव गंवतरी के मनखे मन बर अपन जरुरत के जिनिस बिसाय के एके ठिकाना रिहिस-बजार।जेला पहिली हाट ज्यादा कहे जाय।रोंठ असन गांव या जेन गांव के अबादी बने रहय तइसन गांव मा बजार भराय।बजार बइठे बर बजार के लिए अलग से जघा रहे जेमा बैपारी अउ गांव गंवतरी के भाजी पाला बेचइया मरार,बर्तन बेचइय्या कसेर,हडि़या कुडे़रा बेचइय्या कुम्हार,कपड़ा बैपारी कोस्टा,मसाला बेचइय्या बनिया,सोन चांदी वाले सोनार,चप्पल जूता बेचइय्या मोची मन अपन दुकान लगावय।
मनिहारी दुकान मन मा माइलोगन मन के अड़बड़ भीड़ रहे।
बइला भैंसा के बजार घलो लगय।कतको अकन गांव के बजार एकरे सेती नामही रहे।गांव मन के नाम घलो बजार के सेती पर जावय जैसे बरोंडाबजार,बलौदाबजार।
बजार ह सिर्फ लेन देन के जगह मात्र नी रिहिस।उंहा सुख दुख के संदेश घलो पठोय जाए।मिल भेंट घलो होवय।बजार में सगा सोदर,मित मितान मन संग बइठे के सुख अउ संग म चाय पानी पीके नीते बंगला पान खावत के बजार किंजरे के सुख के बाते निराला रिहिस।
बजार ले लहुटत दाई ददा के अगोरा मा नान्हे नान्हे नोनी बाबू मन खड़े रहे।बजार के खजानी के का कहिना!!!चना मुर्रा,तिल,करी अऊ भक्का लाड़ू ला खावत बगरावत लइका मन के खुशी के बखान नी करे जा सके।
बजार आज घलो भराथे फेर तइहा कस मजा नी रहि गेहे।काबर कि अब हर जिनिस घर मुहाटी म मिल जाथे।
बजार के महत्तम ऊपर छत्तीसगढ़ी मा बहुत अकन गीत बने हे।जेमा के कुछ गीत मन घातेच धूम मचाइस हे। परसराम यदु जी हा कमला वर्मा अउ एलिस जान संग बेमेतरा के बजार चले आबे ओ अउ ले जाहूं तोला ओ बेमेतरा के बजार गावत बेमेतरा बजार घूमाय हे।त लोकरंग अर्जुंदा वाले कार्तिक सोनी हा अर्जुंदा के बजार चले आबे काहत अर्जुंदा के बजार के बारे म बताय हवै।
पंडित दानेश्वर शर्मा जी के लिखे कुलेश्वर ताम्रकार अउ रजनी रजक के स्वर मा ए चैती सुन एती जाबो उतई के बजार....मन मोह लेथे त मिथलेश साहू अउ ममता चंद्राकर के स्वर मा चल किंजर आबो संगी सुपेला के बजार...सुपेला बजार घूमा देथे।इही क्रम मा आरंग तीर के समोदा गांव के बजार के बारे मा रमा,प्रभा अऊ रेखा जोशी बहिनी मन एदे कुरुद कुटेला....गीत मा बताय हवै।
बजार सिर्फ जिनिस बिसाए के जघा मात्र नइ होवय।बजार मा मेल मुलाकात ले मया घलो बढ़थे।त घूमौ अपन लकठा के बजार ला....
रीझे यादव टेंगनाबासा (छुरा)
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