Friday, 5 July 2024

दुलार ‌‌ चन्द्रहास साहू

 दुलार 

                        ‌‌  चन्द्रहास साहू

                         मो 8120578897


सिरतोन अब्बड़ थकासी लाग गे आज बुता के करत ले। फेर बुता तो सिराबेच नइ करे।....अउ एक बुता सिरा जाथे तब आने बुता मुहूॅं फार के ठाड़े रहिथे। बेरा पंगपंगाती ले उठे हावंव अउ बिन अतरे सरलग बुता करत हॅंव तभो ले एको बुता नइ सिराये। कनिहा मा पीरा भरगे । माथ धमके लागिस। आज तो चहा घला नइ पीये हावंव। टिक.. टिक...करत दीवाल घड़ी ला देखेंव। नौ बजके पचपन मिनट, दस बजत हाबे। अब तो चहा के तलब अउ बाढ़गे। फेर बिन दूध वाला ....? इही तो दुख आवय बहिनी !  घरो घर कुकुर पोस डारे हाबे तब कहाॅं ले गाय के दूध मिलही ? 

ननपन मा तो पारा-परोस मा बिन मांगे दूध मही मिल जावय। इही बहाना राम भजन अउ हाल-चाल के जानबा घला हो जावय। खाॅंसी-खोखड़ी होवय वोतकी मा गाॅंव के कोरी अकन हितु-पिरितु मन पुछ डारे फेर अब तो एक दूसर के जानबा नइ होवय। भलुक सरी दुनिया हाथ मा धरे मोबाइल मा समागे हाबे फेर परोसी के सुध नइ लेवय। मरके अईठ जाथे, सर जाथे अउ‌ बस्साये लागथे तब जानबा होथे पारा-परोस के मन ला। अइसना तो बदलत हाबे हमर देश अउ समाज हा। हे भगवान ! अउ कतका बदलही हमर छत्तीसगढ़ हा...? मानवता अउ संवेदना हा सिरा जाही का ये दुनिया ले  ? जी घुरघुरासी लागिस जम्मो ला गुणत-गुणत। हाॅल के सोफा मा बइठ गेंव अब।

"काकी काहंचो नइ मिलिस दूध हा।''

दूध बर पठोये रेहेंव तौन लइका लहुट के बताइस।

"मेंहा तो जानत रेहेंव बाबू ! वोकरे सेती आगू ले चहा चढ़ा डारे रेहेंव गा !''

अब लइका ला मेहनताना देये लागेंव। मया के मेहनताना। देवर के लइका आवय आज पढ़े ला नइ गेये हाबे। वोकर स्कुल के मास्टर मन वेतन बढ़ाओ कहिके हड़ताल मा हाबे। तोस अउ बिस्कुट ला देयेंव अउ इंडक्शन कुकर ले चहा उतार के दू कप मा ढ़ारेंव। मोर कप मा लिम्बु निचोड़ेंव अउ पीये लागेंव चहा ला। ....अउ दू घूंट चहा के चुस्की लेयेंव अउ अइसे लागिस जइसे  मूड़ पीरा हा माढ़गे। अंग-अंग मा नवा ऊर्जा के संचार समागे। मने-मन अंगरेज मन ला धन्यवाद दे डारेंव। भलुक अब्बड़ अत्याचारी करे हव रे परलोकिया हो फेर चहा ला हमर देश मा लान के बने करे हव। चहा के आखिरी घूंट हा उरकिस अउ उदुप ले नजर हा बाथरुम कोती गिस। गंदला कपड़ा के पहार परे रिहिस। अब तो फेर माथ पीरा उमड़गे । मोर, मोर लइका के अउ पटवारी साहब माने मोर पति परमेश्वर के कपड़ा-लत्ता। ...बनियान अउ चड्डी ? सिरतोन धरती फाट जातिस अउ समा जातेंव अइसे लागिस। ...फेर कहाॅं ले धरती फाटही ? महतारी हा बेटी के दुख ला नइ देख सकिस तब सीता बर धरती हा फाटगे...अउ मोर दाई हा मोर दुख ला नइ देख सकिस तब मोर बर वाशिंग मशीन बिसा के पठोये हाबे।.... रहा ले ले वो !  तब बुता करहूं। सिरतोन साहब ला अब्बड़ बरजेंव। भलुक अपन कुर्ता-पेंट ला झन कांच फेर चड्डी-बनियान ला धो देये करे कर जी अइसे फेर वो तो बड़का साहब आवय अउ मेंहा ..? तभो ले अब्बड़ ठोसरा मारथे। घर मा रही के का करथस ?  चार झन के जेवन बनाथस।  दू कुरिया ला झाड़ू-पोछा करथस।..बस ताहन दिन भर सुतथस। टीवी देखथस येकर ले जादा का बुता करथस ? सिरतोन  दुनिया के जम्मो नारी के जिनगी हा इही यक्ष प्रश्न मा अरहजगे हाबे तब मेंहा कइसे बांच सकहूं ?

चार झन के जेवन, दू कुरिया के जतन येकर ले जादा का बुता  ?

जम्मो ला गुणत-गुणत अब कनिहा अउ माथ मा  बाम लगा के दीवान मा ढ़लंग के कम्मर ला सोझियायेंव। झटकुन आँखी लटके लागिस। रातकुन बने ढंग के नींद नइ‌ परे  रिहिस। लइका के यूनिट टेस्ट रिहिस । बिहनिया ले स्कूल पठोये के संसो अउ रिविजन करवाये के जिम्मेदारी। सिरतोन लइका मन के भलुक यूनिट टेस्ट होथे फेर महतारी बर तो बोर्ड के वार्षिक परीक्षा हो जाथे। काॅपी कहाॅं हे मम्मी ? किताब नइ मिलत हे, तब चेप्टर के गोठ। ...अउ ट्यूशन वाली मैडम के नखरा। हाय ...! जम्मो ला मैनेज करना हे तभो ले गोसइया के ठोसरा। घर मा रही के का बुता करथस ? जइसे घर के देख-रेख हा कोनो बुता नो हरे।

खट्...खट् मोहाटी बाजिस अउ कपाट ला खोलेंव। लइका के पीठ  मा लदाये क्विंटल भर के बेग ला उतारेंव। अंग्रेजी मीडियम के स्कूल आवय ना, आनी-बानी के किताब-कॉपी के बोझा ला बोहो के जाये ला परथे उप्पर ले लंच बॉक्स अउ पानी बाॅटल....! लइका छटाक भर अउ बस्ता किलो भर। भाग ले सातवी पढ़हइया नोनी आवय। छोटका क्लास मा अतका तब बड़का क्लास मा अउ कतका बोझा रही ते ?

अब लइका हा सोफा मा बइठिस अउ मेंहा धकर-लकर जूता-मोजा ला हेरे लागेंव। अब लइका के नखरा शुरु होगे। बेटी यूनिफॉर्म गंदला होगे हाबे वो ! हेर दे अउ गोड़-हाथ ला धो तब फुरसुदहा बइठ के जेवन कर ले बेटी ! फेर बेटी हा तो कनघटोर होगे। कोनो गोठ ला नइ सुनत हाबे मोर। 

"आ बेटी ! मेंहा हेर देथो यूनिफॉर्म ला।''

बेटी तो अब रिमोट ला धर के फटफीट-फटफीट चैनल बदलत हाबे। एक कार्टून मनपंसद नइ आवत हाबे आने चैनल चालू करत हाबे। चेचकार के अपन कोती तीरेंव लइका ला अउ सोज्झे बाथरूम मा धकेलेंव तब जाके यूनिफॉर्म ला चेंज करिस टूरी हा। अइसे लागिस जइसे प्रथम विश्व युद्ध जीत गेंव मेंहा अउ अब द्वितीय विश्व युद्ध जीते के उदिम करत हॅंव। 

डायनिंग टेबल मा बइठारेंव अउ खाना ला परोसेंव - कढ़ी भात । लइका तो देखते साठ जच्छार होगे।

"ये का साग आवय मम्मी ?''

लइका तमतमावत किहिस।

"कढ़ी साग तो आवय बेटी ! मही नइ मिलिस तब आमा‌ खोटली डार के बनाये हावंव।''

लइका ला समझाये के उदिम करेंव फेर लइका तो अब बीख उगले लागिस ।

"मार्बल टाईल्स लगे चकाचक करोड़ों के घर । बड़का टीवी फ्रिज कुलर वेस्टर्न आर्ट ले साजे  एक लाख  पैसठ हजार रुपिया के डायनिंग टेबल अउ ओमा खाना खाना हे तब आमा खोटली के बने कढ़ी भात ....।  हा....हा.... ये गरीबो वाला खाना.....हा ...हा..... बहुत नाइंसाफी है मम्मी ये तो....। सबका हिसाब होगा....बराबर होगा।''

लइका कोनो फिलिम के डायलॉग मारे लागिस।

"चुप रह ! ढ़ोंगयही टूरी !''

लइका ला बरजेंव अउ मनाये लागेंव। 

"का करबे बेटी ! घर मा कुछू साग-भाजी नइ रिहिस तब इही ला बना डारे हंव वो ! सब्बो किसम के खाये ला परथे बेटी ! कभु दुखम तब कभु सुखम । ... रातकुन बनाहूं ना वो ! तोर पसंद के सब्जी- मटर पनीर। गउकिन ईमान से बेटी !''

मेंहा किरिया खा डारेंव।

"मम्मी सुनो !''

तुम्हारी आदत थी वादा तोड़ने की,

मगर, 

इन्ही आदतों ने मेरी आस तोड़ दी।''

टूरी अब शायरी झाड़े लागिस अउ गुनगुनाये लागिस।

वादा तो टूट जाता है....।

अपन हाथ ले दू कौरा खवाये हॅंव अउ जम्मो भात ला छोड़ दिस अब। हाथ धोइस अउ मोबाइल ला कोचके लागिस।

"खा ले बेटी!''

अब्बड़ मनाये हॅंव फेर जम्मो अबिरथा होगे। सिरतोन तो आवय मुही ला मार्केट जाये के बेरा नइ मिलिस। अउ हमर साहब जी ला ? भलुक अपन साहब मन बर दारु बिसाये बर शरम नइ आवय अउ घर के सब्जी-भाजी लेये बर शरम आथे, मार्केट मा झोला धरके रेंगे बर शरम आथे गोसइया ला। साग-भाजी बिसाये मा मान सम्मान सिरा जाही .? नाक कटा जाही....?...अउ दारु बिसाथे तब ?

"मम्मी ! मेंहा पिज्जा लेये बर जावत हॅंव।''

टूरी सायकल निकालत किहिस। अब्बड़ बरजेंव फेर नइ मानिस मोर गोठ ला अउ पैडिल मारत चल दिस साहू पिज्जा सेंटर कोती। पइसा तो धरे हस कि नही....पुछते रही गेंव। ....अउ हमर घर पइसा के का कमती ? जी कलपगे मोर। टूरी के बेवहार ला देखके। बड़की के ये रंग तब अभिन तो चौथी पढ़इया नान्हे टूरा के का होही भगवान ! ...आगू नांगर टेड़गा हाबे तब पाछू नांगर के का ठिकाना ? मेंहा तो सबरदिन मान-सम्मान देये बर सीखोये हॅंव। मीठ बोली बोले बर सीखोये हॅंव फेर लइका के बेवहार..? लइका उप्पर नही भलुक मोर परवरिश उप्पर प्रश्न चिन्ह लगगे। सिरतोन जम्मो कोई भोकवी कहिथे मोला। लइका मन घला। का सिरतोन भोकवी हावंव का ? जौन अपनेच लइका के परवरिश नइ कर सकंव। .. अउ लइका ला जम्मो सीखोना  महतारीच हा सीखोही, ददा के कोनो बुता नइ हे का ?

              जम्मो ला गुणत-गुणत लइका के छोड़ल भात ला खाये हॅंव। आरुग सितागे रिहिस फेर का करंव ? नइ खाये ला भावय तभो ले झन फेंकाये कहिके खाये ला परथे अन्न महतारी ला।  

खट्.... खट्... मोहाटी के कपाट बाजिस।

जाके कपाट ला खोलेंव अउ देखेंव। मोहाटी मा मुचकावत मोटियारी ठाड़े रिहिस। 

"सील-लोड़हा ले ले बहिनी !''

मेंहा आखी ला नटेरत  ससन भर देखेंव मोटियारी ला । मुड़ी मा सील पट्टी बोहे रिहिस। खांध मा चोंगा बोहे रिहिस अउ ओमा नानकुन लइका जुगुर-जुगुर देखत रिहिस। एक झन बारा तेरह बच्छर के नोनी हा अचरा ला धरके जेवनी कोती ठाड़े रिहिस अउ तीसरइया आठ दस बच्छर के टूरा हा डेरी कोती ठाड़े रिहिस।

"बेरा ले कुबेरा आ जाथो। नइ लेवंव सील लोड़हा। अभिन कुछू जरुरत नइ हाबे। मिक्सी-फिक्सी के जबाना मा कोन सील लोड़हा बिसाथे ते ?''

रट्ट ले कहेंव। मोटियारी के चमकत चेहरा बुतागे। 

"बहिनी! भलुक कुछू ला झन बिसा फेर मोर लइका मन ला खाये बर कुछू दे दे। ये डेरउठी ले कभू बिन खाये नइ गेये हावंव। गौटनीन दाई कहाॅं हाबे ? नइ दिखत हाबे। आरो करके बता दे, मनटोरा आये हाबे। सील लोड़हा वाली मनटोरा ला जानथे वोहा।''

मोटियारी मोर सास ला पुछत  किहिस अउ बरपेली घर मा खुसरगे। बइठे बर केहेंव अउ एक लोटा पानी पीये बर देयेंव। पानी ला पीयिस गड़गड़-गड़गड़ अउ आरो करे लागिस। येती वोती ला देखे लागिस। 

"दाई ! का करत हावस वो ?''  

"नइ हाबे दीदी ! दाई हा।''

हार लगे फोटू ला देखावत केहेंव अउ मोटियारी बम्फाड़ के रोये लागिस।

"मोला कभु लांघन नइ पठोये गौटनीन दाई !...अहहा....।''

"सबरदिन मोर पहिरे ओढ़े बर नवा-नवा ओन्हा कपड़ा देयेस वो ! ....अहहा....।''

"मोर लइका मन ला अब्बड़ दुलार करे हस दाई...!....अहहा....। ''

गो....गो.... हिच्च....।

मोटियारी ससन भर रोइस । सिरतोन अतका तो बटवारा लेवइया वोकर बेटी मन घला नइ रोइस अपन दाई के मरनी मा। आज सौंहत दिखत हाबे लहू ले जादा गहरा रिश्ता अनचिन्हार ले घला हो सकथे। मोरो आँखी ले अब अरपा-पैरी उफान मारे लागिस। अपन मन ला समझायेंव अउ चुप होयेंव। जम्मो कोई बर जेवन निकालेंव अब। मोर बेटी के जहुंरिया लइका तो अघागे खावत ले कढ़ी भात ला। एकसरिया, दूसरइया, तीसरइया तीन परोसा खाये लागिस नोनी हा। ...अउ मोटियारी हा घला दूसरइया मांग डारिस।

"आमा खोटली डार के कढ़ी ला अब्बड़ सुघ्घर बनाये हस बहिनी ! अब्बड़ गुरतुर हाबे वो। अघावत ले खाये हॅंव वो ! अब्बड़ दिन मा।''

मोटियारी किहिस। सिरतोन वोकर चेहरा दमकत रिहिस अब। उछाह के उजास आवय येहाॅं। दोनगी के दूधपीया लइका घला ढ़कार मारत हाबे अब । 

"अब तो किचन मा मिक्सी अउ आनी-बानी के जिनिस आगे हे बहिनी ! हमरो धंधा वोकरे सेती मार खा गे हाबे वो ! अब अइसन पथरा के का बुता ? तभो ले मन नइ माढ़े अउ किंजार लेथन गाॅंव -गाॅंव,पारा-पारा। फेर कतका ला किंजरबे वो ?  पहिली तो मोहाटी मा सुस्वागतम लिखाये राहय। कपाट ला ढ़केल के चल देवन। अब तो घरो घर कुकुर पाले हाबे। कुत्ते से सावधान लिखाये रहिथे। डर लागथे काकरो घर जाये-आये बर। हबराहा कुकुर मन गरीब ला देखते साठ भुके लागथे अउ मोटियारी होगे तब तो दू गोड़ के कुकुर घला लार टपकाथे।''

मोटियारी अब्बड़ मरम के गोठ ला किहिस अउ अब्बड़ आसीस दिस।

"तोर कुटूम्ब के मान बढ़े वो !''

"लोग लइका मन दूधे खावय अउ दूधे अचोवव वो !''

"तोर गोड़ मा कांटा झन गढ़े बहिनी!''

"....अउ तोर चुरी अम्मर राहय वो बहिनी!''

अहा......मोटियारी के अतका आशीर्वचन। मन अघागे। सौंहत कोनो भगवान उतरे हाबे अंगना मा अइसे लागत हाबे। 

अब तो मोर लइका घला आगे रिहिस। पिज्जा ला धरके। मोर रिस तरवा मा चढ़गे। 

"बेटी! भात-बासी ला खाये बर केहेंव तब मुहूॅं नइ चलिस। ....अउ पिज्जा नपाके ले आनेस। कहाॅं ले पइसा पायेस तौनो ला बताना उचित नइ समझेस। जौन ला नइ खावंव कहिके छोड़े रेहेस। तौने ला ये लइका अउ सील वाली दीदी हा अघावत ले खाइस। अभिन नानचुन हावस जादा झन उड़ा वो !'' 

"मम्मी ! तेहां घलो तो कभु पिज्जा नइ खाये हावस वो! तोरो मन करत होही ? मोर नानी हा पइसा धराये रिहिस तौने पइसा ले लाने हॅंव वो  पिज्जा ला । .....अउ अकेल्ला खाये के रहितिस तब उही कोती ले खाके नइ आ जातेंव मम्मी।''

".... ले मम्मी खा ले।''

बेटी अब एक प्लेट मे ले आनिस मोर बर पिज्जा ला अउ आने प्लेट मा मोटियारी बर ले आनिस।

"अई, अइसना रहिथे बहिनी ! पिज्जा हा।''

मोटियारी देख के किहिस अउ लइका मन घला ललचावत रिहिस।‌... अब मोटियारी अउ वोकर लइका मन घला पिज्जा खावत हाबे। अउ मोला तो अपन हाथ ले मोर मयारुक बेटी हा खवावत हाबे। 

"....अउ तेहां बेटी ?''

ले मम्मी तेहां ससन भर खा। मेंहा तो खातेच रहिथो। 

नोनी किहिस अउ एक कुटका ला दुलरवा बेटा बर राखिस। वोकर स्कूल के छुट्टी सांझकुन होही। देवर के बेटा घला आ गे रिहिस अब जम्मो कोई बांट के पिज्जा खाये लागेंन । 

"ले बहिनी बइठो। अब, महूं हा  सोज्झे अपन घर जाहूं। तुंहर मया पाके आज माइके सुरता आगे। मोर कोती ले येला राख ले।''

मोटियारी किहिस सील ला देवत। 

"नइ राखव दीदी ! तेहां बेचके दू पइसा कमाबे। मोला अभिन जरुरत नइ हाबे फेर जब जरूरत होही तब तोर करा ले बिसा लुहूं।''

"नही बहिनी ! येला अब अपन घर नइ लेगो मेंहा। तुंहर घर के मोर गौटनीन दाई हा अब्बड़ हियाव करे रिहिस हमर‌। अब्बड़ करजा हाबे मोर उप्पर।

"तभो ले झन दे।''

".....मोर भतीजी के बिहाव बर वोकर फुफू कोती ले ये जोरन आवय मोर कोती ले राख ले। नोनी मन कब बड़े हो जाथे जानबा नइ होवय। अभिन ले बर-बिहाव के जोरन ला करत रहिबे तब एक-एक जिनिस हा वो  बेरा बर पूरा होथे। राख ले बहिनी मोर गरीब के चिन्हारी ला। ..अउ जिनगी के का भरोसा बहिनी ! जीयत रहिबोन कि उड़ा जाबोन ते ..? वोकरे सेती राख ले।''

मोटियारी अब गिलोली करे लागिस । अब तो मना करे के कोनो जगा घला नइ दिखत हाबे। एक नत्ता-गोत्ता अउ जुड़त हाबे। एक मया अउ बाढ़त हाबे।

"ठीक हाबे ....ले आन।''

महूं हा अब वोकर मया के आगू मा हरा गेंव। सील ला झोकेंव अउ अब देवता कुरिया मा लेग गेंव।... अउ अब जतन देयेंव। अब अइसे लागत हाबे जइसे अब मोर नोनी हा बड़े  होगे अउ अब बिहाव के तियारी करत‌‌‌ हाबो। ....अउ सिरतोन दाई-ददा मन तो बेटी के बिहाव के तियारी वोकर जनम धरते साठ शुरु कर देथे। 

कुरिया मा गेयेंव अउ सौ-सौ के दू नोट लानके मोटियारी के दूनो लइका ला धरायेंव।

भलुक अब्बड़ नही किहिस फेर आज नत्ता-गोत्ता जुरियावत हाबे।

"अपन मामी कोती ले देवत पइसा ला मना नइ करे भांची-भांचा हो !... झोंक ले। ...अउ येदे लुगरा मोर ननंद बर...!''

मेंहा केहेंव अउ मोटियारी के खांध मा नवा लुगरा ला डार देंव। मोटियारी अब एक बेरा अउ गोहार पार के रो डारिस। अउ सिरतोन महूं तो रो डारेंव नवा नत्ता-गोत्ता पाये के उछाह मा। खोर के निकलत ले देखेंव मोटियारी अउ लइका मन ला। ...अउ मोर नोनी के उप्पर नजर थिरागे। आमा खोटली के कढ़ी भात खावत रिहिस।

"अब्बड़ सुघ्घर बनाये हावस मम्मी सब्जी ला। मजा आगे अउ ये ईज्जा-पिज्जा मा पेट नइ भरे मम्मी ! पेट भरथे ते तोर हाथ के जेवन मा। मोर हिरोइन मम्मी !''

लइका अब दाई बरोबर दुलार करत महूं ला खाना खवावत हाबे।...एक कौरा.... दू कौरा.....।

...अउ मोर आँखी मा फेर अरपा-पैरी छलछलाये लागिस। सिरतोन नारी के मन कतका कोंवर होथे...?  दू टिपका आँसू बोहाइच जाथे।

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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी

जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़

पिन 493773

मो. क्र. 8120578897

Email ID csahu812@gmail.com

   

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