मयारू मुन्नी। दिनांक
10/7/23
जय जोहार बहिनी,
लागत हे तुमन उहाॅं अपन गाॅंव म बने- बने होहू।हमू मन इहाॅं बने हन बहिनी।तुॅंहर कोती पानी काॅंजी के का हाल हे,चार दिन बने सरलग बरसा होइस तहाॅं येदे निच्चट ऑंखी ल उघार देहे बादर हा।अभी तो सरी सावन परे हे।तभो ले येकर कोनो भरोसा नहीं ये मुन्नी। गिरही ते गिरही नइ गिरही त अंकाल -दुकाल तो दिखतेच हे।
तुमन बतावत रेहेव थरहा डारे हन कहिके,थरहा लगई चलत होही।उत्ताधुर्रा पानी गिरगे काही करत नइ बनिस।मोर जेठानी ल फोन करेव त बताइस कि वोमन लाई-चोपा धान लगावत हन कहिके।
का साग खाथो पिथो बहिनी।बजार में तो आगी लगे हे वो।सबे साग- भाजी 60ले 80 रुपया किलो बेंचात। वो ललमुहाॅं पताल ल तो देख ,जाड़ा बखत फेंकात रथे,पूछारी नइ रहे,तेहाॅं आज बादर ल अमरत हे।अउ वो अदरक,कोचरहा घलो ह झन पूछ काहत हे।तुमन तो खुला- मुला घलो राखथौ।अउ गाॅंव के बारी बखरी मा येदे एक पन्दरही म जरी चेंच अमारी घलो निकले लागही। गाॅंव म अटके- फटके मां साग भाजी के निस्तार हो जथे। फेर ये तो शहर ये बजार भरोसा। महूॅं ऐसो जिमीकांदा सेमी के खुला करें हॅंव।मइके-ससुरार ले लाने रेहेव।अउ बहुत अकन बरी घलो बनाय हव।मॅंहगाई के मोर्चा सम्हाले हन बहिनी। जेन जिनिस मॅंहगी होथे वोकर सीधा बहिष्कार कर देथन। का करबो मॅंहगाई हर पेट- पीठ धुनों ल मारत हे। हमर रधनी खोली तो महर- महर करत रथे।फेर गरीब मन के का हाल होवत होही। काला खात होही काला बचांत होही , बड़ करलई हे मुन्नी।
तुॅंहर सरपंची कइसे चलत हे बहिनी, चिठ्ठी म ओरिया के लिखहू।
का का समस्या आथे ,अउ वोकर ले कइसे निपटथौ तेला। आज अतके। तुॅंहर जवाबी चिठ्ठी के अगोरा रही,दमाद ल जय जोहार ।अउ नाती नतनिन मन ला मया दुलार। जय जोहार बहिनी।
तुॅंहर सॅंगवारी शशि कोरबा ले।🙏
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