पितृ दिवस पर एक लघुकथा
किस्सा नो हय *** कंथुली *** आय
***** बाबू तैं कब मरबे *****
नरियरा गांव राधावल्लभ के नगरी जेमा रहय रामसनेही गुरुजी ,,,, १९६७ म लटपट मिलय ४ कोरी दस रुपिया तनखा, गुरुजी के एक ठन बड़ दुलरुवा बेटा भारती
सब्बो गुन श्री कृष्ण कन्हैया के, तेकर ऊपर बाप के दुलार
पढ़ लिखगे बाबू भारती ,नौकरी घला लगगे, लगे हाथ बिहा होंगे ,,, फेर लईका घलो घर म घरवाली के पेट म संचरगे लईका मनके पढ़ाई लिखाई के बहाना म बाबू भारती कोइला खदान कोरबा म रहे बर धर लिस ।।।
समय संग दाई-ददा बूढ़ागे एक दिन दाई बिन कहे परलोक चल दिस, बाप के जोंडी टूटगे मुँहाचारी के खंजा बिगड़गे
रामसनेही बीमार परगे परोसी करा खबर आईस
बेटा भारती लकर-पकर पहुंचिस नरियरा गुरुजी ल लेगे धरम अस्पताल ,,, डॉक्टर छुट्टी दे दिस, सियान होंगे ,जा घर ले जा , उहें सेवा करबे अब बेरा पुरगे .....
भारती घर ले आइस रामसनेही गुरुजी ल ....
"शनिच्चर के संझउती भारती ह गुरुजी ल कहिस बाबू तैं सियान होगये ग मोरो छुट्टी सिरागे बता न तैं कब मरबे ,,
रात कइसे कटिस होही राम जानय के बांके बिहारी
(कंथुली आय नाम गांव ह दंत निपोरी म लिखा जाथे)
बस यूं ही बैठे-ठाले
गुरुपूर्णिमा 03, 07, 2023
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