Thursday, 20 July 2023

भाव पल्लवन--

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भाव पल्लवन--



हाथी बर चांटी गजब     

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 पहाड़ जइसे भारी भरकम शरीर वाले हाथी बर एक ठन नानचुक चाँटी हा भारी पर जथे। अइसे देखे जाय ता गजराज के सामने चाँटी के का बिसात? हाथी हा हजारों  चाँटी ला अपन पाँव मा पल भर मा कुचर के ऊँकर नामो निशान मिटा सकथे। फेर माने गे हे के कहूँ हाथी के सोंड़ मा एके ठन चाँटी खुसर के वोकर कान मा पहुँच के चाब दिच ता हाथी के प्रान निकल जथे।एकरे सेती भले चाँटी हा  नानकुन होथे फेर हाथी हा वोला डर्रावत रहिथे। चाँटी ले बाँचे बर फूँक-फूँक के पाँव मढ़ाथे।वोहा अतका सावधानी रखथे के चाँटी नइ दिखत ये तभो पैरा, पान-पत्तउवा ,पेंड़ के डारा-पाना ला खाये के पहिली हला-डोला के झर्रा लेथे तभे खाथे। जेन पेंड़ मा चाँटी या फेर छोटे छोटे मछेर के डेरा होथे वोती वो जाबे नइ करय--जानबूझ के बाय नइ लागय।

 अइसनहे अति सुक्ष्म विषाणु मन जेन आँखी मा नइ दिखयँ तेनो मन भारी खतरनाक होथें। इन विषाणु मन अतका ताकतवर होथें के सबले चतुरा मनखें जे मन ज्ञान-विज्ञान मा भारी उन्नति कर डरे हें--मौत ले बाँचे बर का का दवई नइ बना डरे हें तेनो हजारों-लाखों मनखें ला बिमारी फइला के ये विषाणु मन मार डरथें। इँकर ले बँच के रहे मा भलाई होथे।

   इन पटतंर के सार बात ये हे के कोनो ला भी तुच्छ समझ के अहंकार करके वोकर अपमान नइ करना चाही। ये सृष्टि मा जतका भी चर-अचर जीव-जंतु अउ जिनिस हें सबके अपन-अपन महत्व हे।सबके कुछ न कुछ आन ले हटके खासियत होथे। संत कवि रहीम हा सिरतो कहे हें-- 

रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।

जहाँ काम आवै सुई,कहा करै तलवारि।

       कोनो ला भी धन,पद,बल,रूप ,ज्ञान आदि के अहंकार नइ करना चाही। ये सब चरदिनिया होथें। अहंकार मा परके दूसर ला तुच्छ समझ के वोकर अपमान नइ करना चाही। अहंकार हा पतन के कारण होथे।अंहकारी के मूँड़ एक न एक दिन नव के रहिथे।लंकापति ,दसकंधर रावण जइसे बलशाली जेकर रेंगे ले, कहे जाथे के धरती डोलय तेकरो अहंकार के कारण सर्वनाश होगे। वोहा बंदर भालू अउ दू राजकुमार मन ला तुच्छ समझिस फेर ऊँकरे हाथ मारे गेइस।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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